Friday, November 8, 2024
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Delhi MCD Mayor Election : आप न भांप पाती एलजी का षड्यंत्र तो खेल कर देती बीजेपी!

 बीजेपी ने कांग्रेस को साध कर, एलजी के सहारे मेयर -डिप्टी मेयर के साथ स्टैंडिंग कमेटी को कब्जाने की कर दी पूरी व्यवस्था

राजेंद्र स्वामी/दिल्ली दर्पण टीवी 

बीजेपी को यह बात बहुत अखर रही थी कि उसको सीना ठोक कर ललकारने वाली आप ने उस एमसीडी पर कब्ज़ा कर लिया जिस पर उसका 15 साल तक एकछत्र राज रहा है। यही वजह रही कि मतगणना वाले दिन ही सांसद मनोज तिवारी और तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बीजेपी का मेयर बनने की बात कर दी थी। यही वजह रही कि नामांकन के अंतिम दिन शालीमार गार्डन से पार्षद रेखा गुप्ता को मेयर और कमल बांगड़ी को डिप्टी मेयर पद के लिए पर्चा भरवा दिया है। बीजेपी ने अंदरखाने एलजी से मिलकर न केवल कांग्रेस को साधा बल्कि मेयर ओर डिप्टी मेयर के साथ ही स्टैंडिंग कमेटी को कब्जाने की पूरी व्यवस्था भी कर दी। वह तो एन वक्त पर इस बात जानकारी आम आदमी पार्टी के दिग्गजों को हो गई और बीजेपी के षड्यंत्र को कामयाब होने से रोक दिया। 

दरअसल दिल्ली एमसीडी में दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को बहुमत दिया है। इस हिसाब से मेयर और डिप्टी मेयर के साथ ही स्टैंडिंग कमेटी पर आम आदमी पार्टी का कब्ज़ा होना चाहिए पर आप का आरोप है कि दिल्ली के एलजी परम्पराओं से परे जाकर बीजेपी के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों पर काबिज आप का कहना है कि एलजी वीके गुप्ता गैर कानूनी तरीके से बीजेपी को बैकडोर से एमसीडी की सत्ता सौंपना चाहते हैं। वैसे आप का आरोप और डर निराधार भी नहीं है क्योंकि यदि 6 जनवरी को सदन में हंगामा नहीं हुआ था तो शायद बीजेपी अपना मेयर डिप्टी भी बना लेती और स्टैंडिंग कमेटी का रास्ता खोल देती। आप ने मेयर चुनाव से ठीक पहले ही इसे भांप लिया और हंगामा खड़ा कर बीजेपी का सारा खेल बिगाड़ दिया।

दरअसल आम आदमी पार्टी को वोटिंग से पहले ही खबर लग गयी थी कि पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा पहले मनोनीत पार्षदों को शपथ दिला कर उन्हें वोटिंग करने की इजाजत देने वाली हैं।  बेशक यह नियम के विरुद्ध था जब तक उसे कोर्ट में चुनौती दी जाती तब तक देर हो चुकी होती। हो सकता था कि उसके बाद बीजेपी इसका कोई स्थायी समाधान निकाल लेती। मतलब बीजेपी चुनाव हार कर भी नगर निगम में सत्ता हासिल कर लेती।

एमसीडी सदन में हंगामे के बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी सडकों पर उत्तर आयी हैं। आम आदमी पार्टी ने एलजी आवास के बहार प्रदर्शन किया तो बीजेपी ने राजघाट पर। आप ने एलजी पर संविधान की हत्या करने का आरोप लगाया तो बीजेपी ने आप पर गुंडागर्दी करने का.

बीजेपी ने सवाल किया है कि क्या होता अगर मनोनीत पार्षद पहले शपथ ले लेते ? बहुमत तो आम आदमी पार्टी के ही पास है फिर आम आदमी पार्टी डर क्यों रही है ? यह बात सही है की एलजी साहब ने बिना दिल्ली सरकार की सलाह के बीजेपी से जुड़े 10 लोगों को पाषर्द के लिए मनोनीत किया। यह भी तो सही है कि इसके बावजूद बहुमत आम आदमी पार्टी के पास ही है। यह भी जमीनी हकीकत है कि बहुमत की संख्या इतनी भी नहीं है कि बीजेपी उसे मैनेज न कर सके।

  अब सदन में बहुमत का अंकगणित देखिये :- 

सदन में कुल 274 वोट हैं। इनमें 250 पार्षद, 7 लोकसभा सदस्य तो  3 राज्यसभा सदस्य हैं और 14 विधायक हैं। अगर इनमें एलजी द्वारा मनोनीत 10 निगम पार्षद भी जोड़ दिए जाएं तो संख्या 284 हो जाती है। 

अब बहुमत की बात करें तो 284 वोटों की संख्या पर बहुमत का आंकड़ा- 141 

बीजेपी के पास होते हैं। 105 + 7 सांसद + 10 मनोनीत = 122 

यानी बहुमत के लिए बीजेपी को केवल 18 वोट चाहिए। 

यदि कांग्रेस बीजेपी का साथ देती है तो बहुमत के लिए केवल 11 वोटों की कमी रह जाती है। 

बहुमत की यही पतली रेखा “आप” को डरा रही है। उसे क्रॉस वोटिंग का भी डर है यही वजह रही है कि आप ने मनोनीत निगम पार्षदों को पहले शपथ दिलाये जाने पर सदन में हंगामा कर बीजेपी का पूरा खेल ही खराब कर दिया। सूत्रों के अनुसार यही आदेश आप के शीर्ष नेताओं ने अपने पार्षदों और विधायकों को दिए थे। 

आप की प्रमुख तीन आपत्तियां-

बीजेपी ने शुरुआत से ही बेईमानी की 

1. पीठासीन अधिकारी आप का बनाना था, लेकिन वह बीजेपी का बना दिया गया।  मुकेश गोयल सबसे वरिष्ठ पार्षद हैं और आप उनका नाम पीठासीन अधिकारी के लिए भेजा भी था। 

2, जो एल्डरमैन दिल्ली सरकार की सिफारिश पर बनते आए हैं, उनकी नियुक्ति में  एलजी ने अपनी मनमानी चलाई और दिल्ली सरकार को बाईपास कर कर बीजेपी के पार्षद नियुक्त कर दिए। 

3. मनोनीत निगम पार्षद भी मेयर और स्थाई समिति में वोट डालेंगे, ऐसा एमसीडी के इतिहास में कभी नहीं हुआ। यह असंवैधानिक माना जाता है। 

स्टैंडिंग कमेटी की अहमियत और अंकगणित :-

स्टैंडिंग कमेटी में 18 सदस्य होते हैं जो अपना चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का चुनाव करते हैं। इन 18 सदस्यों में 6 का चुनाव हाउस यानी सदन में होता है और 12 सदस्य 12 जोन से चुनकर आते हैं।

दरअसल सदन में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच स्थायी समिति सदस्यों के बीच  आमने-सामने मुकाबला है। अभी तक सदस्यों की संख्या के हिसाब से कुल 6 सीटों में बीजेपी को दो और आप को चार सीट मिल सकती है। बीजेपी की कोशिश है कि वह प्राथमिकता के आधार पर तीसरी सीट भी जीत ले और आप की कोशिश है कि वह अपनी तीसरी सीट बचा ले। यह ऐसा ही है जैसे सभा के लिए चुनाव होता है। बीजेपी ने ऐसा खेल किया है कि सदन में वह बराबरी पर आ जाये। यानी यहां मैच 3 -3 सदस्यों की संख्या के साथ पर छूट जाये और इसकी पूरी संभावना है। आप का आरोप है कि बीजेपी ने यहां कांग्रेस को भी मैनेज कर लिया है। 

स्टैंडिंग कमेटी में बहुमत के लिए बीजेपी का खेल जोन से जुड़ा होता है। दरअसल दिल्ली में नगर निगम के कुल 12 जोन हैं। यहां से हर जोन से एक सदस्य चुनकर आता है। 

इन 12 जोन में बीजेपी के पास चार जोन में स्पष्ट बहुमत है। 

1. केशव पुरम जोन, 2. नजफगढ़ जोन, 3. शाहदरा नॉर्थ, 4. शाहदरा साउथ। 

आम आदमी पार्टी के पास 8 जोन में बहुमत हैं 

सेंट्रल, सिटी यानी सदर पहाड़गंज, सिविल लाइन, करोल बाग़, नरेला, रोहिणी, साउथ और वेस्ट दिल्ली है। देखने की बात यह भी है कि इन जोन में 3 जोन ऐसे हैं, जहाँ बीजेपी ने बड़ा खेल किया है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि एलजी वीके सक्सेना बीजेपी कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे है।  उन्होंने दिल्ली सरकार को बाईपास कर जो 10 निगम पार्षद मनोनीत किये हैं। वे सभी बीजेपी कार्यकर्ता हैं। वे ऐसे जोन में नियुक्त किये हैं। जहाँ जोन चुनाव में बीजेपी को लाभ पहुंच सके। ये जोन हैं सिविल लाइन, नरेला और सेंट्रल जोन हैं। 

यहां का अंकगणित यह है –

सिविल लाइन –

सिविल जोन में आम आदमी पार्टी के 9 पार्षद हैं और बीजेपी के 6 पार्षद हैं। अब एलजी साहब ने इस जोन में 4 पार्षद मनोनीत किये हैं। लिहाज़ा यहाँ बीजेपी के पार्षदों की संख्या 10 हो गयी है। यानी कि अब यहां चेयरमैन और डिप्टी चैयरमैन बीजेपी का बन सकेगा।  वही स्थायी समिति का सदस्य भी बीजेपी का ही बन जाएगा।  

नरेला जोन में आप के 10 पार्षद हैं और बीजेपी के 6 पार्षद हैं। यहां एलजी वीके सक्सेना  ने 4 पार्षद मनोनीत किये हैं। यानी कि अब यहां बीजेपी की संख्या आप के बराबर यानी 10 हो गयी है। नार्थ एमसीडी  का यह वही नरेला जोन है जहाँ आम आदमी पार्टी ने बीजेपी का बहुमत होते हुए भी अपना चेयरमैन बना लिया था। अब बीजेपी यहाँ उसी का बदला ले सकती है। यानि यहाँ फैसला या तो टॉस से होगा या फिर अपना चैयरमैन बनाने के लिए दोनों पार्टियों को एक पार्षद जा जुगाड़ करना पड़ेगा। 

इसी तरह सेंट्रल जोन में आम आदमी पार्टी के 13 और बीजेपी के 10 पार्षद हैं।  एलजी  ने यहां दो पार्षद मनोनीत किये हैं। यानी कि अब यहां बीजेपी की संख्या 12 हो गयी है। यहां कांग्रेस और अन्य के भी दो पार्षद हैं। यानी बीजेपी इनकी मदद से यहाँ भी जोन में अपनी सत्ता बना सकती है। स्थायी समिति का सदस्य हासिल कर सकती है। बेशक कांग्रेस को यहाँ पर कोई पद देना पड़े।  

कुल मिलकर इन समीकरणों के बीच मेयर ,डिप्टी मेयर चुनाव के साथ ही एमसीडी में सबसे मजबूत माने जाने वाली स्टैंडिंग कमेटी पर भी बीजेपी का कब्जा होने के पूरे आसार हैं। यानी बीजेपी चुनाव हार कर भी एमसीडी की सत्ता हासिल को पूरी कोशिश करती हुए नजर आ रही हैं।

देखने की बात यह है कि जिस कांग्रेस को आप अपना मानकर चल रही थी उस कांग्रेस ने भी आप को सबसे ज्यादा झटका दिया है। आप को यकीन था कि कांग्रेस के पार्षद किसी भी हालत में बीजेपी के पाले में नहीं जाएंगे। इसके लिए “आप ” ने कांग्रेस अध्यक्ष से भी सीधी बात की लेकिन बीजेपी ने इसे भी मैनेज कर लिया। आखिर कांग्रेस को इससे क्या मिला ? क्योंकि वह बीजेपी का साथ देने को तैयार हो गयी ? तो जनाब यह भी देख लीजिये 

बीजेपी और कांग्रेस के बीच डील

एलजी साहब ने कांग्रेस के मुस्लिम पार्षद को साजिया दानिक्स को दिल्ली हज कमिटी का सदस्य बना दिया है वह भी शपथ लेने से पहले ही। आप के निगम पार्षद विकास गोयल ने एक टीवी चैनल पर सवाल उठाया कि एलजी साहब ने बिना शपथ लिए पार्षद को कैसे हज कमेटी का सदस्य बना दिया ? आप नेता विकास गोयल ने एक नेशनल टीवी चैनल पर यह भी दावा किया है कि सेंट्रल जोन में बीजेपी कांग्रेस को सेंट्रल जोन का चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का पद देकर उनसे स्थायी समिति का वोट लेने की डील की है। यानि कि इस जोन में कांग्रेस केवल दो पार्षदों के होते हुए भी यहां कांग्रेस अपना कब्जा कर सकती है। इस जोन में आप के 13 पार्षद हैं। बीजेपी के 10 और कांग्रेस और अन्य के 2, ये अन्य तो दो इस जोन में सत्ता की चाबी है, जिसे बीजेपी ने देकर स्थाई समिति के चाभी लेने की रणनीति बनाई है। लेकिन आप ने फिलहाल तो इनका खेल बिगाड़ ही दया है। अब देखना यह है कि आगे क्या होगा ? अब “आप ” काफी सतर्क जरूर हो गयी है पर एलजी वीके सक्सेना खुलकर बीजेपी के साथ हैं।  

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