निवेशकों की जागरूकता से भुगतान के प्रति पूरी तरह से आशान्वित हैं बड्स एक्ट के तहत ठगी कंपनियों के खिलाफ दूसरी भारत यात्रा पर निकले मदन लाल आज़ाद, जप तप के बैनर तले लड़ी जा रही है निवेशकों की लड़ाई
सी.एस. राजपूत
सहारा इंडिया के साथ ही दूसरी ठगी कंपनियों के खिलाफ दूसरी भारत यात्रा पर निकले मदन लाल आज़ाद ने देश में एक बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया है। भुगतान पाने के लिए देशभर में निवेशक बड्स एक्ट के तहत जिला मुख्यालय पर फार्म भर रहे हैं। मदनलाल आज़ाद के हर कार्यक्रम में जबरदस्त भीड़ देखी जा रही है।
मदन लाल आज़ाद का कहना है कि या तो सरकार 23 मार्च शहीदी दिवस तक निवेशकों का भुगतान कर देगी नहीं तो शहीदी दिवस को दिल्ली में 20 लाख से अधिक निवेशक दिल्ली कर्तव्यपथ पर जुटेंगे और कर्तव्यपथ पर ही अपना भुगतान सरकार से लेकर रहेंगे।
दरअसल उत्तर प्रदेश में अलीगढ, हाथरस, बिजनौर, अमरोहा, जालोन, हमीरपुर, उन्नाव, झाँसी, प्रयागराज के अलावा बिहार, उत्तराखडं, झारखंड और मध्य प्रदेश में भी मदन लाल आज़ाद की भारत यात्रा को काफी सफलता मिली है।
ऐसे ही अब उनकी यात्रा, महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में भी जाने की बात की जा रही है। मदन लाल आज़ाद लगातर अपनी वीडियो जारी कर निवेशकों की न केवल शंकाओं को दूर कर रहे हैं बल्की बड्स एक्ट के तहत लड़ाई लड़ने का तरीका भी बता रहे हैं।
मदनलाल आज़ाद की लड़ाई में वैसे तो देशभर के निवेशक उनका साथ दे रहे हैं पर राष्ट्रीय महासचिव रमेश सिंह और उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एस.डी. विश्वकर्मा उनके कंधे से कन्धा मिलाकर चल रहे हैं।
इस यात्रा के बारे में मदन लाल आज़ाद का कहना है कि दूसरी भारत यात्रा में निवेशक अपने हक़ की लड़ाई लड़ने को जागरूक हो गए हैं। उनके जाने पर भी आंदोलन को संभालने वाले बहुत से निवेशक तैयार हो गए हैं। अडानी समूह को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बारे में मदन लाल आज़ाद का कहना है कि अभी वह अपना ध्यान निवेशकों का पैसा दिलवाने में लगाना चाहते हैं। हालांकि अडानी ग्रुप कोई लेकर उन्होंने इतना जरूर कहा है कि उन्होंने जो विभिन्न अख़बारों या फिर सोशल मीडिया पर देखा है पढ़ा है उसके अनुसार इस मामले में जांच तो बनती है।
मदन लाल आज़ाद को पूरा विश्वास है कि उनका आंदोलन निवेशकों का पैसा दिलवा देगा। उनका कहना है कि न तो सरकार क्रांति चाहती है और न ही वह चाहते हैं। बस निवेशकों का पैसा मिल जाये और वह तपस्या करने में लग जाएं। उनका यह भी कहना है कि यदि निवेशकों का भुगतान नहीं हुआ तो इस पूरी व्यवस्था को उखाड़ फेंक दिया जाएगा।