Friday, November 8, 2024
spot_img
Homeअन्यNoida News : टीबी मरीजों की जांच और उपचार के लिए सीएचओ...

Noida News : टीबी मरीजों की जांच और उपचार के लिए सीएचओ को किया गया प्रशिक्षित

मरीजों के नजदीकी संपर्क वालों की जांच और प्रिवेंटिव थेरेपी के बारे में भी बताया, दस्तक अभियान की तैयारी, कार्ययोजना को लेकर भी की गयी चर्चा

नोएडा । क्षय उन्मूलन कार्यक्रम को ब्लॉक स्तर पर मजबूत बनाने के लिए आयुष्मान भारत- हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसे और मजबूत बनाने के लिए विगत दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को ब्लॉक वार प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बताया गया कि धरातल स्तर पर किस तरह काम किया जाना है।


जिला क्षय रोग अधिकारी डा. शिरीष जैन ने बताया- प्रशिक्षण के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को टीबी के लक्षण के बारे में बताया गया। उन्हें बताया गया कि दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी के साथ बलगम या खून आना, सीने में दर्द, शाम के समय बुखार आना, रात में सोते समय पसीना आना और वजन कम होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। ओपीडी में आने वाले रोगियों में य‌दि इनमें से कोई लक्षण नजर आते हैं तो उनकी टीबी की जांच करानी चाहिए। जांच कराते समय निक्षय पोर्टल पर मरीज का पंजीकरण भी जरूरी है। जांच में यदि टीबी की पुष्टि होती है तो पोर्टल पर उसे पॉजिटिव दर्ज करते हुए उपचार शुरू कराएं और यदि टीबी की पुष्टि नहीं होती तो पोर्टल पर निगेटिव दर्शाकर अपलोड करें ।
उन्हें बताया गया कि टीबी की पुष्टि होने पर उपचार शुरू करने के साथ ही रोगी की बैंक डिटेल पोर्टल पर अपलोड करनी भी जरूरी है ताकि मरीज को निक्षय पोषण योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाए। सीएचओ को बताया गया कि मरीज के नजदीकी संपर्क वालों की टीबी जांच भी करानी जरूरी है। घर में पांच वर्ष तक के बच्चों को टीबी प्रीवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) देनी है।
डा. जैन ने बताया- मरीजों की अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए डायबिटीज और एचआईवी जांच भी करानी है। उपचार के दौरान काउंसलिंग भी कितनी जरूरी है, इसके बारे में भी सीएचओ को बताया गया। काउंसलिंग में बताना है कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, नियमित उपचार से यह पूरी तरह ठीक हो जाती है। इसे छिपाना नहीं चाहिए। लक्षण नजर आते ही इसकी जांच कराएं और पुष्टि होने पर तुरंत उपचार शुरू करें, ताकि उनके परिजनों का भी बचाव हो सके।
सीएचओ को बताया गया कि टीबी मरीजों को यह भी बताएं कि खांसते, छींकते और बोलते समय मुंह से निकलने वाली ड्रॉपलेट से टीबी फैलती है। इसलिए अपने परिजनों से कम से कम दो गज की सुरक्षित दूरी बनाकर रखें। बंद कमरे या एसी वाले कमरे शेयर न करें। भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाते समय मास्क जरूर लगाएं। इससे अन्य लोगों को होने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है।
प्रशिक्षण के दौरान सीएचओ को बताया गया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में ग्राम प्रधान को साथ लेना जरूरी है। उनकी मदद से सामुदायिक स्तर पर लोगों को टीबी के प्रति जागरूक किया जा सकता है। इसके अलावा वीएचएनडी (ग्राम्य स्वास्थ्य पोषण दिवस) पर भी लोगों को टीबी के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि लोग यह जान सकें कि यह संक्रामक रोग है। एहतियात बरत कर इसे फैलने से रोका जा सकता है।
क्षय रोगियों को काउंसलिंग के दौरान यह बताना भी जरूरी है कि प्रोटीन युक्त पदार्थों का सेवन उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है। प्रोटीन युक्त आहार का सेवन मरीज की रिकवरी में मदद करता है। सरकार इसके लिए निक्षय पोषण योजना के तहत क्षय रोगी के बैंक खाते में उपचार चलने तक हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान करती है, इसलिए निक्षय पोर्टल पर बैंक डिटेल और आधार अपलोड करना जरूरी होता है। प्रशिक्षण के दौरान 17 जुलाई से शुरू होने वाले दस्तक अभियान की तैयारियों और कार्ययोजना को लेकर चर्चा की गयी। प्रशिक्षण कार्यक्रम में उप जिला क्षय रोग अधिकारी डा. आरपी सिंह, वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक, वरिष्ठ प्रयोगशाला पर्यवेक्षक भी मौजूद रहे। जनपद के सभी ब्लॉक दादरी, बिसरख, जेवर, दनकौर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को बारी-बारी से प्रशिक्षण दिया गया।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments