क्या केंद्र सरकार दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी वीके सक्सेना के अधिकारों को लेकर केजरीवाल के पक्ष में दिए गए सुप्रीम के आदेश की अवमानना पर उतारु हो गई है। सर्विसेज सचिव के ट्रांसफर मामले को लेकर कोर्ट गए अरविंद केजरीवाल जिस तरह से केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है उससे तो यही लग रहा है। मतलब सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी केंद्र सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखता है। तो केजरीवाल ऐसे ही केंद्र पर उनके काम में रोड़ा बनने का आरोप नहीं लगाते रहे हैं।
दरअसल केंद्र सरकार और केजरीवाल सरकार की लड़ाई इस नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है कि जिस भी सरकार का पलड़ा नीचे होता है उसे अपना अपमान दिखाई देने लगता है। मोदी सरकार तो वैसे भी देश में किसी को कुछ नहीं समझ रही है। केजरीवाल के मामले में तो कतई नहीं झुकने को तैयार नहीं है। वैसे भी केजरीवाल के अवसर के नवीनीकरण में 45 करोड़ का खर्च दर्शाकर बड़ी मुश्किल से केजरीवाल पर दवाब बनाया था। अब जब केंद्र सरकार अपने सांसद के खिलाफ अंतर राष्ट्रीय स्तर के पहलवानों के यौन शोषण के आरोप नहीं सुन रही है तो केजरीवाल के दबाव में कैसे आ जाएगी ? वह भी उस केजरीवाल के जो हर मामले में केंद्र सरकार के खिलाफ चढ़कर बोलते हैं।