आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने की अरविन्द केजरीवाल को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की मांग
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी विपक्ष के लिए काम कर रही है या फिर सत्ता पक्ष के लिए ? विपक्ष की हर मीटिंग से पहले दबाव बनाने लगती है। पटना में जब पहली मीटिंग हुई तो उससे पहले ही दिल्ली में पावर के मामले में केंद्र सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश को लेकर आप विपक्ष के रुख को स्पष्ट करने की बात करने लगी। जब पटना में अध्यादेश के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को चुप करा दिया गया तो वह मीटिंग को बीच में ही छोड़कर दिल्ली चले आये। कांग्रेस के अध्यादेश के विरोध की हामी भरने पर ही केजरीवाल बेंगलुरु मीटिंग में गए। अब जब मुंबई में तीसरी मीटिंग होने जा रही है तो आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने अरविन्द केजरीवाल को इंडिया का प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने की पैरवी कर दी। उन्होंने तर्क दिया है कि जब देश में महंगाई चरम पर है तो दिल्ली में राशन, बिजली फ्री दिया जा रही है। महिलाओं को बसों में फ्री यात्रा कराई जा रही है। बुजुर्गों को फ्री तीर्थ यात्रा पर भेजा जा रहा है। इन सबके बावजूद दिल्ली का बजट प्लस में पेश किया जा रहा है। प्रियंका आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। मतलब यह उनका पार्टी का बयान माना जा रहा है।
उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इंडिया के संयोजक बनने से इंकार करने के बाद उनके नेता भी उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की बात करने लगे हैं।
मुंबई में 31 अगस्त और एक सितम्बर को होने जा रही इंडिया की मीटिंग में संयोजक का भी चयन होना है। संयोजक के नाम के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम चल रहा है। हालांकि कांग्रेस की भी रणनीति है मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया जाये। दलित चेहरे के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर विपक्ष की ओर से एक बड़ा संदेश जाने की बात भी की जा रही है।
दरअसल विपक्ष की ओर से हर दल अपने नेता को पीएम पद का उम्मीदवार बनाना चाहता है। टीएमसी ममता बनर्जी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाना चाहती है तो कांग्रेस राहुल गांधी को, आप अरविन्द केजरीवाल को, जदयू नीतीश कुमार को, एनसीपी शरद पवार को, सपा अखिलेश यादव को। यही वजह है कि बीजेपी विपक्ष की एकजुटता नहीं होने दे रही है। बीजेपी ने विपक्ष की लामबंदी सबसे अधिक महाराष्ट्र में ही तोड़ी है। एक ओर शिवसेना तोड़कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवा दिया तो दूसरी ओर एनसीपी को तोड़कर शरद पवार के भतीजे अजित पवार को शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बनवा दिया।