प्रधान संपादक संपादक राजेंद्र स्वामी ने बताया-डेंट भी पूरे सही नहीं किये, जो उन्होंने दूसरी वर्कशाप पर ठीक कराये
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
भारतीय लोग जापान का नाम सुनते ही यह सोचने लगते हैं कि टेक्नोलॉजी के मामले में जापान बहुत आगे है पर क्या कभी किसी ने यह भी सोचा है जापान की कंपनियां कस्टमर को कितना परेशान करती हैं ? कितनी ठगी की जाती है ? कस्टमर को कितना ये धोखे में रखती हैं ? कितना नुकसान कस्टमर को उठाना पड़ता है। यदि जानकारी नहीं है तो दिल्ली में जापान की कार वॉक्सवैगन गाड़ी की कारस्तानी ही सुन लीजिये।
दरअसल इस गाड़ी को रखने वालों से पता चल रहा है कि इस कम्पनी की सर्विस बेहद खराब है। अगर इस कंपनी की गाड़ी कहीं भी टच हो जाये या फिर छोटा मोटा डेंट जाये तो जब आप उसे वर्कशॉप ले जाएंगे तो मिलने में बहुत समय मिलेगा कम से कम एक सप्ताह का समय। यदि इस बीच अपने एक सप्ताह के बीच गाड़ी का डेंट क्लेम नहीं किया और कहीं और दूसरा डेंट लग गया तो समझो आपको इंसोरेंस से क्लेम नहीं मिलेगा। इस कंपनी से गाड़ी लेना मतलब एक आफत मोल लेना। यह भी जमीनी हकीकत है कि यदि गाडी की इंश्योरेंस पॉलिसी आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड से ली है तो फिर पूरा क्लेम तो आप भूल ही जाइये।
दरअसल दिल्ली दर्पण टीवी के प्रधान संपादक राजेंद्र स्वामी की गाड़ी वॉक्सवैगन नंबर DL12CL6750 में मामूली तीन चार छोटे-छोटे डेंट और स्क्रेच आ गए थे। जब वह गाड़ी को ठीक कराने के लिए वज़ीर पुर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित कम्पनी के वर्कशॉप पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि यह मल्टीपल डेमेज है। यह सभी इंसोरेंस में कवर नहीं होगा। साथ ही उन्हें यह गाड़ी कम से कम एक हफ्ते वर्कशॉप में ही छोड़नी पड़ेगी। दरअसल उन्होंने गाडी का इंश्योरेंस icici लाम्बार्ड से कराया हुआ है। उन्हें गाड़ी एक हफ्ते के लिए छोड़नी पड़ी। इंसोरेंस कम्पनी ने पूरा क्लेम भी पास नहीं किया। एक हफ्ते बाद कम्पनी ने जब गाड़ी दी तो उसे पूरे डेंट सही नहीं किये गए और बिल 12000 रुपये से ज्यादा का बना दिया गया। इन्शुरन्स कम्पनी ने 50% बिल ही साथ ही मेजर डेंट छोड़ दिया गया। उसके बाद राजेंद्र स्वामी गाड़ी को वर्कशॉप से सीधे अशोक विहार स्थित एक डेंट कारीगर के पास ले गए तो वहां महज 10 मिनट में डेंट सही कर दिए गए। साथ ही कलर भी ठीक कर दिया। खर्च आया मात्र 100 रुपए। वर्कशॉप में डेंट और स्क्रेच को ठीक करने का खर्च हजारों रुपये बताया जा रहा था।
इस बारे में राजेंद्र स्वामी ने बताया कि एक हफ्ते गाड़ी रखने के बाद भी उन्हें इतने ज्यादा रुपये देने पड़े और समझ आया कि कार कम्पनी और इंश्योरेंस कम्पनी अपनी पॉलिसी ही ऐसी बनाती है कि गाड़ी मालिक क्लेम लेने से बेहतर बाहर से ही काम करवा ले।
उनका कहना है कि इंशोरेंस कम्पनी कहती है कि जरा सा भी डेंट लगे तो तुरंत करवा लें, और अगर हर छोटे-छोटे स्क्रेच और डेंट की ठीक करवाने जाते हैं तो गाड़ी ज्यादातर समय वर्कशॉप में ही खड़ी रहेगी। यह जमीनी हकीकत है कि दिल्ली में एक तरह के डेंट लगते रहते हैं यानी कि आपकी गाड़ी आपके पास कम वर्कशॉप पर ज्यादा नजर आएंगे।अगर ऐसा नहीं किया तो गाडी का क्लेम भी नहीं मिलेगा।
देखने की बात यह है कि वजीरपुर वॉक्सवैगन के वर्कशॉप में कर्मचारी तो बेहद अच्छे से बात करेंगे लेकिन हरासमेंट पूरा होगा। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब एक चैनल के प्रधान संपादक से इस कंपनी ने ऐसे ठगी कर ली तो फिर आम आदमी से कितनी करती होगी।
दरअसल इस कंपनी सर्विस बेहद खराब है और अगर इश्योरेंस कम्पनी आईसीआईसीआई लाम्बार्ड साथ में हो तो यकीनन आप गाडी बाहर ठीक करवाना ज्यादा पसंद करेंगे। यह कंपनी कस्टमर के भरोसे से खिलवाड़ कर रही है। ऐसे में बेहतर है कि कोइ ऐसी कम्पनी की गाडी ली जाये जिसकी सर्विस बेहतर हो।