दिल्ली- आप तो जानते ही हैं की होली का त्यौहार भारत के हर एक क्षेत्र में खुशियों का रंग ले कर आता है। हर घर में यह त्यौहार खुशियों के रंग बिखेर देता है इसलिए इस त्यौहार को रंगों का त्यौहार कहा जाता है। इस त्यौहार से लोगों के बिच प्रेम बढ़ता है और सभी मिल झूल कर इस दिन का आनंद उठाते हैं। यह एक पारंपरिक और सांस्कृतिक हिंदू त्योहार है। इस दिन लोग लाल गुलाल को प्यार और लगाव का प्रतिक मानते हैं। इसीलिए सबसे पहले लाल रंग के गुलाल को एक दुसरे पर लगते हैं। लोग इस दिन एक दुसरे को पिचकारियो और रंग भरे हुए गुब्बारों को एक दुसरे पर मारते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में गुजिया, मालपुआ और कई प्रकार के स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाते हैं।
मथुरा और वृन्दावन में होली का ये त्यौहार बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन को उत्साह से मनाने के लिए लोग भारत के अन्य शहरों से इस दिन मथुरा और वृन्दावन आते हैं। मथुरा और वृन्दावन वो पवित्र स्थान हैं।जहाँ भगवान् श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इतिहस के अनुसार होली का त्यौहार राधा कृष्ण के समय से मनाया जा रहा है।होली के इस अवसर पर मथुरा में कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में महा होली उत्सव मनाया जाता है। होली का ये पर्व मथुरा के ब्रज गुलाल कुंड में बेहतरीन रूप से मनाया जाता है। यहाँ पर कृष्ण लिली नाटक भी आयोजित किये जाते हैं। होली बहुत ही सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताओं का त्यौहार है जो बहुत ही पौराणिक काल से मनाया जा रहा है। होली का वर्णन कई भारतीय पवित्र किताबों जैसे पुराणों, रत्नावली में किया गया है।होली के त्यौहार को मनाने का एक अलग ही स्वास्थ्य लाभ भी है। इससे लोगों की चिंता दूर होती है और तंदरुस्ती आती है।