बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी को ” ”मियां – टियां ” या ‘Pakistani’ कहना गलत तो है, मगर अपराध कतई नहीं | इसे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का मामला नहीं कह सकते |
दरअसल ये मामला झारखंड हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट आया है जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए ये टिप्पणी कीं हैं |
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने झारखंड के चास में सब – डिवीजनल ऑफिस में उर्दू अनुवादक एवं कार्यवायक क्लर्क द्वारा दायर आपराधिक मामले में एक व्यक्ति को आरोप से बरी कर दिया |
पीठ ने कहा कि ”मियां – टियां ” और ”पाकिस्तानी” जैसे शब्दो का इस्तेमाल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अपराध नहीं है | हालांकि, ऐसा कहना ग़लत है | पीठ ने कहा की इस तरह के बयान भले हीं गलत है, मगर IPC की धारा 298 के तहत अपराध नहीं मानें जायेगे | सुप्रीम कोर्ट ने हरि नंदन सिंह नामक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया |
हरी नंदन सिंह ने RTI अधिनियम के तहत अतिरिक्त कलेक्टर – सह प्रथम अपीलीय अधिकारी से कुछ जानकारी मांगी थी | यह सूचना उन्हें चास में सब – डिवीजनल ऑफिस में उर्दू अनुवादक एवं कार्यवायक क्लर्क को देनी थी | उर्दू अनुवादक ने आरोप लगाया था कि सिंह को जानकारी देते समय उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया | उन्होने यह भी आरोप लगया कि सिंह ने उन्हें डराने और एक लोकसेवक के रूप में रोकने के इरादे से उनके खिलाफ बल का इस्तेमाल किया | इसके बाद सिंह के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी |