जिला अस्पताल व जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर मनाया गया विश्व तम्बाकू निषेध दिवस
तम्बाकू उत्पादों का सेवन न करने की ली गई शपथ
नोएडा । “मैं शपथ लेता हूं कि मैं अपने जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार के तम्बाकू उत्पादों का उपयोग या सेवन नहीं करूंगा एवं अपने परिजनों, मित्रों या परिचितों को भी तम्बाकू का सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करुंगा। इसके अलावा मैं अपने पर्यावरण को भी तम्बाकू उत्पादों के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाने में योगदान करूंगा।” बुधवार को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर जिला अस्पताल व जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर यह शपथ दिलायी गयी। इसके अलावा जिला अस्पताल में राजकीय महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जनसमुदाय को तम्बाकू सेवन से होने वाले नुकसान के प्रति आगाह किया।
नाटक की शुरुआत “तम्बाकू हटाना है जीवन बचाना है” के नारे के साथ हुई। नाटक में दिखाया गया कि चार दोस्त बैठे हैं सिगरेट पी रहे हैं, तभी एक और दोस्त आता है सभी उसे सिगरेट ऑफर करते हुए कहते सुट्टा मार यार, कुछ नहीं होगा। वह सभी को सिगरेट न पीने को कहता है और समझाता है कि इससे कैंसर हो सकता, फेफड़े खराब हो सकते हैं। इसे मत पिया करो। तभी सिगरेट पीने वाले एक लड़के को जोर-जोर से खांसी होने लगती है। वह बताता है यह सिगरेट पीने का नतीजा है।
नाटक के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने तम्बाकू सेवन से होने वाले नुकसान, बीमारियों के बारे में बताया साथ ही बताया कि इस लत को कैसे छोड़ा जा सकता है। तम्बाकू की लत छोड़ने के लिए थ्रीडी फार्मूला बताया। डी- डिले यानि टालना। जब भी तलब लगे तो उसे टालने का प्रयास करें। इसे पांच-सात मिनट तक टालें। दूसरा डी- डिस्ट्रैक्ट यानि ध्यान हटाना। जब भी सिगरेट पीने का विचार आये उससे ध्यान हटाएं, धीरे-धीरे इधर उधर टहलें। तीसरा डी- हाइड्रेट- यानि ज्यादा से ज्यादा पानी पीना। अधिक से अधिक पानी मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है। नाटक के माध्यम से बताया गया कि तम्बाकू लत छोड़ने से तुरंत फायदे होते हैं।
उपचार शुरू होते ही रक्त से कार्बन मोनो आक्साइड का लेबल खत्म हो जाता है। दो दिन में खुशबू और स्वाद महसूस होने लगता है। एक महीने में फेफड़े ठीक होना शुरू हो जाते हैं। एक साल में हृदय रोगों का खतरा काफी कम हो जाता है।
जिला तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की जिला कार्यक्रम समन्वयक डा. श्वेता खुराना ने कहा- सिगरेट और तम्बाकू की आदत बचपन या युवावस्था से लग जाती है, जो भविष्य में हमारी उत्पादकता को कम कर सकती है, इसलिए स्कूल कालेज के आसपास तम्बाकू युक्त पदार्थों की बिक्री पर लगी पाबंदी का सख्ती के साथ पालन होना चाहिए, जिससे हम देश के स्वास्थ्य और आर्थिक सूचकांक में होने वाली हानि को बचा सकें। गौरतलब है कि तम्बाकू नियंत्रण कानून (कोटपा एक्ट-2003) के तहत नाबालिगों को और नाबालिगों द्वारा तम्बाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है। इसके अलावा किसी भी शैक्षिक संस्था के सौ गज के दायरे में किसी भी तरह के तम्बाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है।
राजकीय डिग्री कालेज के धूम्रपान एवं तम्बाकू प्रकोष्ठ की संयोजक डा. प्रिया सिंह, सह संयोजक डा. शालिनी सोनी के निर्देशन में दस सदस्यीय टीम ने नाटक प्रस्तुत किया, जिसमें आसिफ,सौरभ, राम, राहुल, रौनक, निशा, आयशा, नैंसी, शिल्पी विवेक ने प्रमुख किरदार निभाये। कार्यक्रम में जिला तम्बाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की ओर से विकास, अजहर, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम से सोनी, रजनी सूरी, शिवानी आदि का विशेष सहयोग रहा।