बीजेपी के लिए कितना गुल खिलाएगा चुनावी लॉलीपॉप ?
चरण सिंह राजपूत
इसे चुनावी चाल कहें, इसे निवेशकों का दबाव कहें या फिर पोर्टल का सुधार कि परसो जो सहारा रिफंड पोर्टल में फॉर्म रिजेक्ट हो गए थे वे कल अंडर प्रोसेसिंग दिखाई देने लगे। क्या फॉर्म रिजेक्ट होकर फिर प्रोसेसिंग में जा सकते हैं। यह सब सत्ता का खेल है। मान गए मोदी सरकार को। सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय के खिलाफ तमाम एफआईआर दर्ज होने, तमाम आंदोलन दर्ज होने के बावजूद उनका बाल न बांका होने दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद एक पैसे की सम्पत्ति न बिकने दी। अब जब लोकसभा चुनाव करीब आये तो सहारा-सेबी खाते से 5000 करोड़ रुपए निकलवाकर खुद भी वाहवाही बटोरने में लग गए और सुब्रत रॉय के पैसे भी सेबी से निकलवाने लग गए। गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 5000 करोड़ का सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च कर सहारा निवेशकों को चुनावी लॉलीपॉप पकड़ा दिया।
केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि सहारा निवेशक सहारा रिफंड पोर्टल में रजिस्ट्रेशन कराएं शुरू में 10000-10000 रुपए निवेशकों को दिए जाएंगे। निवेशकों ने रजिस्ट्रेशन कराने शुरू कर दिए। वेरिफिकेशन में पोर्टल ने अधिकतम फॉर्म रिजेक्ट कर दिए। जब डिजिटल मीडिया पर फॉर्म रिजेक्ट होने की खबर चली तो पोर्टल अंडर प्रोसेसिंग दिखाने लगा। मतलब चुनाव आ रहा है। निवेशकों को नाराज तो नहीं करेंगे। वैसे भी सहारा के 13 करोड़ निवेशक बताये जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार को ये 5000 करोड़ रुपए तो निवेशकों को देने ही हैं।
हालांकि सहारा रिफंड पोर्टल के लांच होने के बाद दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशक केंद्र सरकार पर खार खाये बैठे हैं। ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा और ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार केन्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। दोनों ही संगठनों ने भुगतान न होने पर बीजेपी को वोट न देने का ऐलान कर दिया है।
अभय देव शुक्ल जहां अमित शाह और सुब्रत रॉय की मिलीभगत के चलते निवेशकों को मुर्ख बनाने की बात कर रहे हैं वहीं मदन लाल आज़ाद ने भुगतान न होने पर गांधी जयंती पर दिल्ली राजघाट पर गांधी जी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित न करने देने का ऐलान कर दिया है।