एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा की समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं वीएम सिंह
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली। एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा की समन्वय समिति के अध्यक्ष वीएम सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर एमएसपी गारंटी कानून की मांग की है। वीएम सिंह ने जो पत्र अमित शाह को लिखा है उसके अनुसार खाद्यानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग दो दशक से भी पुरानी है, जिसकी शुरुआत 2000 में उत्तर प्रदेश के किसाओं के एक बड़े राज्य व्यापी आंदोलन से की थी। उन्होंने कहा कि आंदोलन पीलीभीत से शुरू हुआ और राज्य के अन्य हिस्सों में फैल गया था। इस दौरान एक सप्ताह तक रेल एवम सड़क यातायात पूरी तरह बाधित रहा था। आंदोलन के एक सप्ताह बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता को पद छोड़ना पड़ा था और राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही घंटों के भीतर उन्होंने किसानों की मांग मान ली और राज्य में एमएसपी पर धान खरीद शुरू हो गई थी।
वीएम सिंह ने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों का धान खरीद न होने के कारण बर्बाद हो रहा था। इसलिए नवम्बर 2000 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य और उसके कर्मचारियों को निर्देशित करते हुए निर्धारित समय के भीतर धान की खरीद करने का आदेश दिया और यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा न कर पाने की स्थिति में अधिकारियों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे । 20 वर्षों से अधिक समय तक धान की खरीद न्यायालय के आदेशानुसार निर्धारित दिशा निर्देशों पर होती रही जिसकी निगरानी स्वयं हाईकोर्ट द्वारा की गई ।
वीएम सिंह ने कहा है कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने देश भर का दौरा किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यदि किसानों के लिए कर्ज माफी और एमएसपी गारंटी के 2 कानून बना दिए जाएं तो उनकी दुर्दशा को कम किया जा सकता है । इस क्रम में एआईकेएससीसी सभी विपक्षी दलों को पहली बार एक मंच पर लाने में सफल हुआ और मार्च 2018 में 20 से अधिक राजनीतिक दलों ने इन विधेयकों के प्रस्ताव को समर्थन करते हुए हस्ताक्षर किए जिसके बाद संसद के दोनों सदनों में इन्हें बतौर “निजी सदस्य विधेयक” पेश किया गया ।
उन्होंने कहा है कि विधेयक प्रस्तुत होने के बाद एआईकेएससीसी सदस्यों ने संयोजक के नेतृत्व में तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति जी से मुलाकात और उनसे अनुरोध किया कि वे विधेयक पर अपनी राय दें। वीएम सिंह ने कहा कि आपने एमएसपी प्राइवेट मेंबर बिल जुलाई, 2018 में संसद में पेश किया गया जो खरीद का भार न तो राज्य पर डालता है और न ही केंद्र सरकार पर । किसान केवल सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी पर अपनी फसल का भुगतान चाहते हैं, चाहे इसकी खरीद सरकार करे या फिर कोई निजी कंपनी । इसके बाद नवंबर, 2018 में व्यावहारिक रूप से सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्ष/शीर्ष नेताओं ने संसद मार्ग पर आयोजित एआईकेएससीसी की रैली में भाग लिया और एमएसपी के लिए अपना समर्थन देने का वादा किया, लेकिन विडम्बना यह है कि एक पार्टी को छोड़कर किसी भी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में एमएसपी की गारंटी का वायदा नही किया।
वीएम सिंह ने कहा है कि इसीलिए एमएसपी गारंटी किसान मोर्चा जिसमें 28 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 260 से अधिक संगठन शामिल हैं द्वारा हमेशा कहा गया है कि एक बार एमएसपी गारंटी विधेयक पारित हो जाए तो किसानों की बड़ी समस्या हल हो जाएगी।