MCD के दस नामित सदस्यों के मामले में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में ठन गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार को दरकिनार करते हुए एमसीडी में 10 ‘एल्डरमैन मनोनीत करने को असंवैधानिक बताते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखा है
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
नई दिल्ली । दिल्ली में कुछ भी हो और दिल्ली सरकार और एलजी में की तकरार न हो यह हो ही नहीं सकता। अब जब एमसीडी में मेयर चुनाव है तो दिल्ली सरकार और एलजी की एमसीडी के दस नामित सदस्यों के मामले में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल में ठन गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार को दरकिनार करते हुए एमसीडी में 10 ‘एल्डरमैन” मनोनीत करने को असंवैधानिक बताते हुए बृहस्पतिवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखा है। वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर आगे कोई कार्रवाई नहीं करने की सलाह दी है
कौन होते है एल्डरमैन ?
बता दें कि ‘एल्डरमैन” उन्हें कहा जाता है, जो अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। अलबत्ता, उन्हें महापौर चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं होता।
CM केजरीवाल ने कहा
केजरीवाल ने उपराज्यपाल को कहा कि परंपरागत रूप से, दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 3(3)(बी)(आई) के तहत मनोनयन से संबंधित सभी फाइल शहरी विकास विभाग के माध्यम से भेजी जाती हैं, जो नगर निगम का नोडल विभाग है। केजरीवाल ने सक्सेना को लिखे पत्र में कहा, “ऐसी फाइल की आवश्यकता होती है और अतीत में हमेशा शहरी विकास विभाग/ मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के समक्ष ये फाइल रखी जाती रही हैं। उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस स्थापित परंपरा से पूरी तरह हटकर और दिल्ली सरकार को दरकिनार करते हुए निगम आयुक्त ने सीधे उपराज्यपाल को फाइलें भेजीं। यह कानून व संविधान के विपरीत है।
सिसोदिया ने लिखा पत्र
सिसोदिया ने ‘एल्डरमैन” के मनोनयन के दौरान “निर्वाचित राज्य सरकार को दरकिनार करने के लिए निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती को पत्र लिखा है और उन्हें इस संबंध में कोई और कार्रवाई नहीं करने की सलाह दी है। सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में निर्वाचित दिल्ली सरकार को दरकिनार कर एमसीडी में नामित किए गए 10 सदस्यों के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने की सलाह भी दी है।
उप मुख्यमंत्री ने चिट्ठी में कहा है कि नामांकन की फाइलों को शहरी विकास विभाग एवं उसके प्रभारी मंत्री के कार्यालय को भेजे और वहां से स्वीकृति मिले बिना 10 सदस्यों को एमसीडी में नामित किया गया है, जबकि मैं विभाग का सक्षम प्राधिकारी हूं। पत्र में उन्होंने आगे कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर इस तरह की कार्यवाही का सहारा लिया गया है।
यह कहने के लिए पर्याप्त है कि यह अतीत में ऐतिहासिक रूप से इस तरह के नामांकन के तरीके के संबंध में स्थापित नियम व प्रक्रिया के विपरीत है। इस तरह के नामांकन से संबंधित फाइलें हमेशा नगर निगम द्वारा प्रशासनिक विभाग, अर्थात शहरी विकास विभाग के माध्यम से भेजी जाती हैं, जो दुर्भाग्य से वर्तमान में नहीं किया गया है।
सिसोदिया ने दी सलाह
सिसोदिया ने पत्र के आखिर में यह भी कहा है कि इस मामले को ध्यान में रखते हुए मैं आपको सलाह देता हूं कि आप उपरोक्त अवैध और गैर सलाह वाली अधिसूचना और विशेष रूप से इसके तहत 10 सदस्यों के शपथ ग्रहण के संबंध में और कोई भी कार्यवाही करने से बचें और कानून की स्थापित परंपरा का सम्मान करें, जिसे आप भी बेहतर जानते हैं।