Friday, October 18, 2024
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मानसून ब्लूज – जब बारिश का मौसम भी न लगे सुहाना

नीलम शुक्ला देवांगन
कुछ लोग बारिश शुरू होते ही उदास से हो जाते हैं। बारिश जैसा सुहावना मौसम भी बिल्कुल भी पसंद नहीं आता है। सुहाने मौसम में अगर आपकी सोच भी अपने आप नेगेटिव हो जाती है तो आप भी मानसून ब्लूज यानि सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से ग्रसित हैं।
सायकोलॉजिस्ट डॉ सारिका बोरा कहती हैं कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक हो और जीवन अच्छे से चल रहा हो उसके बावजूद भी कोई दुखी हो तो समझ लेना चाहिए कि वो सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर की गिरफ्त में है। खासकर बारिश के मौसम में यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। एक खास बात यह भी है कि यह समस्या महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। शोध बताते हैं कि इस मौसम में 40 फीसदी महिलाओं को यह समस्या होती है।
मौसम के साथ बदलता है मूड
अपोलो हॉस्पिटल के डॉ अभिषेक शुक्ला कहते हैं कि बारिश का मौसम कुछ लोग उदासी लेकर आता है। गर्मी के बाद जब बारिश आती है तो मानसून ब्लूज यानि सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर भी लाती है। इसके होने की खास वजह होती है बॉडी के अंदर मौजूद अम्ल मेलेनोसाइट स्टीम्युलेटी हार्मोन (एमएसएच) की मात्रा में बदलाव आना।

मूड होने लगता है स्विंग
इसके पीछे एक कारण धूप की रोशनी का सही तरीके न मिल पाना भी है। दरअसल सूरज की रोशनी हारमोंस इंड्रोपिंस और सिरोटिन का निर्माण तेजी से करती हैं, जिससे आप अच्छा फील करने लगते हैं।
रिसर्च से पता चला है कि सूरज की रोशनी कम होने और आसमान में काले बादल छाए रहने से हमारे दिमाग में सेरॉटोनिन केमिकल का निर्माण कम होता है, जिसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है। जब यह कम बनता है, तो मूड नॉर्मल नहीं रह पाता। इससे व्यक्ति को उदासी, बेचौनी और डिप्रेशन होने लगता है। कुछ लोगों पर यह केमिकल ज्यादा असर करता है और कुछ पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।

मन पर पायें काबू
इस मौसम में कई लोगों के साथ ऐसा होता है जिससे आप इधर-उधर की बातों पर ज्यादा दिमाग लगाने लग जाते हैं। कभी ऐसा हो तो तुरंत ऐसी बातों के बारे में सोचने से खुद को बचाएं। अगर आप कोशिश करेंगे तो कोई भी काम आपके लिए ज़रूर से आसान हो जाएगा और आप अपनी कमजोरी को बड़े ही आसानी से पकड़ सकेंगे, जिसकी वजह से अक्सर आपका मूड स्विंग करते रहता है।

अपनी पसंद का करें काम
खराब मूड हो जाने पर आपके लिए बेस्ट होगा कि आप वही करें जो आपको करने में बहुत अच्छा लगता है। ऐसा करने से वाकई आपके मूड में बदलाव आएगा और आपकी सोच भी सकारात्मक होगी।

सूरज से करें प्यार
सूर्य के प्रकाश का आनंद उठायें। कई बार सूर्य आपकी त्वचा का दुश्मन होता है, परन्तु मानसून ब्लूज से बचने के लिए यह एक अच्छा डॉक्टर है। अपने मूड को हल्का बनाने के लिए सूर्य की रोशनी में 15 मिनिट तक वॉक करें।
संतुलित आहार लें
-अपने आहार में हरी सब्जियां, सलाद और फल शामिल करें।
-मौसमी फल जैसे- जामुन, चेरी, आलूबुखारे, लीची, अनार आदि, ये फल न केवल खाने में स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि विटामिन्स व पौष्टिकता से भरपूर भी होते हैं।
-सब्ज़ियों में लौकी, तुरई, करेले आदि को प्राथमिकता दें।
-एंटीबैक्टीरियल व एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर मसालों को भोजन में इस्तेमाल करें, जैसे- मेथीदाना, जीरा, हल्दी, दालचीनी, काली मिर्च ये बरसात में होनेवाले संक्रमण से बचाते हैं।

इसपर भी ध्यान दें
-मानसून ब्लूज से बचना है तो जमकर व्यायाम करें।
-कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद होना बहुत आवश्यक है। तो इस हिसाब से अपनी दिनचर्या बनायें।
-जब भी आप पूरी तरह थका हुआ महसूस करें तब दो गिलास पानी में ग्लूकोज
मिलाकर पीने से आपको ताजगी महसूस होगी।
-कैफीन और अल्कोहल के सेवन से भी मूड स्विंग्स हो सकते हैं अत: आपको इनका सेवन करना टालना चाहिए।
-सूप या जूस पीयें।
-हर्बल टी पीएं। इसमें अदरक, तुलसी, इलायची, पुदीना डालें। यह मानसून में होनेवाले फंगल व बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाती है |
-भोजन में शहद को ज़रूर शामिल करें। यह पाचन क्रिया को ठीक रखता है और कफ को भी रोकता है।
-मानसून में फिल्टर्ड और उबला हुआ पानी ही पीएं।
-वेजीटेबल सूप लें और उसमें लहसुन डालें।
-स्वस्थ रहने के लिए दलिया, चना और भुट्टे का भी सेवन कर सकते हैं।
-आप डिप्रेशन से बाहर आना चाहते हैं, तो बारिश से बचें नहीं बल्कि इसे एंजॉय करें। चारों तरफ फैली हरियाली को निहारें।
-खाने में न्यूट्रिशंस शामिल करें। ग्रीन टी, लेमन टी या सूप पीना भी आपको खुश कर देगा।
-संगीत सुनें, किताबें पढ़ें और सिनेमा देखें।
-बारिश में भीगने की इच्छा नहीं है, तो घर की खिड़की से बारिश का नजारा लें।
-दोस्तों के साथ वक्त बिताएं।

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