दिल्ली दर्पण
नई दिल्ली, 30 जुलाई 2024। दिल्ली में फिर के बड़ा हादसा हो गया और हर बार की तरह इस बार भी जिम्मेदारी और जबाब देही को लेकर सियासी जंग शुरू हो गयी है। हर बार तरह इस बार भी सरकार और विपक्ष के बीच बयानों के तीर चल रहे है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए है। जांच के आदेश का झुनझुना बजाते हुए दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने का दावा भी कर दिया है। छात्रों का गुस्सा सडकों पर फूट पड़ा है। नेता उनके बीच पहुंचकर बयानबाजी कर रहे है। बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा इसे हादसा नहीं हत्या बता रहे है। आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार की वजह इस हादसे को बता रहे है। वही कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव भी इसे प्रशासनिक लापरवाही बता रहे हैं और जिम्मेदार लोगों को सख्त से सख्त सजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस पीड़ित छात्रों को न्याय मिले ऐसी मांग कर रहे है।
स्थानीय विधायक दुर्गेश पाठक ने सवाल उठाया कि आखिर स्टूडेंट बेसमेंट में कर क्या रहे थे? बेसमेंट में केवल पार्किंग और स्टोर का ही इस्तेमाल हो सकता है वहां पढ़ाई कैसे हो रही थी। कैसे अवैध रूप से यह कोचिंग इंस्टिट्यूट चल रहा था। दिल्ली नगर निगम की मेयर ने इसकी जांच के आदेश दिए और ऐसे अवैध कोचिंग इंस्टिट्यूट पर तुरंत करवाई किये जाने की बात कही।
दिल्ली सरकार इशारों में केंद्र सरकार को भी दोषी बता रही है कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते इसलिए उनकी मनमानी चल रही है। इसलिए अधिकारी मनमानी करते है और ऐसे हादसे होते है। लेकिन दिल्ली बीजेपी इसे हादसा नहीं हत्या बता रही है। बीजेपी अध्यक्ष कहते है आम आदमी पार्टी केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है।
दिल्ली में पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव होने है, ऐसे में बीजेपी ऐसी बात कहे तो हैरान नहीं होनी चाहिए। बीजेपी की ऐसी भाषा राजनीतिक मजबूरी नहीं बल्कि राजनीतिक मिजाज है। यही राजनीतिक मिजाज कांग्रेस को हल्के में अपने बात अपने तरीके से कहने को मजबूर रही है क्योंकि आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। उसके दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ना है लेकिन कई मामलों में उसे आम आदमी पार्टी के साथ भी चलना है। इसलिए दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव भी दोषियों को सख्त सजा और पीड़ितों को न्याय दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
यानी सब कुछ वही जो हर बार किसी बड़े हादसे के बाद होता है। नेताओं के लिए यह चिंता और चर्चा का विषय कम राजनीती चमकाने का अवसर ज्यादा होता है। हर हादसे के बाद वे घटना स्थल पर पहुंचते है और सरकारी लापरवाही को आईना दिखते है। लेकिन सवाल है कि नेताओं को अपने अपने इलाकों में ऐसी प्रशासनिक लापरवाही क्यों नहीं नजर आती ? घटना के बाद बेशक कुछ दिनों तक प्रशासनिक अमला हरकत में आता है। कुछ जगह करवाई करता हुआ नजर आता है लेकिन कुछ दिनों बाद सब शांत हो जाता है। नेता, जन प्रतिनिधि भी अपने अपने इलाके में आँखे बंद किये रहते है। जनता को अब नेताओं पर भरोसा नहीं रहा। लेकिन सवाल है की इस हादसे के लिए जिम्मेदार क्या केवल नेता और जनप्रतिनिधि ही है? क्या दिल्ली सरकार, भारत सरकार और दिल्ली नगर निगम में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं है ? क्या यह सही नहीं है कि आज देश में सुनियोजित भ्रष्टाचार ने इतनी गहरी जड़ें जमा ली है कि पूरा सिस्टम ही लगभगआईसीयू में है। आज भ्रष्टाचार की बल्ले बल्ले है तो वही साहूकार सजा भुगत रहा है।
आप अपने अपने क्षेत्र पर नजरें घुमाइए, हर इलाके में आपको बड़े बड़े शोरूम अवैध रूप से ऐसे ही बेसमेंट में चलते नजर आएंगे। कहने को तो बेसमेंट केवल स्टोर और पार्किंग के लिए ही इस्तेमाल हो सकता है यह फिर कहीं कहीं ऑफिस के रूप में भी इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन राजेंद्र नगर में क्यों हो रहा था ? वहां बेसमेंट में लाइब्रेरी बनी हुयी थी। 35 बच्चे देर शाम को वहां पढ़ाई कर रहे थे। अचानक वहां बड़ी तेज़ी से पानी भरने लगा। बच्चों में अफरातफरी मच गयी। ये छोटे बच्चे नहीं थे जो भाग ना सके लेकिन दिक्कत यह थी की जहाँ से निकलने का रास्ता था वही से भयानक रूप से पानी आ रहा था। देखते ही देखते पूरा बेसमेंट पानी से भर गया और बच्चे उसमें फस गए। इंस्टीट्यूट मैनेजमेंट ने पहले तो मामले को दबाने की कोशिश लेकिन बाद में इसके सूचना फायर और पुलिस को दी। छात्रों का आरोप है रहत और बचाव कार्य तक ठीक से नहीं हो पाए तो तीन छात्रों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इन मौतों का जिम्मेदार कौन है यह सुनिश्चित होना चाहिए।
हमारा सवाल फिर वहीं आकर खड़ा हो जाता है। क्या सिर्फ जिम्मेदार केवल पोलिटिकल लीडर और जनप्रतिनिधि ही है ? क्या वे अधिकारी जिम्मेदार नहीं जिनका काम है अवैध गतिविधियों को रोकना, भ्रष्ट आचरण पर अंकुश लगना। हकीकत तो यह है की सरकार में बैठे नेताओं से ज्यादा अधिकारी इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार है। सरकारी सिस्टम में फैले इसी भ्रष्टाचार की वजह से नेता भी केवल बयान बहादुर बनकर ही रह जाते है।
राजेंद्र नगर के जिस बेसमेंट में अवैध रूप से कोचिंग इंस्टिट्यूट चल कैसे रहा था ? यह सवाल सब उठा रहे है लेकिन सवाल यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं कि आखिर इतना पानी बेसमेंट में भर कैसे गया ? कहा जा रहा है की इसके बहार से गुजर रहा नाला टूट गया जिसकी वजह से पानी बेशमेंट में बाढ़ की तरह बढ़ने लगा। यानी इसका जिम्मेदार वह विभाग भी है जिसकी नजर इस नाले पर होनी चाहिए। लेकिन इतनी गहराई से जांच और पर नजर शायद हो इस मामले में हो।
बहरहाल इस हादसे के बाद जांच, जिम्मेदारी की जंग और टीवी चैनल पर इस मुद्दे को लेकर बहस कुछ दिन चलेगी ,बी बहस भी केवल इस इंस्टिट्यूट ऑफ़ दिल्ली में चल रहे कोचिंग इंस्टिट्यूट और जलभराव पर ही केंद्रित होगी। कड़ी करवाई और कड़े नियम बनाने की बात होगी। लेकिन यह भी तय है कि सिस्टम इस कदर लचर और लाचार हो गया है की इससे ज्यादा होने की उम्मीद भी नहीं है। दिल्ली में प्रशासन चलाने और संभालने के लिए केंद्र सरकार है, दिल्ली सरकार है दिल्ली के एलजी और दिल्ली नगर निगम है। लेकिन यह भी तय है की इन सभी प्रशासनिक अधिकारियों की रुचि दिल्ली की जनता की भलाई में कम अपनी खुद की निजी भलाई में ज्यादा है। यही इन घटनाओं की असली वजह है। अब जरूरत इस बात की है कि दिल्ली में अवैध एक्टिविटी, भ्रष्टाचार पर लगाम और लगे, नेताओं -अधिकारियों और पैसे -रिश्वत देकर उनकी आँखे बन्द करने वालों के खिलाफ मुहिम चले। जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हो।