- 382 निक्षय मित्रों ने 2597 टीबी मरीजों को अपनाया, पोषाहार के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी प्रदान कर रहे
फिरोजाबाद। जनपद को क्षय रोग मुक्त बनाने में जुटे स्वास्थ्य विभाग के कंधे से कन्धा मिलाकर विभिन्न संगठन और संस्थाएं कार्य करने को आगे आ रही हैं | इसी क्रम में जनपद में 382 निक्षय मित्र 2597 टीबी मरीजों को गोद लेकर उनके लिए पोषक आहार की व्यवस्था करने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करने में जुटे हैं | इसके अलावा नियमित दवा सेवन के लिए भी प्रेरित करते हैं | उनको यह भी समझाते हैं कि दवा बीच में छोड़ने से टीबी गंभीर रूप ले सकती है, जिसका इलाज लम्बा चलने के साथ ही शारीरिक कष्ट का भी सामना करना पड़ सकता है|
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डी. के. प्रेमी का कहना है कि जनपद को तभी टीबी मुक्त बनाया जा सकता है जब लक्षण दिखते ही लोग जाँच और इलाज को आगे आयें | यह सुविधा स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध है | उन्होंने कहा कि यह संकल्प तभी पूरा हो सकता है जब समाज का हर वर्ग इसमें सहभागिता दिखाए और घर-परिवार या किसी भी परिचित में दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी-बुखार, बलगम में खून आने, वजन गिरने या भूख न लगने की दिक्कत देखें तो स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए अवश्य भेजें |
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. ब्रजमोहन का कहना है कि जनपद की विभिन्न संस्थाएं, जन प्रतिनिधि तथा स्वास्थ्य अधिकारी निक्षय मित्र के रूप में आगे आये हैं | इन 382 निक्षय मित्रों द्वारा 2597 टीबी मरीजों को गोद लेकर पौष्टिक आहार के साथ जो भावनात्मक सहयोग प्रदान किया जा रहा है वह किसी वरदान से कम नहीं हैं | गोद लेने के बाद फोन पर हालचाल लेने और नियमित दवा का सेवन और पौष्टिक आहार पर ध्यान देने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं ।
जिला पीपीएम समन्वयक मनीष यादव का कहना है कि जनपद में वर्तमान में 3100 से अधिक टीबी मरीजों का उपचार चल रहा है।
उन्होंने बताया कि अप्रैल 2022 से अब तक 3000 से ज्यादा टीबी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।
लक्ष्मी फाउंडेशन ने 105, जीवन रक्षा फाउंडेशन ने 44, स्वास्थ्य अधिकारियों ने 134 रोगियों को गोद लेकर पोषण आहार की व्यवस्था की है। इसके अलावा जन प्रतिनिधियों ने भी बड़ी तादाद में टीबी मरीजों को गोद लेकर क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग किया है। इसके अलावा निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को इलाज के दौरान हर माह 500 रुपये भी पोषण के लिए प्रदान किये जा रहे हैं |
रामगढ़ निवासी 18 वर्षीया चांदनी (परिवर्तित नाम) का कहना है कि लगातार बुखार तथा भूख न लगने की शिकायत थी, लक्षणों की जानकारी होने के कारण सीधे टीबी अस्पताल में जांच कराई और टीबी की पुष्टि होने पर अप्रैल 2022 में उपचार शुरू हुआ| छह माह तक दवा खाने के बाद अब पूरी तरह ठीक हूँ | उनका कहना है कि लक्ष्मी फाउंडेशन संस्था ने पोषण सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही नियमित दवा सेवन तथा डॉक्टर से परामर्श लेने की भी सलाह दी। उपचार के दौरान निक्षय पोषण के तहत सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना की राशि भी प्राप्त हुई, जिससे पोषाहार लेने में सुविधा हुई।