बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी हुए बिना क्या सरकार से मीटिंग करना सही है आंदोलित पहलवानों का स्टैंड ?
विनेश फोगाट की बिना कैसे मीटिंग कर ले रहे हैं बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक ?
चरण सिंह राजपूत
पहलवानों का आंदोलन किस मुद्दे को लेकर शुरू हुआ था ? आंदोलन का मुख्य चेहरा कौन था ? गृह मंत्री अमित शाह और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से मीटिंग के समय आंदोलन का मुख्य चेहरा था क्या ? क्या कुश्ती फेडरेशन में बृजभूषण शरण सिंह के परिवार के किसी सदस्य के भाग न लेने पर समस्या का हल हो जाएगा।
जी हां। अमित शाह और खेल मंत्री के साथ मीटिंग में बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक तो थे पर आंदोलन का मुख्य चेहरा विनेश फोगाट इन मीटिंग में शामिल नहीं हुईं। उनका कहना है कि जब तक बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो जाती तब तक इन मीटिंगों का क्या मतलब है ?
दरअसल आंदोलन की एक ही मुख्य मांग रही है कि बृजभूषण शरण को गिरफ्तार करो। क्या बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी हो गई है ? या फिर सरकार उनकी गिरफ्तारी कराने को तैयार है ? यदि नहीं तो फिर बात सकारात्मक कैसे हो रही है ? मीटिंग में तो डॉन मांगें प्रमुखता से रखी जा रही हैं। एक बृजभूषण शरण के परिवार से में से कोई चुनाव न लड़े और उन पर लगे मुकदमे वापस हों। ऐसे में प्रश्न उठता है कि बृजभूषण के परिवार के सदस्यों को सरकार चुनाव लड़ने से रोक सकती है ? जहां तक यौन शोषण की बात है तो यदि बृजभूषण शरण की पत्नी चुनाव लड़ जाती हैं तो फिर ? तो क्या पहलवानों की यह मांग बृजभूषण शरण सिंह और उनके समर्थकों बोलने का मौका नहीं दे रही है ?
क्या बृजभूषण शरण सिंह और उनके समर्थक आंदोलन को राजनीति से प्रेरित नहीं बताते रहे हैं ? क्या कुश्ती फेडरेशन पर बृजभूषण शरण सिंह के कब्जे को छुड़ाने के लिए यह सब हो रहा था ? क्या बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक फेडरेशन का चुनाव लड़ने जा रहे हैं ? क्या किसी व्यक्ति के दबाव में यह मांग प्रमुखता से रखी जा रही है ?
दरअसल इस आंदोलन पर यह आरोप लगता रहा है कि कुश्ती फेडरेशन लम्बे समय तक हरियाणा और जाटों के कब्जे में रही है। अब यूपी के एक राजपूत नेता के लगातार तीसरी बार फेडरशन का अध्यक्ष बनने पर हरियाणा के पहलवानों और कोचों को दिक्कत थी ? क्या यह सब कुश्ती फेडरेशन के लिए हो रहा था ? 15 जून तक कोई आंदोलन न होना मतलब आंदोलनकारियों में निराशा। वैसे भी किसान और खाप पंचायतें पहलवानों के समर्थन में आई थी। क्या गारंटी है कि 15 दिन बाद खाप पंचायतें और किसान संगठन उनके समर्थन में खड़े हो जाएंगे ? वैसे भी 15 दिन में जो चार्ज शीत कोर्ट में सौंपी वाह जगजाहिर हो चुकी है। नाबालिग लड़की के बयान बदलने के बाद केस में कुछ नहीं रहा है। जब नाबालिग लड़की का केस भेदभाव का माना जा रहा है तो फिर दूसरे पहलवान के बयानों पर भी संदेह जाएगा।