Friday, November 8, 2024
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Delhi : जनहित में इतिहास रच रही माया केयर फाउंडेशन 

मंजिरी जोशी, उनके पति अभय जोशी और उनकी माता डॉ. विद्या गोखले ने 2009 में की थी स्थापना 

बुजुर्गों की सेवा करने और सुविधा देने में पाई प्रसिद्धि 

सभी काम करते हैं दिव्यांग लोग 

अभय जोशी और मंजिरी जोशी को हाल ही में रोटरी सिकोस्ट सर्विस एक्सलेंस पुरस्कार से किया गया है सम्मानित

दिल्ली दर्पण ब्यूरो 

नई दिल्ली। माया केयर फाउंडेशन जनहित के काम में इतिहास रच रही है। इस संस्था की विशेषता यह है कि इसका संचालन विकलांग व्यक्ति करते हैं। बुजुर्गों की सेवा के लिए माया केयर फाउंडेशन ने बड़ी प्रसिद्धि हासिल की है। माया केयर फाउंडेशन के अभिभावकअभय जोशी और मंजिरी जोशी ने कई रिवार्ड हासिल किये हैं।  

दरअसल माया केयर फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2009 में मंजिरी जोशी, उनके पति अभय जोशी और उनकी माता डॉ. विद्या गोखले ने की थी। माया केयर फाउंडेशन के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा मदद, भावनात्मक आधार बौद्धिक विकास की सुविधा दी जाती है। अब तक 17000 से भी अधिक वरिष्ठ नागरिकों को माया केयर ने निशुल्क सुविधाएं प्रदान की हैं। माया केयर की सेवा भारत के 70 शहरों में उपलब्ध हैं और 120 से भी अधिक दिव्यांग लोग माया केयर में काम करते हैं। 

माया केयर का उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों को उनके घर के बजाय वृद्धाश्रम में निजी जीवन में एक स्वतंत्र सुखी और आरामदायक जीवन देने विकलांग व्यक्तियों को सक्षम बनाना है। विकलांग व्यक्तियों को घर से काम करके अपने आप को आत्मनिर्भर व्ययसायिक बनाने के लिए मदद करना भी माया केयर का मुख्य मकसद है। 

माया केयर का काम 

माया केयर के पास भारतीय विभिन्न भाषाओं और इंग्लिश में हेल्पलाइन, वेबसाइट या सोशल मीडिया के माध्यम से मदद का आवेदन देते हैं। उनका आवेदन देखना और उस पर काम करना और उन तक स्वयंसेवक पहुंचा कर उनसे मदद पूरी कर लेना। यह सब सब काम दिव्यांग व्यक्ति ही देखते हैं। 

परिवार के बाद सबसे अच्छी चीज 

परिवार के बाद सबसे अच्छी चीज टैगलाइन के साथ माया केयर प्रतिनिधि बुजुर्गों को अस्पताल ले जाते हैं/रेडियोथरेपी में ले जाते हैं। बैंक, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, सामाजिक कार्यक्रम में साथ जाते हैं। चिकित्सा रिपोर्ट लेकर देना, दस्तावेज जमा करना उनके पढ़ने-लिखने में मदद की जाती है। यह सब काम निशुल्क होता है। 

माया केयर की सेवा विश्वसनीय व्यक्तियों की टीम द्वारा प्रदान की जाती है, जिससे सेवा करने की चाहत बढ़ती है। उनमें से हर एक के लिए  अपने रोजगार के लिए कुछ मुआवजा दिया जाता है लेकिन बुजुर्ग लोगों की सेवा का काम पूरा किया जाता है। सेवा देने वाले माया केयर प्रतिनिधि व्यायसायिक, छात्र, गृहिणी सेवा मुक्त व्यावसायिक होते हैं। 

माया केयर ही क्यों ?

मंजिरी जोशी ने विश्लेषण करते हुए कहा है कि पश्चिमी देशों में पीढ़ी दर पीढ़ी होता है कि बच्चे बड़े हो जाते ही दूर चले जाते हैं। हमारे यहां भारत में ऐसा नहीं होता है। यह पहली पीढ़ी होगी जो बुढ़ापे में अकेले रहना सीख रही है। हमारी आधारभूत संरचना, सामाजिक संरचना और मानसिकता अभी भी इस नई वास्तविकता में डूबी है। 

मंजिरी जोशी ने बताया कि माया का अर्थ संस्कृत में प्रेम है। यह संस्कृति में लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक सरल शब्द है। उसका उच्चारण आसानी से किया जा सकता है। माया केयर का लोगो मानसी गोखले अगरकर जी ने बनाया है। जिनका सुन नहीं पाना उनकी रचनात्मकता मुआवजा के  तौर पर ज्यादा फायदेमंद है। 

उद्यमी सफर 

गत 13 साल में माया केयर को अभय जोशी और उनकी पत्नी मंजिरी जोशी ने व्यक्तिगत स्तर पर हितचिंतकों के माध्यम से आर्थिक मदद वित्तीय सहायता प्रदान की।  इन दोनों ने जब माया केयर फाउंडेशन शुरू किया तब मंजिरी की माता ने पुणे में माया केयर के काम को प्रतिनिधि द्वारा चलाया।

आईटी पेशेवर अभय जोशी के पास अपनी गणित और विज्ञान की डिग्री है। वह अपनी एलिफेंट कनेक्ट कंपनी चला रहे हैं। मुंबई टेलीविजन और डेटाक्वस्ट  मैगजीन के साथ ही इंडियन एक्प्रेस के साथ 10 साल तक पत्रकार के तौर पर काम किया है। उन्होंने झेन सर टेक्नोलॉजी और उसके बाद पुणे और मुंबई के आई सी आई सी आई लोम्बारड और लंदन के इनफार्मेशन पीएलसी के साथ कॉर्पोरेट में करियर की शुरुआत की। 

ग्लोबल टैलेंट ट्रेक नामक कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के स्थान पर 3 साल जुड़ने के बाद उन्होंने माया केयर को पूरा वक्त देने का फैसला किया। खुद का कारपोरेट करियर छोड़ के दिव्यांग व्यक्तियों की टीम के लिए काम किया। उनको रोजगार देने का काम कर रहे हैं। 

मंजिरी जोशी कहती हैं कि वह अपने व्यायसायिक वचन से बंधी हुई हैं। इसी कारण में माया केयर को जयादा समय नहीं दे पाती हैं। मेरे पति अभय जोशी और मां ने इन दोनों ने माया कायर को आगे बढ़ाया है। अब  हम दीर्घकालीन लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। 

एचआर, फाइनेंस फंड, निर्माण, प्रशासन और शहर समन्वय जैसे सभी काम में माया केयर के 90 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग व्यक्ति काम करते हैं। माया केयर चलाने वाले हर एक व्यक्ति मुआवजा देने के लिए माया केयर के पास पैसे होंगे। 

माया केयर को कितने सारे  कारपोरेट समुदाय और लोगों की तारीफ मिलती  रहती है। हमारे संस्थापक और माया केयर के बुजुर्गों और चलाने वाले दिव्यांग व्यत्कि और स्वयसेवक सभी कोशिश कर रहे हैं। 

अभय जोशी और मंजिरी जोशी को हाल ही में माया केयर के माध्यम से सामाजिक योगदान के लिए रोटरी सिकोस्ट सर्विस एक्सलेंस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंजिरी जोशी को अभी बढ़ी कपनियों से इमेजिंग वुमेन इंटर प्रेनोर ऑफ़ डी ईयर अवार्ड 2021 दिया गया है। इसी के सात ही एसवीपी इंडिया फ़ास्ट स्पीच में सिल्वर मेडल मिला है और माया केयर की टीम  को एआईएमए  में रनर अप का अवार्ड भी मिला है। 

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