कभी सहारा मीडिया में अधिकारी रहे रामवीर सिंह, टीबी श्रीवास्तव और शरद अग्रवाल के साथ ही दूसरे अधिकारी मिले एडिशनल लेबर कमिश्नर से, नोएडा डीएलसी ने सहारा मीडिया में मारा छापा सहारा मीडिया के एचआर हेड रहे रामवीर सिंह, टीबी श्रीवास्तव शरद अग्रवाल के साथ ही कई अधिकारियों ने अपने भुगतान को लेकर मंगलवार को कानपुर में लेबर कमिश्नर लोकेश एम से मुलाक़ात की। इस मुलाकात का असर यह हुआ कि लेबर कमिश्नर ने नोएडा डिप्टी लेबर कमिश्नर धर्मेंद्र सिंह को सहारा मीडिया में जाकर मामले को जानने के आदेश दिए। ये लोग पीएफ कमिश्नर एम त्रिपाठी और मुख्य सचिव से भी मिले हैं।
डिप्टी लेबर कमिश्नर नोएडा में सहारा नोएडा कैंपस में डेरा डाला और तमाम फाइलों को अपने कब्जे में लेकर अधिकारियों से पूछताछ की। गेट पर सुरक्षाकर्मियों ने के रोकने से नाराज धर्मेंद्र सिंह ने सहारा प्रबंधन पर पूरी सख्ती कर रखी है।
सहारा के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले इन अधिकारियों का कहना है कि प्रिंट मीडिया में काम कर रहे कर्मचारियों का जो पैसा मजीठिया के अंतर्गत आता है संस्था ने दबा रखा है । जिसे संस्था किसी भी कीमत पर देना नहीं चाहती है। उसे लेने के लिए इनसे मोर्चा लेना होगा।
इन लोगों का का कहना है कि जो पैसा सितंबर 2016 में मजीठिया के रूप में बढ़ाया गया था। असल में वह 11- 11 – 2011 से मिलना था जिसे सितंबर 2016 से दिया गया है। जो वेतन 2008 में था उसका 30% वेतन, माह जनवरी 2008 से 11-11-11 तक मिलना था जो नहीं दिया गया है। जुलाई 2019 फिर जुलाई 2020 फिर जुलाई 2021 और फिर जुलाई 2022 में ARI (एनुअल इंक्रीमेंट) तथा DA बड़ा कर दिया जाना था, उसे नहीं दिया गया। हर 5 वर्ष में एक प्रमोशन मिलना होता है। जो नहीं मिला है। इस पैसे पर 18% ब्याज भी बनता है।
इन आंदोलनकारियों का कहना है कि मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार जहाँ वेतन फिक्स होना चाहिए था, उस ग्रेड से वेतन नीचे फिक्स कर दिया गया है यानी कि आपकी जो ग्रॉस सैलरी मजीठिया के अनुसार होनी थी वह नहीं दी गई। चालाकी से कम फिक्स करके आपको समझा दिया। इसके लिए आपको मजीठिया वेज बोर्ड की रिकमेंडेशन पढ़कर अपने पद के अनुसार फिक्सेशन कराना होगा। वास्तव में, आपको तब पता चलेगा कि आप को कितना वेतन मिलना चाहिए था।