Thursday, November 7, 2024
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Delhi : सिसोदिया अब मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत हो सकते हैं गिरफ्तार, ED का दावा- घोटाले में शामिल होने के पुख्ता सबूत

दिल्ली आबकारी नीति घोटाले (Delhi Excise Policy 2021-22) में भ्रष्टाचार के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजे गए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत शिकंजा कसने की तैयारी है।

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

नई दिल्ली । दिल्ली आबकारी नीति घोटाले (Delhi Excise Policy 2021-22) में भ्रष्टाचार के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजे गए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत शिकंजा कसने की तैयारी है। ईडी ने तिहाड़ जेल के भीतर सिसोदिया से पीएमएलए के कड़े प्रावधानों के तहत पूछताछ की। ध्यान देने की बात है कि पीएमएलए में पूछताछ के दौरान आरोपी के दिये बयान को अदालत में सबूत माना जाता है।


ईडी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार दूसरी चार्जशीट में दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में मनीष सिसोदिया की सक्रिय भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी भी दी है, जिसमें सिसोदिया पर घोटाले के खुलासे के बाद अपने पांच मोबाइल फोन नष्ट कर सबूत मिटाने का आरोप लगाया है।

चार्जशीट में मनीष सिसोदिया द्वारा नष्ट किये गए अपने मोबाइल का पूरा विवरण भी दिया गया है। इसके अलावा सिसोदिया के खिलाफ उनके ही पीएस सी अर¨वद का बयान अहम साबित हो सकता है।


सी अरविंद डानिक्स सेवा के अधिकारी हैं और ईडी को दिये अपने बयान में उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडलीय समूह (जीओएम) के प्रमुख के रूप में मनीष सिसोदिया ने ही सबसे पहले होलसेलर्स को 12 फीसद लाभ देने वाले प्रावधान शामिल करने का निर्देश दिया था।

सी अरविंद के अनुसार, सिसोदिया ने मुख्यमंत्री के आवास पर बुलाकर एक नोट सौंपा था और उसी नोट के आधार पर जीओएम की रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। इसी नोट में 12 फीसद लाभ की बात थी, जबकि इसके पहले जीओएम की किसी भी बैठक में 12 फीसद लाभ देने पर चर्चा तक नहीं हुई थी। मनीष सिसोदिया से ईडी इसके बारे में विस्तार से स्पष्टीकरण देने को कहेगी।


इसके साथ ही उनसे यह भी पूछा जाएगा कि नई आबकारी नीति घोषित होने के पहले ही शराब कारोबारियों तक कैसे पहुंच गई। दिल्ली के आबकारी मंत्री के रूप में इसकी गोपनीयता की जिम्मेदारी उनकी बनती थी। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी मनीष सिसोदिया की पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी की आशंका को खारिज नहीं किया।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूछताछ में संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने की स्थिति में ईडी अदालत से मनीष सिसोदिया को उसकी हिरासत में भेजने का अनुरोध कर सकती है। यदि अदालत की अनुमति मिली तो सिसोसिया को जेल से ही ईडी अपने हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है।


पीएमएलए में गिरफ्तारी की स्थिति में सिसोदिया को जमामत मिलने की उम्मीद धुंधली हो सकती है। भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आरोपी को दोषी साबित करने की जिम्मेदारी एजेंसी की होती है, जबकि पीएमएलए में अदालत के सामने खुद को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी की हो जाती है। यही कारण की पीएमएलए में गिरफ्तार आरोपी की जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है।

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