30 जनवरी को शहादत दिवस के अवसर पर सैकड़ों जन संगठनों के नेता संकल्प सभा को संबोधित करेंगे, विपक्षी राजनीतिक दलों के नेता भी शहादत दिवस पर होंगे शामिल
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
‘नफरत छोड़ो, संविधान बचाओ अभियान’ देश में सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने तथा धर्म, जाति, लिंग, भाषा के आधार पर समाज को बांटने के प्रयासों के खिलाफ देश को एकजुट करने तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं एवं संविधान पर हो रहे हमले के खिलाफ व्यापक गोलबंदी करने के लिए देशभर में 9 अगस्त 22 से अब तक की गई 300 पदयात्राओं के बाद अभियान के दूसरे चरण में 26 जनवरी को पलवल से शुरू हुई पदयात्रा रविवार को बदरपुर बॉर्डर होकर गोकुलपुरी पहुंची।
पदयात्रा 26 जनवरी की सुबह 9 बजे गणतंत्र दिवस के अवसर पर पलवल (हरियाणा) की जाट धर्मशाला से ध्वजारोहण से शुरू हुई। सुबह 10 बजे पलवल रेलवे स्टेशन पर गांधी जी की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया गया । 11 बजे संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पलवल में आयोजित ट्रैक्टर रैली में सहभागिता की गई। पलवल बस स्टेशन पर आमसभा के पश्चात अल्लाहपुर तथा बाघोला में नुक्कड़ सभा के बाद शाम को पृथला में बड़े मंदिर में आमसभा के बाद पंचायत वाटिका में पदयात्रियों ने भोजन और रात्रि विश्राम किया ।
दूसरे दिन 27 जनवरी को सुबह 9 बजे बालिका इंटर कॉलेज में संवाद के पश्चात पदयात्रा सिकरी, कैल झाड़सेथली पहुंची जहां नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करने के पश्चात दोपहर भोजन के बाद वल्लभगढ़ में सभा हुई शाम 6 बजे बाटा चौक पर नुक्कड़ सभाएं करने के पश्चात रात 8 बजे वसंत वाटिका में रात्रि भोजन और विश्राम किया।
28 जनवरी को सुबह 10 बजे पदयात्रा की शुरुआत हुई, दोपहर में एन एच पी सी चौक में सभा और भोजन के पश्चात गोलचक्कर सूरजकुंड पर नुक्कड़ सभा हुई। पदयात्रियों ने खोरी गांव चर्च में रात्रि भोजन और विश्राम किया।
पदयात्रा के दौरान पर्चे बांटे गए, नुक्कड़ सभाएं की गई तथा नागरिकों से छोटे-छोटे समूहों में बातचीत कर यह बताया कि नफरत की राजनीति, समाज और देश को बर्बाद कर रही है।
विभिन्न नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि हम हर तरह के भेदभाव के खिलाफ है तथा संवैधानिक मूल्यों को बचाने और पुनर्स्थापित करने के लिए हम पदयात्रा के माध्यम से आम नागरिकों के बीच जाकर अपने विचार रख रहे हैं।
समाजवादी नेता अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि महात्मा गांधी, बाबा साहब अंबेडकर, भगत सिंह, अशफ़ाक उल्ला खां के रास्ते पर चलकर ही संविधान की रक्षा की जा सकती है तथा स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत को बचाया जा सकता है।
मैग्सेसे अवार्ड विजेता प्रफुल्ल सामंतरा ने कहा कि लोकतंत्र वादियों ने इमरजेंसी के दौरान जेल काटी थी लेकिन अब अघोषित इमरजेंसी के दौरान देश के नागरिकों की आवाज को कुचला जा रहा है।
किसान नेता डॉ सुनीलम ने कहा कि विकास का वर्तमान मोदानी मॉडल देश में गैर बराबरी और बेरोजगारी चरम पर पहुंचा रहा है। इसे संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा चलाए गए आंदोलन की तर्ज पर जनता के आंदोलन के द्वारा ही ध्वस्त किया जा सकता है।
उन्होंने गौतम अडानी को गिरफ्तार करने और अडानी अंबानी की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण करने की मांग की।
सामाजिक कार्यकर्ता फिरोज मीठीबोरवाला ने अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश सांप्रदायिक फासीवाद और आपराधिक पूंजीवाद का सामना कर रहा है, उसका मुकाबला जनशक्ति से ही किया जा सकता है।
खुदाई खिदमतगार के फैस़ल खान ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव बनाकर ही देश में विकास किया जा सकता है तथा देश की एकता, अखंडता को अक्षुण्ण रखा जा सकता है।
स्वराज इंडिया के प्रोफेसर अजित झा ने कहा कि पदयात्राओं से देशभर में लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और कारपोरेट की लूट को लेकर नई जागृति पैदा हुई है।
स्वराज इंडिया के नेता अविक शाहा ने कहा कि चुनाव आयोग, ईडी, सीबीआई के माध्यम से सरकार विपक्ष को कुचलने प्रयासरत है। इससे किसान और मजदूरों में आक्रोश पैदा हो रहा है।
युसूफ मेहेर अली सेंटर की नेत्री गुड्डी ने कहा कि युवाओं का असल मुद्दा बेरोजगारी है। लेकिन सांप्रदायिक ताकतें उनका इस्तेमाल सांप्रदायिक नफरत और घृणा फैलाने के लिए कर रही है। युवाओं को यह समझना होगा कि इससे उनका जीवन बर्बाद ही हो रहा है।
जन आंदोलनों के राष्ट्रीय सामान्य के वरिष्ठ नेता संजय मं गो. ने कहा कि देश को विकेंद्रीकृत ऊर्जा के मॉडल को अपनाने की जरूरत है ताकि उर्जा पर कारपोरेट के कब्जे को समाप्त किया जा सके एवं पर्यावरण संकट से देश को उबारा जा सके।
राष्ट्र सेवा दल के पूर्व महामंत्री शाहिद कमाल , सदाशिव मगदूम और नदाफ ने कहा कि जिस तरह जयप्रकाश जी के नेतृत्व में लोकतंत्र की बहाली के लिए छात्रों ने आंदोलन किया था उसी तरह का आंदोलन किसानों, मजदूरों और जनता के द्वारा आज खड़ा करने की जरूरत है।
अखिल भारतीय किसान सभा,पलवल के नेता धरमसिंह और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता महेंद्र सिंह ने कहा कि इस समय जरूरत किसान और मजदूरों के एकजुट आंदोलन की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान मजदूर की एकता को बढ़ाया है। पदयात्रा के माध्यम से इस दिशा में ठोस प्रयास देश भर में किए जा रहे हैं।
लखनऊ से आईं ऋतु और अररिया से आए तन्मय ने कहा कि एलजीबीटी और ट्रांसजेंडर समुदायों के साथ दशकों से भेदभाव जारी है उसे खत्म करने की जिम्मेदारी देश के जन संगठनों और जन आंदोलनों को लेनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश से आयी, मनरेगा कर्मियों के अधिकारों को लेकर ऋचा सिंह ने कहा कि मनरेगा योजना साल में 200दिन कम से कम 500 रूपये प्रति दिन मजदूरी पर गांव और शहर दोनों जगह चलाई जानी चाहिए। मजदूरी की गारंटी सरकार द्वारा दी जानी चाहिए।
ओडिसा के लिंगराज आजाद ने कहा कि नियमगिरि संबंधी फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने ग्राम सभा की सर्वोच्चता स्थापित की है। देशभर के जन संगठनों को ग्राम सभा और मोहल्ला सभाओं को मजबूती देने के लिए कार्य करना चाहिए।
28 और 29 जनवरी को खोरी में हुई सभाओं में खोरी के विस्थापितों के सम्पूर्ण पुनर्वास और गोकुलपुरी के रहवासियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई।
30 जनवरी को जंतर मंतर पर संकल्प सभा आयोजित की गई है। जिसे 10 से 1 बजे तक जन आंदोलनों के प्रतिनिधि तथा 1 से 3:30 बजे तक विपक्षी राजनीतिक दल के सांसद या विधायक संबोधित करेंगे।
संकल्प सभा को संबोधित करने वाले नेताओं में जन आंदोलनों के नेता सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, किसान नेता राकेश टिकैत , सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.सईदा हमीद, प्रो.आनंद कुमार, प्रशांत भूषण, प्रफुल्ल सामंतरा, अरुण श्रीवास्तव, फिरोज मीठीबोरवाला, संजय मं.गो., एड.आराधना भार्गव, शबनम हाशमी, डॉ सुनीलम, रमाशंकर सिंह, अंजलि भारद्वाज, मीनाक्षी सिंह, पूनम कौशिक, पूनम पंडित, फैस़ल खान, गुड्डी शामिल हैं।
राजनीतिक दलों के नेताओं में सीपीआई एम एल के महामंत्री दीपांकर भट्टाचार्य, पूर्व जेडीयू सांसद के सी त्यागी, जेडीयू सांसद अनिल हेगड़े, आप सांसद संजय सिंह, कर्नाटक विधानसभा पूर्व उपाध्यक्ष बी आर पाटिल, सांसद दानिश अली, एनी राजा (सीपीआई), असम से राइजोर दल के अध्यक्ष एवं विधायक अखिल गोगोई, बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक, सपा से तेजिन्दर सिंह विर्क, सी पी एम के राजीव कुंवर , टी एम सी के सांसद मोहम्मद नदीम उल हक सहित अन्य पार्टियों के नेता संबोधित करेंगे।
*नफ़रत छोड़ो संविधान बचाओ अभियान की राष्ट्रीय समन्वय समिति की ओर से*
*डॉ. जी.जी परीख, मेधा पाटकर, तुषार गांधी, शबनम हाशमी, अरुण श्रीवास्तव, डॉ.सुनीलम, फिरोज मीठीबोरवाला, अंजलि भारद्वाज, फैसल खान, गुड्डी, कृपाल सिंह मंडलोई और अली भोजानी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं।