आदित्य कुमार
जो लोग जाति धर्म का ढिंढोरा पीटते फिरते हैं उनसे मैं बता दूं कि इस देश में एक ऐसा व्यक्ति भी हुआ है, जिसके मां बाप का नहीं पता, जिसकी जाति का पता नहीं, धर्म का नहीं पता, जो पढ़ा लिखा नहीं था, जो अमीर नहीं था फिर भी उस व्यक्ति ने देश के परिवर्तन में बड़ी भूमिका निभाई। वह व्यक्ति जो लिख गए अच्छे पढ़े लिखे नहीं लिख पाए। पढ़े लिखे तो उस व्यक्ति पर पीएचडी करते हैं। उस शख्सियत का नाम है कबीर।
कबीर से हमें बहुत प्रेरणा मिलती है। हमें कबीर से प्रेरणा लेनी चाहिए। अभी मैं गांधी जी, जे पी, लोहिया और डॉक्टर अंबेडकर का नाम मैं प्रमुखता से ले रहा हूं, जिन्होंने भारतीय समाज में परिवर्तन और स्वतंत्रता आंदोलन में बिना किसी पद पर रहते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे यह प्रतीत होता है भारतीय जनमानस पदों पर बैठे हुए लोगों से सामाजिक परिवर्तन की अपेक्षा नहीं होती है बल्कि जो लोग संत, कलंदर, फकीर की परंपरा के हैं, उनसे परिवर्तन की आशा की जाती है। यही कारण है हमारे देश में नानक, बुद्ध, महावीर, राय दास, रसखान, रहीम, सरमद आदि को याद किया जाता है।
मैं आशा करता हूं भारतीय सोशलिस्ट मंच का प्रयोग अभी तो छोटे स्तर पर है. यह प्रयोग कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और असम से लेकर गुजरात तक चलेगा और देश में एक युवा और लोक कल्याणकारी मित्र की भावना से ओतप्रोत नेतृत्व पैदा होगा। वर्तमान समय में देश को संकट से मुक्त करेगा। व्यक्ति के अंदर अपार ऊर्जा का स्रोत है, यही मैत्री भाव सब प्रकार की गुलामी से व्यक्ति को मुक्त करता है और वह स्वयं ही अपने आप में एक मालिक बन जाता है।
इसलिए व्यक्ति सब प्रकार की गुलामी और सब प्रकार के विभाजन कारी नजरिए से मुक्त होता है तो उसके लिए सामाजिक परिवर्तन बहुत बड़ी घटना नहीं नहीं है। सामाजिक परिवर्तन आप की आंतरिक शक्तियों के कारण घटित हो रहा है। बहुत बड़े काम बुद्धि से नहीं हृदय से घटित होते हैं, एक बड़े उद्देश्य को आप उपलब्ध हो जाएंगे यही कारण है कि भारतीय सोशलिस्ट मंच सभी संगठनों से अलग हटकर काम कर रहा है।
(लेखक भारतीय सोशलिस्ट मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)