Friday, November 22, 2024
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Mission 2024 : मीटिंग-मीटिंग खेल क्या कर लेगा विपक्ष की भूमिका में फेल इंडिया ?

पटना, बेंगलुरु और मुंबई में मीटिंग की जगह रैली होती तो जाता बड़ा संदेश, वाराणसी में जेपी और गांधी की विरासत पर बुलडोजर चला कर ध्वस्त कर दिया गया पर गांधी और जेपी के नाम पर राजनीति करने वाले नेता हैं चुप

चरण सिंह राजपूत 

नई दिल्ली/पटना। मीडिया है कि इन नेताओं का भौकाल बना देता है कि जैसे कोई तख्तापलट होने जा रहा हो। अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यदि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से मिलने दिल्ली आ रहे हैं तो इसमें नया क्या है ? नीतीश कुमार तो कितनी बार अरविन्द केजरीवाल से मिल चुके हैं। वाराणसी में जेपी और गांधी की विरासत पर बुलडोजर चला कर उसे धवस्त कर दिया गया पर विपक्ष का कोई बड़ा रिएक्शन नहीं आया। खुद कांग्रेस गांधी और जेपी के चेलों का भी। 

इंडिया की तीसरी मीटिंग मुंबई में होने जा रही है तो फिर इसमें भी नया क्या है ? क्या हो जाएगा नीतीश कुमार के अरविन्द केजरीवाल से मिलने से और क्या हो जाएगा मुंबई में इंडिया की मीटिंग होने से। बीजेपी ने दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल के हाथ बांधने का सेवा बिल तो पास करा लिया न। यदि विपक्ष का कोई दांव मोदी सरकार पर चल नहीं पा रहा है तो इसका बड़ा कारण यह है कि विपक्ष के अधिकतर नेता अपनी गर्दन बचा रहे हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि विपक्ष मीटिंग मीटिंग तो खेल रहा है पर मोदी सरकार पर तमाम आरोप लगाने के बावजूद केंद्र सरकार के खिलाफ कोई बड़ी रैली नहीं कर पा रहा है। यदि पटना, बेंगलुरु और अब मुंबई में विपक्ष की बड़ी रैली होती तो बड़ा संदेश जाता। वातानुकूलित कमरों में बैठकर मीटिंग करने से कुछ नहीं होने वाला है। लोग यह भी देख रहे हैं कि ये लोग विपक्ष की भूमिका नहीं निभा रहे हैं। सड़क पर थोड़ी बहुत कांग्रेस तो दिखाई दे रही है पर क्षेत्रीय दलों में चाहे सपा हो, रालोद हो, एनसीपी हो, आरएलडी हो, टीएमसी हो, आप हो पीडीपी हो, झामुमो हो डीएमके हो ये जितनी भी पार्टी हैं मिलकर बेरोजगारी, महंगाई या फिर किसी दूसरे मुद्दे पर कोई रैली नहीं कर पाए हैं। 

नीतीश कुमार बिहार, अरविन्द केजरीवाल दिल्ली, ममता बनर्जी प. बंगाल, हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। अखिलेश यादव पूर्व मुख्यमंत्री हैं। शरद पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं। सब लोगों को सुविधा मिली है कि जनता के पैसे पर कहीं भी घूमें। घूमते रहो। संघर्ष किये बिना कुछ नहीं होने वाला है। वैसे भी विपक्ष के कई नेता  शरद पवार की मुद्रा में हैं। जिधर देखें पलटी मार देंगे। खुद नीतीश कुमार कितनी बार पलटी मार चुके हैं। 

मानसूत्र सत्र में भी विपक्ष मणिपुर और हरियाणा हिंसा पर मोदी सरकार को पूरी तरह घेर नहीं पाया। उल्टे सत्ता पक्ष के नेता विपक्ष की खिंचाई करते नजर आये 

स्वाभाविक है कि नीतीश कुमार यदि दिल्ली आएंगे तो केजरीवाल के साथ ही राहुल गांधी से भी मिलेंगे। दिल्ली दौरे के दौरान INDIA गठबंधन के कई नेताओं से भी मुलाकात होने की बात बताई जा रही है। ऐसी भी चर्चा है कि मुंबई में होने वाली बैठक में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की बात हो सकती है। यह भी प्रश्न है कि नीतीश कुमार के संयोजक बनने के बाद ऐसा नया क्या हो जाएगा ? नीतीश कुमार तो संयोजक की भूमिका में हैं ही। 

भले ही मुंबई की मीटिंग में नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की जा रही हो पर शिवसेना और एनसीपी दोनों ही पार्टियों के दो फाड़ हो गए हैं। कहीं ऐसा न हो कि मीटिंग से पहले ही शरद पवार भी मोदी की गोद में जा बैठें।  

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