देश से इंडिया शब्द हटाने में लगभग 14304 करोड़ रुपए आएगा खर्च
आर्थिक रूप से देश पर बड़ा बोझ पड़ेगा इंडिया हटाने में
दस्तावेजों, वेबसाइटों, आधार कार्ड, पासपोर्ट, आर्मी तक के नाम पड़ेंगे बदलने
जी-20 के डिनर निमंत्रण में राष्ट्रपति को ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखे जाने को लेकर छिड़ा बड़ा विवाद
चरण सिंह राजपूत
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई जवाब नहीं। एक ओर तो वह चाहते हैं कि नई दिल्ली में होने वाली जी-20 समिट में किसी तरह का कोई व्यवधान पैदा न हो और दूसरी और उन्होंने खुद ही एक बड़ा बवाल पैदा कर दिया है। जी-20 डिनर के निमंत्रण में राष्ट्रपति को ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ जो लिखवा दिया है। जबकि जगजाहिर है कि अब तक प्रेसिडेंट और इंडिया लिखा जाता था। बीजेपी और उनके समर्थकों का कहना है कि इंडिया गुलामी का प्रतीक है। इसलिए संविधान से इंडिया हटाकर भारत लिखा जाये। भले ही इस कवायद को विपक्ष अपने गठबंधन इंडिया से जोड़कर देख रहा हो पर मोदी सरकार ने संविधान से इंडिया हटाकर भारत लिखने की पूरी योजना बना ली है। लोकसभा के विशेष सत्र में इस मामले को लेकर प्रस्ताव लाया जाया सकता है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या इंडिया शब्द ऐसे ही हटा दिया जाएगा ? जैसे शहरों के नाम बीजेपी बदल रही है। ऐसे ही इंडिया शब्द हटाकर भारत कर दिया जाएगा।
दरअसल इंडिया शब्द हटाना इतना आसान नहीं है। संविधान में संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत लोकसभा में चाहिए। दूसरा इसको हटाने पर बड़े स्तर पर खर्च भी आएगा। संविधान के साथ ही देश से यदि इंडिया शब्द हटाया जाये तो इस पर हजारों करोड़ खर्च आएगा। द लल्लन टॉप ने आउट लुक की खबर का हवाला देते हुए इंडिया शब्द हटाने पर 14304 करोड़ रुपए का खर्च आने की बात कही है। इसके लिए दस्तावेजों, वेबसाइटों, आधार कार्ड, पासपोर्ट, आर्मी तक के नाम बदलने पड़ेगे। वैसे भी बीजेपी के मातृ संगठन आरएसएस का नाम भी इंग्लिश में ही है।
ऐसा भी नहीं है कि भारत अपना नाम बदलने वाला पहला देश होगा। 190 देश विभिन्न कारणों से अपने नाम बदल चुके हैं। कुछ देशों ने गुलामी के दौर को भूलने के लिए अपना नाम बदला है तो कुछ ने संस्कृति को बनाए रखने के लिए।
वैसे तो बीजेपी और उसके समर्थक इसे लम्बे समय की कवायद का हिस्सा बता रहे हैं पर विपक्ष का कहना है कि जब से उन्होंने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है तब से बीजेपी बौखला उठी है। इंडिया की जगह भारत इसलिए ही रखा गया है कि क्योंकि विपक्ष के गठबंधन इंडिया से बीजेपी विशेषकर पीएम मोदी घबरा गए हैं। बीजेपी इंडिया को गुलामी का प्रतीक बता रही है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि इंडिया गुलामी का प्रतीक है तो फिर सत्ता के 9 साल बाद ही यह क्यों समझ में आया ? पासपोर्ट से आधार कार्ड पर तक पर इंडिया लिखा हुआ है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि यदि इंडिया शब्द हटाकर भारत लिखना है तो फिर कितनी जगह लिखा जाएगा। भारत में हर तीसरी चीज पर इंडिया लिखा हुआ है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, चक दे इंडिया समेत न जाने कितने शब्दों के से साथ इंडिया लिखा हुआ है। वैसे तो इंडिया को हटाना इतना आसान नहीं फिर भी यदि इंडिया हटाना ही है तो फिर इतने बड़े स्तर पर हटाने पर धन कहां से आएगा ?
वैसे भी 28 दलों वाले विपक्षी गठबंधन का ‘इंडिया’ नाम है। इसको लेकर पीएम मोदी समेत बीजेपी के नेता उन पर आए दिन हमला कर रहे हैं। पीएम मोदी ने तो इंडिया को आतंकी संगठन से भी जोड़ दिया। इंडियन मुजाहिद्दीन, पीएफआई से इंडिया की तुलना कर दी। पीएम मोदी का तर्क है कि विष्णु पुराण में कहा गया है कि समुद्र से उत्तर और हिमालय के दक्षिण के हिस्से को भारत कहा गया। हालांकि राजा दुष्यंत और शकुंतला के बेटे भरत के नाम पर देश का नाम भारत पड़ने की बात भी सामने आती है। बताया जाता है कि भरत राज कन्याकुमारी से लेकर जम्मू कश्मीर तक का था।
कांग्रेस इंडिया को भारत लिखने पर राज्यों के संघ पर हमला बताया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, ‘‘यह खबर वास्तव में सच है. राष्ट्रपति भवन ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए नौ सितंबर को ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है.’’ उन्होंने कहा कि, संविधान में अनुच्छेद 1 में लिखा है: भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा, लेकिन अब इस ‘राज्यों के संघ’ पर भी हमले हो रहे हैं.’’ जयराम रमेश ने दावा किया कि पीएम मोदी इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं।