Thursday, November 7, 2024
spot_img
HomeMCD ELECTIONDelhi Mayor Election Update : आखिर फिर से हंगामे की भेंट चढ़...

Delhi Mayor Election Update : आखिर फिर से हंगामे की भेंट चढ़ गया मेयर चुनाव!

वही समीकरण और वही स्थिति तो भला कैसे चुनाव होने दे सकती है आम आदमी पार्टी 

सी.एस. राजपूत  

क्या एलजी वीके सक्सेना द्वारा नियुक्त किये गये पीठासीन अधिकारी को बदल दिया गया है ? क्या एलजी द्वारा नियुक्त किये गये 10 एल्डर सदस्य बदल गये हैं ? क्या बिना शपथ लिये कांग्रेस पार्षद साजिया दानिक्स बनाये गये हज कमेटी के फैसले का बदल दिया गया है ? यदि नहीं तो फिर मेयर चुनाव कैसे हो पाएगा ? आम आदमी पार्टी की नजरों में तो यह सब फैसले अवैध है।ऊपर से आम आदमी पार्टी सदन में पैरा फोर्स लगाने विरोध करने लगी थी। 

सदन शुरू होते ही आप पार्षद, पार्षदों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शेम-शेम के नारे लगाने लगे थे। आम पार्षदों ने 6 जनवरी की तरह सदन में हंगामा कर दिया था। उधर बीजेपी पार्षद जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे। जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एलजी को उनके सिर पर बैठाने की बात करते हुए विधानसभा में कह चुके हैं कि ये एलजी कौन है ? जब केजरीवाल एलजी के हर फैसले को अवैध ठहरा चुक हैं तो भला मेयर चुनाव कैसे वैध हो सकते हैं ? मेयर चुनाव एलजी वीके सक्सेना ही तो करा रहे हैं न ? जब एलजी के हर काम को केजरीवाल अवैध बता रहे हैं तो मेयर चुनाव को वैध कैसे मान लेंगे ? वैसे भी आम आदमी पार्टी ने 6  जनवरी को हंगामा कर चुनाव इसलिए टलवा दिया था क्योंकि उसे मेयर चुनाव में एलजी की मिलीभगत से भाजपा के षड्यंत्र रचने की बू आ रही थी। तो स्थिति तो वही है तो आम आदमी पार्टी भला कैसे चुनाव होने दे सकती है ? ऊपर से एलजी ने आम आदमी पार्टी के पार्षदों के हंगामे को रोकने के लिए पैरा फोर्स लगा दी है। ऐसे में यदि आम आदमी पार्टी के पार्षदों पर पैरा फोर्स का इस्तेमाल किया जाता तो उससे आम आदमी पार्टी को आरोप लगाने का मौका मिल जाता। 
देखने की बात यह है कि  6  जनवरी को आम आदमी पार्टी ने एलजी पर मनमानी करते हुए पीठासीन अधिकारी के साथ ही 10 एल्डर सदस्यों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए हंगामा कर दिया था। इस हंगामे में हाथापाई और कुर्सी तक चली थी तो ऐसे में सदन में फिर से हंगामा होने के आसार जताये जा रहे थे।  

दरअसल दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों पर काबिज आम आदमी पार्टी का कहना है कि एलजी वीके सक्सेना गैर कानूनी तरीके से बीजेपी को बैकडोर से एमसीडी की सत्ता सौंपना चाहते हैं। आम आदमी के इस आरोप में दम भी दिखाई देता है। यह माना जा रहा है कि यदि 6 जनवरी को सदन में हंगामा नहीं हुआ था तो शायद बीजेपी अपना मेयर और डिप्टी बना लेती और स्टैंडिंग कमेटी का भी रास्ता खोल देती। तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि समीकरण और परिस्थिति तो वही है फिर आम आदमी पार्टी चुनाव कैसे होने देगी ? पैरा फ़ोर्स का मतलब एलजी की भी पूरी तैयारी है। देखने की बात यह भी है एमसीडी सदन में हंगामे के बाद बीजेपी और आम आदमी में सडकों पर भी दो दो हाथ हो चुके हैं। आम आदमी पार्टी ने एलजी आवास के बहार प्रदर्शन किया तो बीजेपी ने राजघाट पर। आप ने एलजी पर संविधान की हत्या करने का आरोप लगाया है तो बीजेपी ने आप पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगाया है। आप का आरोप यह भी है कि  बीजेपी ने शुरुआत से ही बेईमानी की है। पीठासीन अधिकारी आप का बनाना था, लेकिन वह बीजेपी का बना दिया गया।  मुकेश गोयल सबसे वरिष्ठ पार्षद हैं और आप उनका नाम पीठासीन अधिकारी के लिए भेजा भी था। जो एल्डरमैन दिल्ली सरकार की सिफारिश पर बनते आए हैं, उनकी नियुक्ति में  एलजी ने अपनी मनमानी चलाई और दिल्ली सरकार को बाईपास कर कर बीजेपी के पार्षद नियुक्त कर दिए। मनोनीत निगम पार्षद भी मेयर और स्थाई समिति में वोट डालेंगे, ऐसा एमसीडी के इतिहास में कभी नहीं हुआ। यह असंवैधानिक माना जाता है। 

उधर जिस कांग्रेस को आप अपना मानकर चल रही थी उस कांग्रेस ने भी आप को सबसे ज्यादा झटका दिया है। आप को यकीन था कि कांग्रेस के पार्षद किसी भी हालत में बीजेपी के पाले में नहीं जाएंगे। इसके लिए “आप ” ने कांग्रेस अध्यक्ष से भी सीधी बात की लेकिन बीजेपी ने इसे भी मैनेज कर लिया। आखिर कांग्रेस को इससे क्या मिला ? क्योंकि वह बीजेपी का साथ देने को तैयार हो गयी ? आप की परेशानी यह भी है कि एलजी वीके सक्सेना ने कांग्रेस के मुस्लिम पार्षद को साजिया दानिक्स को दिल्ली हज कमिटी का सदस्य बना दिया है वह भी शपथ लेने से पहले ही। दिल्ली के लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि मेयर का चुनाव होना इतना आसान नहीं है। इसका बड़ा कारण यह है कि आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत से एमसीडी पर काबिज हुई है। ऐसे में पीठासीन अधिकारी के साथ ही 10 एल्डर सदस्य बीजेपी रहेंगे तो आम आदमी पार्टी ऐसे ही हंगामा करती रहेगी। 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments