मन सच्चा ही जानिए, सकल गुणों की खान
दिया संत रविदास ने, ये सुन्दर पैगाम
जात-पात मन की कलह, सच्चा है विश्वास
राम नाम सौरभ भजें, पंडित और’ रैदास
वाणी जीवन सार है, वाणी मृदु अहसास
तुलसी, सूर, कबीर हो, या नानक, रविदास
तुलसी, मीरा, सूर हो, या कबीर, रैदास
बांटे सबको प्रेम की, मंजुल, मधुर मिठास
कहते है रैदास ये, रखिये सौरभ नेह
माटी में मिल जाएगी, ये माटी की देह
जाती वर्ण कुल है रहे, बस झूठे सम्मान
मन करुणा मानवता, से हो मनुज महान
मैल न मन में राखिये, कहते हैं रविदास
चार दिनों की जिंदगी, हंसकर कर लो खास
-डॉ सत्यवान सौरभ