सहारा समेत दूसरी ठगी कंपनियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश कौशांबी जिले के सिराथू से शुरू की है यह पदयात्रा
सी.एस. राजपूत
बड्स एक्ट के तहत ठगी कंपनियों से निवेशकों का पैसा दिलवाने के लिए ठगी पीड़ित परिवार के संयोजक मदन लाल आजाद दूसरी भारत यात्रा पर निकल चुके हैं। यह यात्रा उन्होंने उत्तर प्रदेश कौशांबी जिले के सिराथू से शुरू की है। यह पहली भारत यात्रा में मदनलाल आजाद की टीम की मेहनत ही थी कि गत 15 नवम्बर को दिल्ली जंतर मंतर पर हुए यात्रा के समापन पर जबरदस्त भीड़ जुटी थी और दूसरी भारत यात्रा में निवेशकों का उत्साह देखने लायक है।
दरअसल मदन लाल आजाद ठगी कंपनियों के खिलाफ जमीनी लड़ाई लड़ रहे हैं। निवेशकों के लिए बड़े संघर्ष का जज्बा प्रभावित लोगों खूब भा रहा है। मदन लाल आजाद ने निवेशकों की इस लड़ाई में जो रास्ता दिखाया है वह लगातार सफल हो रहा है। भले ही बड्स एक्ट केंद्र सरकार ने बनाया हो पर मदन लाल आज़ाद केंद्र सरकार को ललकारने से परहेज नहीं कर रहे हैं। यह अपने आप में दिलचस्प है कि मदन लाल आजाद ने ठगी कंपनियों और सरकार से लड़ने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाये गये बड्स एक्ट को ही अपना हथियार बना लिया है।
भारत यात्रा के बारे में ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष मदन लाल आजाद का कहना है कि देशभर के हर राज्य के हर जिले में जा रहे हैं और निवेशकों को बड्स एक्ट के तहत ठगी कंपनियों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी टीम हर जिले में ठगी कंपनियों के खिलाफ बड्स एक्ट के तहत आंदोलन कर रही है और डीएम को निवेशकों को उनका भुगतान कराने और ठगी कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए ज्ञापन दे रही है।
मदन लाल आज़ाद का कहना है कि देश में हर तीसरा व्यक्ति किसी न किसी कंपनी की ठगी का शिकार है। ये कंपनियां लोगों को कच्चा लालच देकर ठगती हैं और शासन-प्रशासन की मिलीभगत से लोगों का पैसा मार लेती हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन के माध्यम से वह मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में 10 लाख करोड़ रुपये का पैकेज विभिन्न कंपनियों की ठगी के शिकार लोगों के लिए घोषित करे। इस पैकेज से इन पीड़ित लोगों का भुगतान किया जाए।
मदन लाल आजाद ने बताया कि देश के करीब 20 करोड़ परिवारों को हजारों कंपनियों, को ऑपरेटिव सोसायटियों एवं वित्तीय संस्थानों ने बारी-बारी से अनियमित जमा योजनाएं चलाकर ठग लिया है, जिनकी मेहनत की कमाई को यह ठग कंपनियां, कॉपरेटिव सोसायटी व वित्तीय संस्थान विधिसम्मत तरीकों से वापस नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सेबी एक्ट 1992, कॉपरेटिव सोसायटी एक्ट 2002, लॉ कंपनी एक्ट 2013, चिटफंड 2019 और अनियमित जमा योजनाएं पाबंद कानून 2019 का उल्लंघन करते हुए सहारा इंडिया, पर्ल्स, बाइक बोट, हैलो टैक्सी, टाइपराइड, राधा माधव, ब्लू फॉक्स, शाइन सिटी, फ्यूचर मेकर, कैची पिक्सल, स्ट्रीट हॉक्स, कर्मभूमि, कल्पतरु, साईं प्रसाद, हीरा गोल्ड, पिनकोन, रामेल, प्रयाग, हैलोराड, गो वे, गो बाइक, एनएनएम, एवरग्रीन, विश्वास ट्रेडिंग, कार सर्विस यात्रा, ग्लोबल स्टार, किसान एग्रो, विश्वामित्र जैसी हजारों कंपनियों ने करोड़ों नागरिकों को बारी-बारी से अपनी ठग स्कीम्स में फंसाकर ठगा है।
मदन लाल आज़ाद ने कहा है कि इसी तरह आदर्श, संजीवनी, नवजीवन, सहारा, सर्वोदय, समृद्ध जीवन, लोकहित, जेकेवी, अल्पेश्वर, खेतेश्वरल, कामधेनु जैसी हजारों मल्टीस्टेट कॉपरेटिव सोसायटियों ने करोड़ों नागरिकों को अपनी ठगी का शिकार बनाया। सहारा इंडिया और पर्ल्स के मामलों में तो पहले सेबी ने वर्ष 2012 में निवेशकों जमाकर्ताओं के धन का भुगतातन करने का आदेश दिया था, जिसे कालांतर में ठग कम्पनीज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी तो वर्ष 2016 में दोनोें ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने भी दोनों कंपनीज को पीड़ितों की जमा राशि 15 फीसदी ब्याज समेत 6 माह में वापस करने का आदेश दिया।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को 5 वर्ष से ऊपर हो गये किन्तु दोनों कंपनियों ने जमाकर्ता परिवारों का भुगतान नहीं किया। मदन लाल आज़ाद का आरोप है कि सहारा इंडिया के मालिकान ने तो सुप्रीम कोर्ट सेबी को गुमराह करते हुए झूठा शपथ पत्र देकर 2016 में पैरोल ली और जेल से बाहर आकर आज तक किसी का कोई भुगतान नहीं किया, जो सेबी एक्ट और सुप्रीम कोर्ट केा आदेशों का खुला उल्लंघन एवं अवमानना है।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय ने 21 फरवरी 2019 को एक अध्यादेश के माध्यम से अनियमित जमा योजनाएं पाबंदी कानून लागू किया, जिसमें समस्त ठगी पीड़ित जमाकर्ताओं को धन की वापसी के लिए भारत संघ एवं राज्यों को जिम्मेदार बनाकर 180 कार्यदिवस में ट्रायल कंप्लीट कर पुनर्भुगतान की व्यवस्था की, 30 जुलाई 2019 को संसद ने सर्वसम्मति से अनियमित जमा योजनाएं पाबंदी कानून 2019 पारित करके केंद्र ने इसे कानून के रूप में नोटिफाइड किया, किन्तु किसी भी राज्य एवं संघ सरकार ने इसे लागू नहीं किया और न ही किसी जमाकर्ता का भुगतान इस एक्ट के तहत किया गया, जो संसद राष्ट्रपति एवं कानून का अपमान एवं उल्लंघन है।
मदन लाल आजाद ने कहा कि 20 करोड़ ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवारों ने हमारे दो लाख से ज्यादा सैनिक, करोड़ों रिटायर्ड कर्मचारी अधिकारी, करोड़ों किसान, मजदूर, प्रोफेशनल, एडवोकेट, पत्रकार, जज, अफसर, वैज्ञानिक तक सम्मिलित हैं। उनका कहना है कि बाइक बोट हेलो टैक्सी टॉप राइड ठगी मामलों का शिकार बनकर लगभग 1200 सैनिक आत्महत्या कर चुके हैं। दर्जनों विवाद भुगतान के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, दर्जनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट भुगतान का आदेश सेबी, एसएफआईओ व राज्य अन्य एजेंसियों को दे चुका है। फिर भी जब भुगतान प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो ऑल इंडिया बाइक बोट टैक्सी यूनियन ने सैकड़ों ज्ञापन पत्र राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, कंपनी कार्य मंत्री, गृह मंत्री, कानून मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री व अन्य जिम्मेदार एजेंसियों को दिये। उसके पश्चात राज्य एवं संघीय सरकार ने भुगतान नहीं किया।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार एवं राज्यों को कानून के प्रति संवेदनशील बनाने, कानून, राष्ट्रपति, संसद और न्यायालय के आदेशों का पालन करवाने के लिए तमाम ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवारों के प्रतिनिधियों ने संसद सत्याग्रह द्वारा भुगतान सुनिश्चित करवाने और जन चेतना पैदा करने के लिए संयुक्त राष्ट्रीय मोर्चा ठगी पीड़ित परिवार नाम से इस सामाजिक संगठन का निर्माण किया गया है।