दिल्ली की भलस्वा डेरी में डिमोलिशन के लिए पहुंचा बुलडोजर बैरंग ही लौट गया। सैकड़ो की मात्रा में मौजूद लोगों की एकता और गुस्से के आगे वह बेबस हो गया।
HIGHLIGHTS
गलती भलस्वा केस को डील कर रहे वकीलों की, भड़के मीडिया पर
जनप्रतिनिधियों सहित अन्य डेरीयो के लोग भी रहे मौजूद
एनजीओ को दिल्ली की सड़कों पर घूमते आवारा पशु नहीं दिखते?
दिल्ली दर्पण टीवी,नई दिल्ली
बुधवार सुबह भलस्वा डेयरी में डिमोलिशन के लिए बुलडोजर पहुंच गया। अपने घरों को टूटने से बचाने के लिए वहां हजारों की मात्रा में लोग इकट्ठा हो गए। लोगों के मन में सवाल था कि जब कोर्ट ने 16 अगस्त तक डेमोलिशन पर रोक लगा दी थी फिर एमसीडी डेमोलिशन के लिए कैसे पहुंच गया। इस सवाल के साथ मौजूद लोगों में दहशत के साथ-साथ गुस्सा भी था, जिसके आगे बुलडोजर कार्यवाही किए बिना ही लौट गया।
गलती भलस्वा डेरी केस को डील कर रहे वकीलों की, भड़के मीडिया पर
स्थानीय लोगों के अनुसार यह गलती उसे वकील की है जिसे 10 अगस्त को कोर्ट द्वारा दिया आदेशों को एमसीडी और संबंधित विभागों तक नहीं पहुंचाया वरना क्या कारण है कि एमसीडी कोर्ट के आदेश की अवहेलना करेंगे। 16 अगस्त तक पशुपालन और डेयरी चालान के एफिडेविट जमा करने की शर्त पर उन्हें सीलिंग और डिमोलिशन से राहत दे दी गई थी। लेकिन ऑर्डर एमसीडी और संबंधित विभागों तक नहीं पहुंचने के कारण ठीक 3 दिन पहले एमसीडी का दस्ता बुलडोजर लेकर भलस्वा के दरवाजों पर खड़ा था। वहां जमकर बवाल हुआ। बल्कि एक वकील ने मौके पर मीडिया का बहिष्कार करने का ऐलान कर, उसे वहां से भाग देने का आदेश दे दिया।
जनप्रतिनिधियों सहित अन्य डेरीयो के लोग भी रहे मौजूद
बीजेपी के सांसद,आम आदमी पार्टी के विधायक, और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी अपने समर्थक सहित अन्य डेरियो के लोग भी भलस्वा के समर्थन में वहां पहुंचे। साथ ही सबने अपने-अपने स्तर पर कोशिश शुरू की कि भलस्वा के लोगों को राहत कैसे मिले।
एनजीओ को दिल्ली की सड़कों पर घूमते आवारा पशु नहीं दिखते?
दिल्ली में 11 डेरिया है लेकिन पिछले 50 सालों से कोई पूछने नहीं आया कि वहां पशुपालन की क्या सुविधाएं हैं। सुविधाओं के अभाव में यह जगह धीरे-धीरे आबादी के क्षेत्र में बदल गई। लेकिन अचानक एक दिन एक एनजीओ की याचिका पर हाई कोर्ट सबको नोटिस थमा देता है। इस याचिका में एनजीओ पशुओं के साथ क्रूरता का हवाला देते हैं। लेकिन क्या एनजीओ को दिल्ली की सड़कों पर बेतहाशा घूमते आवारा पशु नहीं दिखाई देते। यह काम एमसीडी का है लेकिन वह क्या कर रही है यह किसी से नहीं छिपा।
एक प्रश्न यह भी उठता है कि जिस तरह दिल्ली की सभी डेरियो को निशाना बनाया जा रहा है उसे देखते हुए डेयरी मालिकों को बड़ी साजिश की बू आ रही है। कहीं इस सारे खेल के पीछे का मकसद बड़ी दूध की कंपनीयों को लाभ पहुंचाना तो नहीं। अब देखना यह है कि इस संकट से इन डेरियो को कब छुटकारा मिलता है।