राजेंद्र स्वामी , दिल्ली दर्पण
दिल्ली। दिल्ली नगर निगम के 2024 मेयर चुनाव की तारीख बेशक 26 अप्रैल को तय हो गयी है और इधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद है। ऐसे में आप बेशक बीजेपी पर “ऑपरेशन लोटस ” चलने बात कर रही हो लेकिन इससे इतर चर्चाएं यह भी है कि तय तारीख 26 अप्रैल को क्या मायोअर और डिप्टी मेयर चुनाव कहीं अटक तो नहीं जाएंगे ?
दरअसल दिल्ली में मेयर चुनाव के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री से फाइल पास होने जरूरी होती है। निगम सचिव ने फाइल मेयर को और मेयर ने निगमायुक्त को भेज दी है। यह फाइल इसके बाद यूडी मिनिस्टर के पास जाती है वह इस फाइल को दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास भेजते है। मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के बाद या फाइल दिल्ली के एलजी के पास जाती है और एलजी ही चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करता है। लेकिन सवाल है की क्या जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के पास की फाइल कौन और कैसे लेकर जाएगा ? क्या जेल मैन्युअल इसकी इजाजत देता है ?
दिल्ली बीजेपी लगातार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है। वह सवाल उठा रही है कि क्या आम आदमी पार्टी में ऐसा कोई नहीं जिसे मुख्यमंत्री बनाया जा सके। दिल्ली के मुख्यमंत्री क्यों सत्ता से चिपके रहना चाहते है। जबकि वे जानते है की जेल से सरकार चलना व्यावहारिक रूप से संभव ही नहीं है।
कानून के जानकार जहाँ इस बात पर बहस कर रहे है कि क्या जेल से सरकार चलाने की कानून इजाजत देता है वही बहस इस बात पर भी क्या यह व्यावहारिक रूप से संभव भी है ? कानून और राजनीति के जानकार जेल मैन्युअल का हवाला देकर इसे व्यवहारिक नहीं मान रहे है। यानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की जिद रही तो दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संभावना भी है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना स्पष्ट रूप से कह चुकें है कि दिल्ली की सरकार जेल से नहीं चलेगी। दिल्ली के विधायकों को अपना मुख्यमंत्री चुनना ही होगा। इस बात से आप आदमी पार्टी बेशक चिंतित है लेकिन केजरीवाल अभी अड़े हुए है।
दरअसल केजरीवाल की इस हट के पीछे भी एक रणनीति है। आम आदमी को लग रहा है कि आम आदमी पार्टी तमाम बड़े नेताओं को जेल में बंद किये जाने के बाद जब मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी जेल में बंद किया गया दिल्ली में ही नहीं बल्कि देशभर में उनके पक्ष में एक सहनुभूति की हवा चल पड़ी है। ऐसे में यदि दिल्ली के चुनी हुए सरकार को बर्खास्त कर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है , दिल्ली नगर निगम मेयर चुनाव अटक जाते है तो आम आदमी के पक्ष में सहानुभूति की हवा और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनेगा। यानी केजरीवाल दोनों ही सूरत में लाभ की उम्मीद कर रहे है। सबसे ज्यादा लाभ तो इस बात को होगा कि जाम आदमी में मुख्यमंत्री और मंत्री बनाने के लिए बगावत या गुटबाजी होने की संभावना नहीं होगी।