उपेक्षा के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने की बना रहे रणनीति
360 गांवों की पालम खाप के प्रधान सुरेंद्र सोलंकी ने कर ली है सरकारों से टकराने की तैयारी
गांवों को हाउस टैक्स, भवन उपनियम, कनवर्जन चार्ज, पार्किंग शुल्क से निजात दिलाने, मास्टर प्लान में सुविधा उपलब्ध कराने वालेे प्रावधानों को लागू कराने और भूमि संबंधी किसान विरोेधी नियमों को खत्म कराने के लिए छेड़ा जाएगा बड़ा आंदोलन
लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों की अनदेखी करने वाले दलों के खिलाफ चलाया जाएगा अभियान
दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली।
बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को पूरी तरह से खत्म करने की रणनीति बनाई है। एक और शराब नीति के मनी लांड्रिंग मामले में केजरीवाल के मंत्री रहे सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं तो दूसरी ओर राज्य सभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्त्तारी हो चुकी है तथा सीएम केजरीवाल के आवास पर फिजूलखर्ची के नाम पर उन पर सीबीआई जांच बैठी है। पूरी आम आदमी पार्टी पर भी मुकदमा करने की तैयारी ईडी की है। इसी बीच दिल्ली के 360 गांव भी केजरीवाल के खिलाफ लगा दिए हैं। 360 गांवों की पालम खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। वैसे तो इस आंदोलन में इन गांवों की उपेक्षा करने वाली सभी दलों के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात की जा रही है पर असली मोर्चा आम आदमी पार्टी के खिलाफ खोला जा रहा है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि एमसीडी और दिल्ली दोनों जगह आम आदमी पार्टी की सरकार है। वह बात दूसरी है कि दिल्ली की पॉवर एलजी के पास है।
दरअसल दिल्ली के 360 गांव केजरीवाल सरकार के लिए ही आफत बनने जा रहे हैं। इन गांवों की खाप के प्रधान चौ. सुरेंद्र सोलंकी ने इन गांवों के मान सम्मान और अधिकार के लिए मोर्चा खोलने की पूरी तैयारी कर ली है। दिल्ली दर्पण टीवी से बात करते हुए सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि दिल्ली के गांवों को हाउस टैक्स, भवन उपनियम, कन्वर्जन चार्ज, पार्किंग शुल्क आदि से निजात दिलाने, मास्टर प्लान में सुविधा उपलब्ध कराने वाले प्रावधानों को लागू कराने और भूमि संबंधी किसान विरोधी नियमों को खत्म कराने के लिए आंदोलन सरकारों व सत्तारूढ़ दलों से टकराने की हम लोगों ने पूरी तैयारी कर ली है। उन्होंने बताया कि आंदोलन को दिल्ली के साथ-साथ दिल्ली की सीमाओं से बाहर ले जाने का भी निर्णय लिया गया है। ये गांव लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों की अनदेखी करने वाले दलों के खिलाफ मुहिम चलाएगे। मतलब सुरेंद्र सोलंकी ने सरकारों को खुली चुनौती दे दी है।
जब उनसे पूछा गया कि उत्तर भारत की सबसे बड़ी पालम खाप दिल्ली के 360 गांवों के मसले परआंदोलन क्यों कर रही है। तो उन्होंने बताया कि सरकारें गांव वालों की सुध नहीं ले रही हैं। गांव वालों के पर ऐसे नियम, कानून और टैक्स थोपे हा रहे हैं जो गांवों में लागू नहीं हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि गांव वालों की स्थिति गुलामी से भी बदतर हो चुकी है। सरकारें उन्हें परेशान कर रही हैं। इस कारण पालम 360 खाप ने गांव वालों को राहत दिलाने व उनकी मदद करने का बीड़ा उठाया है।
जब उनसे पूछा गया कि वे कौन से नियम व कानून और टैक्स का विरोध कर रहे है?
तो उन्होंने बताया कि गांवों में भवन नियम लागू करने की स्थिति नहीं है, मगर अधिकारियों ने कार्यालयों में बैठकर ये नियम लागू कर दिए। इसी तरह गांवों में शहर जैसी एक भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है, लेकिन गांवों में उनके साथ बसी पॉश कालोनियों की श्रेणी वाला हाउस टैक्स लागू कर दिया। इसी तरह गांवों में कनवर्जन चार्ज व पार्किंग शुल्क लागू कर दिया है।
यह नियम व कानून और टैक्स तो मास्टर प्लान के तहत लागू किए गए हैं के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकारों ने अभी तक आ चुके तीन मास्टर प्लान में जनता पर कोड़ा चलाने वाले नियम व कानून और टैक्स तो तुरंत लागू कर दिए, लेकिन मास्टर प्लान में लोगों को राहत और सुविधाएं उपलब्ध कराने वाले शामिल प्रावधान लागू नहीं किए गए, वहीं प्रस्तावित मास्टर प्लान में भी गांवों की ओर ध्यान नहीं दिया गया है।
गांवों में लागू किए गए नियम, कानून व टैक्स के संबंध में कौन सी पार्टी से नाराजगी वाले प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वे किसी पार्टी को दोषी नहीं ठहरा रहे हैं और न ही वे लोग किसी भी दल के खिलाफ हैं। ग्रामीण सभी दलों को वोट देते हैं और उनके दम पर उन दलों के उम्मीदवार सांसद, विधायक व पार्षद चुने जा रहे हैं लेकिन वे चुनाव जीतने के बाद ग्रामीणों की बात नहीं कर रहे हैं और अधिकारी ग्रामीणों के खिलाफ कानून बनाने का कार्य करते रहते हैं। इस कारण हम उन नेताओं को सचेत करने के साथ-साथ सरकारों तक ग्रामीणों की बात पहुंचाने का प्रयास कर रहे है।
आप की ओर से कई पंचायत करने के बावजूद आपकी बात नहीं सुनी गई के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि हमने हिम्मत नहीं हारी है। हम सरकारों को बात सुनने के लिए ही नहीं, उनसे बात मनवाने की हिम्मत रखते हैं। हम अनदेखी करने वाली सरकारों में बैठी पार्टियों को झुकाना जानते हैं और इसकी शुरूआत कर दी गई है। हालांकि अभी उन पार्टियों के पास सजग होेने का समय है, अन्यथा वह आगामी चुनाव में ग्रामीणों के विरोध का सामना करने के लिए तैयार रहे।
उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के ऊपर उन्हें परेशान करने वाले नियम व कानून दिल्ली सरकार व एमसीडी ने लागू कर रखे हैं। इस कारण हमारा सभी विधायकों व पार्षदों से आग्रह है कि वह अपने सदन में ग्रामीणों को राहत दिलवाने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करके उन्हें पास कराए। वहींं वह इन दाेनों जगह सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के घर अनिश्चितकालीन महापंचायत करेंगे, जिनमें पड़ोसी राज्यों की खापों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
दिल्ली सरकार व एमसीडी के मुखिया उपराज्यपाल हैं तो आप केजरीवाल के घर पर आंदोलन करने क्यों जा रहे हैं के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि उनके आंदोलन व मांगों का अभी तक आम आदमी पार्टी नेे समर्थन नहीं किया है और दोनों जगह उनकी सरकार होने के कारण हमें लग रहा है कि उनके घर दस्तक देनी चाहिए। उपराज्यपाल ने तो हमारे को बुलाया था, हालांकि उन्होंने हमारी मांग पूरी करने का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है, अगर दोनों सरकार प्रस्ताव पास करके उनके पास भेज दे तो हमारे मांग पूरी हो सकती है।
सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि उन्होंने अपनी मांगे मनवाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने का निर्णय लिया है। इस कड़ी में उनकी बात नहीं मानने वाले दलों का हर कदम पर विरोध किया जाएगा। खास तौर पर चुनाव में हर हाल विरोध करेंगे, क्योंकि दलों पर वोट की चोट का ही सबसे अधिक असर पड़ता है। वोट न मिलने पर वे चुनाव में धराशाही होते है।
चुनाव में किस दल का समर्थन करने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि वे लोग किसी दल का समर्थन नहीं करेंगे, वे केवल ग्रामीणों की बात नहीं सुनने वाले दल के उम्मीदवारों को वोट नहीं देने की अपील करेंगे और उनके दल की असलियत से मतदाताओं को रूबरू कराएगे। यह जनता पर निर्भर करेगा कि वह किसी वोट दे।