विचार और जनहित की सोच का कोई महत्व नहीं रहा है डीयू छात्र संघ चुनाव में
लोकल और वर्चस्व के बल पर डीयू छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी का रहा दबदबा
चरण सिंह राजपूत
नई दिल्ली। क्या दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव असर लोक सभा चुनाव में पड़ेगा ? क्या छात्र संघ चुनाव से यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को कोई फायदा होगा ? क्या आज की तारीख में छात्र संघ चुनाव से निकले हुए नेता देश और समाज का कुछ भला करने की स्थिति में हैं।
दरअसल छात्र संघ चुनाव भी दूसरे चुनाव की तरह पैसे और बाहुबल पर निर्भर होने लगे हैं। ये जितने भी छात्र चुनाव जीते हैं। इन लोगों में विचार और समाजसेवा का बहुत अभाव है। छात्रसंघ चुनाव में वे ही छात्र खड़े होते हैं जो या तो लोकल होते हैं या फिर इन छात्रों का यूनिवर्सिटी में ठीकठाक वर्चस्व रहता है। दरअसल किसी समय छात्र संघ चुनाव देश को एक से बढ़कर नेता देते थे पर आज की तारीख में छात्र संघ चुनाव से कोई ख़ास नेता नहीं निकल पा रहे हैं।
चाहे अरुण जेटली हों, लालू प्रसाद यादव हों, नीतीश कुमार हों, सुशील मोदी हों, अतुल अंजान हों, चंद्रशेखर सिंह हों ये नेता छात्र संघ चुनाव से ही निकल कर आये थे। और न जाने कितने नेता विभिन्न पार्टियों से आये जो छात्र संघ चुनाव से निकले राष्ट्रीय पटल पर छाए पर आज की तारीख से छात्र संघ चुनाव से दमदार नेता नहीं निकल रहे हैं।
दरअसल दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी पोस्ट पर भले ही एबीवीपी का कब्ज़ा हो गया हों, भले ही वाइस प्रसिडेंट पर NSUI ने कब्ज़ा जमाया हो पर ये सभी पदाधिकारी विचार या फिर काम के बल पर चुनाव नहीं जीते हैं बल्कि पैसे और बाहुबल के बल पर जीते हैं। या यह भी कह सकते हैं कि डीयू जैसी यूनिवर्सिटी में भी राजनीतिक छात्र-छात्राएं विचार से दूर जाकर हिन्दू मुस्लिम में उलझ गए हैं।
इस बार यूनिवर्सिटी की 4 सेंट्रल पोस्ट के लिए 24 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, कांग्रेस से जुड़े नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया, माकपा समर्थित स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और CPI-ML (लिबरेशन) से संबद्ध ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने चारों पदों पर उम्मीदवार उतारे थे।
दरअसल दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में प्रेसिडेंट, सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी पदों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जीत हुई है और एनएसयूआई को वाइस प्रेसिडेंट पर संतोष करना पड़ा है। प्रेसिडेंट पद पर तुषार डेढ़ा काबिज हुए हैं। तुषार डेढ़ा ने एनएसयूआई के हितेश गुलिया को हराया है।
वाइस प्रेसिडेंट पद पर एनएसयूआई के अभि दहिया जीत दर्ज की है। इस पोस्ट के लिए एबीवीपी के सुशांत धनखड़ , एआईएसए अनुष्का चौधरी और एसएफआई से अंकित मैदान में थे। सेक्रेटरी पद पर एबीवीपी की अपराजिता विजयी रही। एनएसयूआई की यक्षना शर्मा ,एआईएसए से आदित्य प्रताप सिंह और एसएफआई से अदिति त्यागी भी चुनाव मैदान में उतरे थे। जॉइंट सेक्रेटरी पद पर एबीवीपी सचिन बैसला की जीत हुई है।