Friday, November 8, 2024
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Uttar Pradesh : यूपी निकाय चुनाव में OBC आरक्षण रद्द, हाईकोर्ट ने फौरन चुनाव कराने के दिए आदेश, सीएम योगी ने कहा- जरूरत पड़ी तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

Uttar Pradesh : सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं के बाद यह फैसला आया है।

 दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 
Uttar Pradesh : इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया और ओबीसी के लिए आरक्षण के बिना चुनाव कराने का आदेश दिया है। यह फैसला जस्टिस डीके उपाध्याय (DK Upadhyay) और जस्टिस सौरव लवानिया (Saurav Lavania) की खंडपीठ ने सुनाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को लेकर एक ट्वीट किया है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी। इसके बाद ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा। साथ ही योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जरूरत हुई तो सरकार मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का भी रुख करेगी।

जनरल (सामान्य) मानी जाएंगी OBC के लिए आरक्षित सभी सीटें

सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन किए बिना ओबीसी आरक्षण के मसौदे को तैयार करने को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं के बाद यह फैसला आया है। मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को 70 पेजों का फैसला सुनाया है। फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल (सामान्य) मानी जाएंगी। हाईकोर्ट ने इस फैसले के साथ ही तत्काल निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया है।

ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला होता है जरूरी

उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को बताया था कि वह शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनावों में ओबीसी आरक्षण प्रदान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाए गए ‘ट्रिपल टेस्ट’ फॉर्मूले का पालन कर रही है। लेकिन कोर्ट में दर्ज याचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण जारी करने के लिए ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला नहीं अपनाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला के मुताबिक राज्य को एक कमीशन बनाना होगा जो अन्य पिछड़ा वर्ग की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट देगा और जिसके आधार पर आरक्षण लागू होगा। आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट यानी 3 स्तर पर मानक रखे जाएंगे जिसे ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला कहा गया है। इस टेस्ट में देखना होगा कि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति है? उनको आरक्षण देने की जरूरत है या नहीं? उनको आरक्षण दिया जा सकता है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता है।

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि इसकी समीक्षा करेंगे और हम हमेशा चुनाव के लिए तैयार रहते हैं, हम हर वर्ग को साथ लेकर चलने वाले लोग हैं। वहीं इस मामले को लेकर केशव प्रसाद मोर्य ने कहा कि हम पिछड़ों के हक के लिए हमेशा लड़ने को तैयार हैं। उनके इस बयान पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि केशव प्रसाद मोर्य पिछड़ों को हक नहीं दिला सकते हैं। बीजेपी सरकार दलितों का आरक्षण भी छीन लेगी।

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