Delhi Government Hospitals क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में प्रसूति विशेषज्ञों के कई पद खाली पड़े है। जिसके कारण छुट्टी वाले दिन इन अस्पतालों में विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं होते है। आलम यह है कि रविवार व अन्य सरकारी छुट्टी वाले दिन 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल (डीडीयू) रेफर किया जाता है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि अस्पताल में दो प्रसूति विशेषज्ञ हैं।
खानापूर्ति के लिए चलाई जा रही ओपीडी
गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में रोजाना होते हैं 10 से 12 प्रसव
छुट्टी वाले दिन जूनियर चिकित्सक के कंधों पर होती है प्रसूति विभाग की जिम्मेदारी
पश्चिमी दिल्ली, जागरण संवाददाता। क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में प्रसूति विशेषज्ञों के कई पद खाली पड़े है। जिसके कारण छुट्टी वाले दिन इन अस्पतालों में विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं होते है।
आलम यह है कि रविवार व अन्य सरकारी छुट्टी वाले दिन 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल (डीडीयू) रेफर किया जाता है। इसके अलावा अस्पताल में छुट्टी वाले दिन प्रसूति विभाग की जिम्मेदारी जूनियर चिकित्सक के कंधों पर होती है, जो मरीज की जान के लिए खतरा है।
नहीं है प्रसूति विशेषज्ञ
जाफरपुरकलां स्थित राव तुला राम अस्पताल में स्थिति इतनी खराब है कि यहां रात के समय भी अस्पताल में प्रसूति विशेषज्ञ नहीं रहती हैं। जिसके कारण महिलाओं को 21 किलोमीटर की दूरी तय कर डीडीयू अस्पताल आना पड़ता है। असल में यहां केवल एक ही प्रसूति विशेषज्ञ हैं।
वहीं, मोती नगर स्थित आचार्य श्री भिक्षु अस्पताल व ख्याला स्थित गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में भी दो प्रसूति विशेषज्ञ हैं। इन अस्पतालों में भी कई बार रात के समय विशेषज्ञ नहीं रहती हैं। उधर, द्वारका स्थित इंदिरा गांधी अतिविशिष्ट अस्पताल में आपरेशन थिएटर शुरू नहीं होने के कारण प्रसूति विभाग यहां पूर्ण रूप से अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
खानापूर्ति के लिए यहां ओपीडी चलाई जा रही है। एक तरफ सरकारी अस्पतालों में बेड विस्तार की प्रक्रिया जारी है, दूसरी तरफ स्वास्थ्य कर्मचारियों के पदों को भरने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। ऐसे में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं किस प्रकार मिलेगी।
सुविधाओं का अभाव बता, किया रेफर
विष्णु गार्डन निवासी जसबीर सिंह ने बताया कि रविवार सुबह उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। सुबह छह बजे वह उन्हें गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर आएं। यहां करीब एक से डेढ़ घंटे में जांच के बाद चिकित्सकों ने उन्हें घर भेज दिया। दोपहर करीब 12 बजे वह पुन: अस्पताल पहुंचे। करीब एक घंटे बाद जब उनकी बारी आई तो चिकित्सकों ने जांच के बाद उन्हें डीडीयू अस्पताल रेफर कर दिया।
चिकित्सकों ने कहा कि मरीज का खून अधिक बह गया है, जिसके कारण आपरेशन करना होगा। इस दौरान महिला को खून चढ़ाना पड़ेगा और उनके अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं है। जसबीर फौरन वहां से अपनी पत्नी को लेकर लेकर और डीडीयू अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया।
जसबीर ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में चिकित्सीय परामर्श से लेकर डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराने की प्रक्रिया में उन्हें करीब चार घंटे लग गए और यदि इस बीच मां या बच्चे को कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदारी लेता। जसबीर ने बताया कि गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल की इमरजेंसी में आई ऐसी दस अन्य गर्भवती महिलाओं को भी चिकित्सकों ने डीडीयू रेफर कर दिया।
अस्पताल प्रशासन का पक्ष
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि अस्पताल में दो प्रसूति विशेषज्ञ हैं। छुट्टी वाले दिन डीएनबी व जूनियर चिकित्सक प्रसव के मामलों व वार्ड को संभालते हैं। पर जटिल मामलों में मरीज को डीडीयू अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।
असल में छुट्टी वाले दिन भी विशेषज्ञ को बुलाने से बचा जाता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में वह अगले दिन छुट्टी लेंगे और सोमवार को काम का दबाव अधिक होता है और एक चिकित्सा विशेषज्ञ के लिए अकेले संभालना थोड़ा कठिन होता है। बता दें, गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में रोजाना 10 से 12 प्रसव होते है।