नई दिल्ली, 14 जुलाई 2024। पंजाब में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी आम आदमी पार्टी बीजेपी के ऑपरेशन लोटस से डरी हुई है। राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पंजाब के संसद संदीप पाठक के ताजा बयानों से तो यही बात सामने आ रही है। दरअसल दोनो ने अपने नेताओ और कार्यकर्ताओं को दूसरी पार्टी में न जाने की सलाह और चेतावनी दी है।
13 विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भी इंडी गठबंधन पर टूटने का खतरा मंडरा रहा है। आम आदमी पार्टी भी इस आशंका से खुद को उबार नही पा रही है। तो क्या आम आदमी पार्टी को बीजेपी के ऑपरेशन लोटस से अब भी डर है ? क्या आम आदमी पार्टी को लग रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले आम आम आदमी पार्टी के कई विधायक और पार्षद बीजेपी का दामन थाम सकतें है ? आप पार्टी के नेताओ के बयान से तो यही लग रहा है। देश में हुए 13 विधानसभा चुनावों के परिणामों पर आम आदमी पार्टी के दिल्ली से राजयसभा सांसद संजय सिंह और पंजाब से आप सांसद संदीप पाठक ने बीजेपी को तो आईना दिखाया ही साथ ही अपने उन नेताओं को भी यह सन्देश दिया कि जो भी आम आदमी पार्टी परिवार को छोड़कर बीजेपी में जाएगा उसकी राजनीति खत्म हो जाएगी।
पंजाब में हुए विधानसभा उपचुनाव में जालंधर वेस्ट विधान सभा सीट में आम आदमी पार्टी के मोहिंदर भगत ने कांग्रेस की सुरिंदर कौर 37 हज़ार वोटों से हराया जबकि बीजेपी की यहाँ से पूर्व विधायक रही शीतल अंगुराल तीसरे नंबर रहीं। शीतल अंगुराल आम आदमी पार्टी से विधायक थी। वे आप को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गयी थीं। इसी वजह से यहाँ उपचुनाव हुआ और वे बुरी तरह हार गयी। इसी चुनाव परिणाम पर खुशी जाहिर करते हुए संदीप पाठक ने बीजेपी को तो नसीहत दी ही आपने नेताओं को भी सन्देश दिया कि जो आप आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं या होने की मंशा बना रहे उनको जनता सबक सिखाती है।वैसे यहां गौरतलब ये है कि इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के निर्वाचित हुए विधायक मोहिंदर भगत भी बीजेपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। मोहिंदर भगत ने 2022 में जालंधर वेस्ट से आम आदमी पार्टी के शीतल अंगुराल को हराया था। बाद में अंगुराल आप छोड़कर बीजेपी में गयी थीं। इस दल बदल के दंगल को जालंधर के लोगों ने नकार दिया और बीजेपी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया।
संदीप के साथ साथ आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने भी जालंधर की जीत पर बीजेपी को लताड़ा और आम आदमी पार्टी के दलबदल की सोच रखने वाले नेताओं को भी नसीहत दी।
पर यहां अब सवाल यह है कि जीत के बाद भी आम आदमी के नेता इस तरह की नसीहत क्यों दे रहे है ? क्या दिल्ली में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह लग रहा है कि पंजाब के तर्ज पर उनके कई विधायक और पार्षद बीजेपी में शामिल हो सकतें है ? वैसे भी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले और चुनाव के ठीक बाद कई वरिष्ठ विधायक आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुक्के है। इनमें आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री रहे राजकुमार आनंद भी है। राजकुमार आनंद पहले BSP में गए और लोकसभा चुनाव लड़ा। उसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए। इस पर आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि शायद आनंद को बीजेपी ने सरकारी एजेंसियों से डर गए है। वरना क्या कारण है कि कुछ घंटों पहले वे उनके साथ थे और दिल्ली सरकार के स्कूल के टीचर्स के ट्रांसफर पर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रहे थे और अचानक वे आम आदमी पार्टी छोड़कर चले गए। ठीक इसी तरह लोकसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी और विधायक करतार सिंह तंवर भी चार नेताओं के साथ आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। करतार के साथ आप पार्षद उमेश फोगट, आप नेता रत्नेश गुप्ता, सचिन रे और पूर्व विधायक वीणा आनंद भी बीजेपी में शामिल हो गयी थीं। तंवर ने आम आदमी पार्टी पर तानाशाही का आरोप लगाया था हालांकि वे भूल गए कि उन्होंने बीजेपी पर तानाशाही का आरोप लगाया था।
इन सब घटनाक्रमों के बाद अब आम आदमी पार्टी को डर है कि दिल्ली विधान सभा चुनाव से ठीक पहले कई विधायक और दर्जन भर से ज्यादा निगम पार्षद बीजेपी में शामिल हो सकते है। दरअसल आम आदमी पार्टी का यह डर अकारण नहीं है। इसके पीछे बीजेपी की कार्यशैली और उसकी जरूरत तो है ही साथ ही इन दिनों ऐसी कुछ खबरें भी है कि आप के कई नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। वैसे भी दिल्ली में विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी है। उधर दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति भी डेढ़ साल से अटकी पड़ी है। बीजेपी इस बार निगम की स्थाई समिति में ही नहीं बल्कि दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी को पटखनी देना चाहती है। दिल्ली में बीजेपी 28 वर्षों से वनवास काट रही है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में तीसरी बार बम्पर जीत के बाद उसे लग रहा है कि शायद इस बार उसका वनवास ख़त्म हो जाएगा और दिल्ली में वह सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी। इसलिए वह हर हथकंडा अपनाना चाहती है। शायद इसी आशंका को भांपते हुए संजय सिंह ने अपने उन नेताओं को सन्देश भी दिया नसीहत भी दी और चेतावनी भी दी।
अब सवाल यह भी है कि आम आदमी पार्टी के दोनों सांसदों ने यह सन्देश और नसीहत आज मीडिया के सामने क्यों दी क्योकि शायद इससे अच्छा मौक़ा कोई और नहीं हो सकता था। संजय सिंह ने पंजाब में पार्टी छोड़कर जाने वाले कई नेताओ का जिक्र करते हुए बताया की पार्टी छोड़कर जाने वालों का क्या हाल हुआ है। यही हाल दिल्ली में उन नेताओं का भी होगा जो आम आदमी पार्टी छोड़कर जाने का मन बना रहे है। उन्होंने ऐसे नेताओं को कहा कि आम आदमी पार्टी के परिवार की तरह है। यदि कहीं कोई मतभेद है शिकायत है तो उसे मिल बैठकर सुलझा सकते हैं। लेकिन यदि पार्टी छोड़कर गए तो वे कहीं के नहीं रहेंगे। आम आदमी पार्टी को ईश्वर का वरदान है कि जो कोई नेता छोटे से लालच में पार्टी छोड़कर जाएगा उसका राजनैतक कैरियर बर्बाद हो जाएगा।
आम आदमी पार्टी इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। एक ओर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं। उन्हें ईडी के मामले में बेशक अंतरिम बेल मिल गयी है लेकिन अभी सीबीआई केस में जेल में बंद है। केजरीवाल को जमानत कब मिलेगी यह निश्चित नहीं है। कुछ महीनों बाद चुनाव होने हैं। ऐसे में यदि नेता सोच विचार कर अपने हित के लिए पार्टी बदल सकते हैं। ऐसे ही किसी फैसले को लेकर आम आदमी पार्टी सकते में है और उसके नेता अब अपने नेताओं को सन्देश, नसीहत और चेतावनी देने लगे हैं। देखना यह है कि उनके नेताओं पर इसका क्या असर होता है।
क्या दिल्ली में ऑपरेशन लोटस से डरी हुयी है आम आदमी पार्टी, बीजेपी के लट्ठ और लालच का क्या कोई तोड़ है?
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