उबर और ओला जैसे ऐप बुक किए गए आटो रिक्शा पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की केंद्र सरकार की अधिसूचना पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी है। पीठ ने कहा कि जीएसटी लगाया जाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है।
नई दिल्ली । उबर और ओला जैसे ऐप बुक किए गए आटो रिक्शा पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की केंद्र सरकार की अधिसूचना पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी है। न्यायमूर्ति मनमोहन व मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इसे वैध करार देते हुए कहा कि ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के वर्गीकरण को कानून के तहत मान्यता प्राप्त है। ऐसे में इससे संबंधित अधिसूचनाओं में भेदभाव नहीं है। पीठ ने कहा कि जीएसटी लगाया जाना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने नवंबर 2021 में केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली उबर इंडिया की याचिका खारिज कर दी।
याचिका में तर्क दिया गया था कि अधिसूचना के बाद यदि कोई आटो-चालक ऐप के माध्यम से खुद को पंजीकृत करता है और ऐसे प्लेटफार्मों के माध्यम से पहचाने गए यात्रियों को यात्री सेवाओं का परिवहन प्रदान करता है तो उसे मिलने वाले किराए पर पांच प्रतिशत या 12 प्रतिशत जीएसटी देना होगा, जबकि सड़क पर आफलाइन तरीके से चलने वाले आटो की सवारी पर ऐसा कोई कर लगाने की योजना नहीं है। ऐसे में अधिसूचनाएं संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करके भेदभाव करती हैं। सरकार के निर्देश उचित वर्गीकरण के परीक्षण को पूरा करने में विफल रहे हैं।