glam orgy ho spitroasted.pron
total italian perversion. jachub teens get pounded at orgy.
site

Sahara India : तो क्या डूब जाएगा सहारा निवेशकों और जमाकर्ताओं का पैसा ?

जमाकर्ताओं को फंसाने के लिए क्यू शॉप और कोऑपरेटिव सोसायटी से अपने को अलग कर रहा है सहारा इंडिया का उच्च प्रबंधन!

सी.एस. राजपूत   

सहारा इंडिया से भुगतान पाने के लिए जमाकर्ताओं ने जो आंदोलन छेड़ रखा है और सहारा के निदेशक सुब्रत राय और ओपी श्रीवास्तव को जो घेर रहे हैं उसको जवाब देने के लिए सहारा का उच्च प्रबंधन एक बड़ी कुटिल चाल चल रहा है। सहारा उच्च प्रबंधन विभिन्न कोर्ट में हलफनामा पेश कर अपने को क्यू शॉप और कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी से अलग कर रहा है जबकि जमाकर्ताओं का अधिकतर पैसा क्यू शॉप और कॉपरेटिव क्रेडिट सोसायटी मे ही जमा हुआ है।

दरअसल जब सहारा इंडिया के प्रति रिजर्व बैंक सख्त हुआ था तो उच्च प्रबंधन ने जमाकर्ताओं को झांसे में लेकर क्यू शॉप में वह पैसा कनवर्जन करा लिया था। ऐसे में प्रश्न यह भी उठता है कि क्या कोर्ट में सहारा प्रबंधन अपने को क्यू शॉप और कॉपरेटिव क्रेडिट सोसायटी से अलग साबित कर पाएगा ? वैसे तो कोर्ट की सख्ती के चलते कर पाना मुश्किल है पर यदि सहारा उच्च प्रबंधन अपने को क्यू शॉप और कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी से अलग साबित करने में सफल हो गया तो जमाकर्ताओं के लिए एक बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी। कहीं ऐसा तो नहीं है कि सुब्रत राय, ओपी श्रीवास्तव और स्वप्ना राय ने इन सब बातों के अंदेशे के चलते अपने को इन कंपनियों से अलग कर रखा हो ?  


दरअसल सहारा के निवेशकों और जमाकर्ताओं के लिए उनका भुगतान जीने और मरने का प्रश्न बना हुआ है। निवेशकों से ज्यादा बुरी हालत जमाकर्ताओं (एजेंटों) की है। इसका बड़ा कारण यह है कि एक-एक जमाकर्ता का सहारा इंडिया पर कई-कई करोड़ रुपये है। लाखों रुपये के भुगतान वाले लाखों एजेंट बताये जाते हैं। इन जमाकर्ताओं की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि यह पैसा उन्होंने अपने परिचितों से ही जमा कराया है। ये परिचित इन जमाकर्ताओं को न केवल अपमानित कर रहे हैं बल्कि इनके घरों पर तोड़फोड़ भी कर रहे हैं। जब से इन निवेशकों को यह पता चला है कि उनका पैसा डूब भी सकता है तो उन्होंने जमाकर्ताओं पर पैसा देने का तगादा बना रखा है। इन निवेशकों का कहना है कि उन्होंने पैसा उन्हें दिया था न कि सुब्रत राय और ओपी श्रीवास्तव को।


दरअसल निवेशकों का तगादा इसलिए भी है क्योंकि उन्हें अपना पैसा मरने का अंदेशा होने लगा है। इसका बड़ा कारण है कि सहारा उच्च प्रबंधन विभिन्न कोर्ट में हलफनामा देकर अपने को कोआपरेटिव सोसायटीज से अलग दिखा रहा है। सिद्धार्थ नगर कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में लिखित हलफनामा देकर सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय, स्वप्ना राय, ओपी श्रीवास्तव ने अपने को कॉपरेटिव क्रेडिट सोसायटीज से अलग दिखाया है। 6 जनवरी को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में भी ओपी श्रीवास्तव ने कहा कि क्यू शॉप और को ऑपरेटिव सोसायटीज से उनका कोई लेना देना नहीं है।

हाल ही में ग्वालियर हाईकोर्ट में क्यू शॉप के डायरेक्टर और सहरा क्रेडिट कॉआपरेटिव सोसाइटी के मैनेजर डॉयरेक्टर करुणेश अवस्थी ने कहा है कि हमें कोई लेना देना नहीं है। उधर बिहार समस्तीपुर के जोनल चीफ अवधेश महतो का बयान आया है कि अभिकर्ता पैसा लाया है तो वही भुगतान करायेगा हमें सेसायटीज से कोई लेना देना नहीं है। सहारा की स्थिति यह है कि एक ओर उच्च प्रबंधन सोसायटी के भुगतान से अपने आप को अलग बता रहा है तो दूसरी ओर ब्रांच, सेक्टर, रीजन फ्रेंचाइजी मैनेजर अपनी सैलरी के लिए कम पढ़े लिखे लोगों से सादे कागज पर रुपये जमा करा भोले भाले लोगों को ठग रहे हैं।

दरअसल यह खेल सहारा प्रबंधन का उन जमाकर्ताओं को घेरने के लिए चल रहा है जो आंदोलन कर रहे हैं। सहारा प्रबंधन एक वार दे दो निशाने साध रहा है एक से अपने को भुगतान की जवाबदेही से अलग कर रहा है तो दूसरे जमाकर्ताओं को फंसा रहा है। जमाकर्ता सहारा प्रबंधन से अपना पैसा मांग रहे हैं तो सहारा प्रबंधन ने एक बड़ा खेल यह खेला है कि क्यू शॉप और कॉपरेटिव सोसायटी से पल्ला झाड़ कर कर जमाकर्ताओं को ही फंसा दिया जाए। क्योंकि पैसा तो जमाकर्ताओं ने ही जमा किया है। ऐसे में निवेशक जमाकर्ताओं के पास जा रहे हैं। 
दरअसल सहारा पर निवेशकों और जमाकर्ताओं का 2 लाख करोड़ से ऊपर का पैसा बताया जा रहा है। सहारा सेबी पर बात टाल कर मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है। सेबी और सुप्रीम कोर्ट के साथ ही सरकारों के रुख से भी नहीं लग रहा है कि निवेशकों और जमाकर्ताओं को इतनी आसानी से पैसा मिल जाएगा। 

टिप्पणियाँ
Loading...
bokep
nikita is hot for cock. momsex fick meinen arsch du spanner.
jav uncensored