मधु लिमए ने राजनारायण जी से पूछा, क्या आप संजय गांधी से मिलकर चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का प्रयास कर रहे हैं?
प्रोफेसर राजकुमार जैन
रामनारायण जी ने जनता पार्टी को छोड़कर, “जनता पार्टी (सेक्युलर )’ बना ली थी, मधु दंडवते, सुरेंद्र मोहन ग्रुप मोरारजी देसाई के साथ खड़े थे। परंतु मधु लिमए इन दोनों रणनीतियों से अलग प्रयास कर रहे थे। उनका एक लक्ष्य आर एस एस के प्रभाव से जनता पार्टी को मुक्त करने का था। मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर, बाबू जगजीवन राम r.s.s. से संबंध विच्छेद करने को तैयार नहीं थे। इधर रामनारायण जी चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए कांग्रेस के समर्थन का प्रयास कर रहे थे। बाहर अफवाह उड़ रही थी कि राजनारायण जी तथा संजय गांधी में गुप्त वार्ता हो रही है।
18 जुलाई को मधु लिमए तथा रामनारायण जी में बातचीत हुई। मधु लिमए ने राजनारायण जी से कहा कि ऐसा सुनने में आ रहा है कि आप संजय गांधी से मिलकर कांग्रेस (आई ) का समर्थन लेकर नई सरकार बनवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। राजनारायण: इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। मैं देवराज अर्स के संपर्क में जरूर हूं ।
मधु लिमए: आपके कहने का अर्थ है कि आप संजय गांधी से नहीं मिले। रामनारायण : मैं उनसे संजय गांधी से मिला हूं। उसने मुझे दो बार बुलाया मुझे उसके पास जाना पड़ा, परंतु मैंने उससे राजनीति पर कोई चर्चा नहीं की । मधु लिमए मैंने जुलाई 1978 से आप का समर्थन किया है, मैं स्पष्ट रूप से जानना चाहता हूं कि आप कुछ सिद्धांतों के लिए लड़ रहे हैं या आप केवल देसाई से बदला लेने के लिए।
रामनारायण: मेरा मोरारजी देसाई से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, उनको प्रधानमंत्री बनाने का जिम्मेदार मैं ही हूं, मैं केवल दोहरी सदस्यता वाले सवाल पर लड़ रहा हूं।
मधु लिमए: मैं 16 जुलाई को मोरारजी देसाई से मिलने गया था तथा में पुनः उनसे मिलूंगा मैं उनसे कहूंगा क्या तो वे वैकल्पिक सरकार अपने नेतृत्व में या अन्य गैर, आर एस एस सरकार बनाएं हम सब वापस आ जाएंगे, क्या आप मेरे सुझाव से सहमत हैं ? राजनारायण हां, अगर दोहरी नागरिकता का सवाल हल हो जाय तो यही सही होगा परंतु चंद्रशेखर राष्ट्रीय समिति का पुनर्गठन करें तथा आर एस एस के स्वयंसेवकों को बाहर रखें।
मधु लिमए यह बिल्कुल ठीक है। उसके बाद कर्पूरी ठाकुर,मृणाल गोरे तथा मधु लिमए ने चंद्रशेखर से मिलकर इस प्रस्ताव पर कार्य करने को कहा परंतु न तो मोरारजी देसाई पद छोड़ने को तैयार थे और न ही चंद्रशेखर इस दिशा में आगे बढ़ना चाहते थे।
लोकसभा में विपक्ष के नेता वाई बी चव्हाण ने मोरारजी देसाई सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का एक नोटिस प्रस्तुत कर दिया। अविश्वास प्रस्ताव पर वोट होने से पहले, हर तरफ से निराश होकर 16 जुलाई को मोरारजी देसाई ने जनता पार्टी संसदीय दल के नेता पद से इस्तीफा दे दिया तथा जनता पार्टी ने बाबू जगजीवन राम को अपना नेता मनोनीत कर लिया। जनसंघ भी इसमें शामिल था।
रामनारायण,,- मधु लिमए के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विरोधी अभियान के कारण कांग्रेस,(असॅ), वाम पक्ष की तमाम पार्टियां,अकाली, डी एम के वगैरह सब जनता पार्टी के विरोधी हो गए बाकी बची -खुची जनता पार्टी, आर एस एस की बंधक बन कर रह गई। 95 लोकसभा सदस्यों ने जनता पार्टी छोड़ दी।
राष्ट्रपति रेडी ने विपक्ष के नेता वाई, बी, चव्हाण को सरकार बनाने का निमंत्रण दे दिया, परंतु उन्होंने अपनी असमर्थता जाहिर कर दी।
वाई, वी, चव्हाण की पार्टी के लोकसभा में 75 सदस्य थे ने चौधरी चरण सिंह के समर्थन में 23 जुलाई को खत लिख कर कहा:
प्रिय चौधरी साहब,
मैं कांग्रेस पार्टी द्वारा लिए गए निर्णय से आपको अवगत करा रहा हूं। कांग्रेस कार्यकारिणी ने वाई बी चव्हाण द्वारा सरकार बनाने में असमर्थता व्यक्त किए जाने तथा वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर कांग्रेस तथा जनता (सेक्युलर) के संयुक्त गठबंधन के समर्थन में चौधरी चरण सिंह को गठबंधन के नेता के रूप में मान्यता दी है। चौधरी चरण सिंह ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। उसी दिन 24 जुलाई 1979 को इंदिरा कांग्रेस के नेता ने चौधरी चरण सिंह को खत लिखकर सूचित किया।
प्रिय चौधरी साहब,
मैंने राष्ट्रपति जी को एक खत लिखा है। आपकी जानकारी के लिए प्रतिलिपि भेज रहा हूं। सी. एम. स्टीफन प्रिय राष्ट्रपति जी,
मुझे आपको सूचना देनी है कि जनता पार्टी (सैक्यूलर) के चेयरमैन ने हमारी पार्टी से संसद में समर्थन करने का निवेदन किया है। हमारी पार्टी ने संसद में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाने का निर्णय लिया है।
सी एम स्टीफन
उसके बाद चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा जी को उसी दिन खत लिख कर कहा-
प्रिय इंदिरा जी
श्री कमलापति त्रिपाठी तथा सी एम स्टीफन मुझे दिन में मिले तथा उन्होंने बिना शर्त मुझे सरकार बनाने का आश्वासन दिया। मैं तहे दिल से आप की पार्टी के इस कदम की प्रशंसा करता हूं।
राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने चौधरी चरण सिंह को नई सरकार बनाने का निमंत्रण दे दिया तथा आदेश दिया कि 1 महीने के अंदर सदन में अपना बहुमत सिद्ध करें। चौधरी चरण सिंह ने टेलीविजन कैमरे के सामने कबूल किया कि मेरी जीवन भर की तमन्ना पूरी हो गई। जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख ने 29 सितंबर ‘-30 सितंबर तथा 3 अक्टूबर के टेप किए गए* साक्षात्कार में कहा –
“शुरू से ही कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरण सिंह,मधु लिमए,राजनारायण के साथ मिलकर षड्यंत्र कर रहे थे। चौधरी चरण सिंह का एकमात्र लक्ष्य भारत का प्रधानमंत्री बनना था उन्होंने कई बार मुझसे कहा कि मुझे प्रधानमंत्री बनाओ। यह उनके जीवनपर्यंत की अभिलाषा थी।”मधु लिमए और रामनारायण हमेशा चरण सिंह से कहते थे कि अगर आप जनसंघ पर हमला करेंगे तभी आप प्रधानमंत्री बन सकते हो। मंत्रिमंडल में दोबारा शामिल होने के बाद चौधरी चरण सिंह ने यही खेल शुरू कर दिया उन्होंने इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश में हम पर वार करके की”
रामनारायण जी इस सरकार में मंत्री नहीं बने। राजनारायण जी ने मोरारजी देसाई को हटा कर चौधरी चरण सिंह को ताज पहनाया दिया।