दिल्ली में बढ़ती आवारा गाय और पशु की भारी समस्या पर भी अब सियासत शुरू हो गयी है।नगर निगम में आवारा गायों को पकड़ने का काम कई महीनो से बंद है तो वहीँ दिल्ली की तमाम गऊशाला मे गायों को लेने से इंकार किया जा रहा है ।दिल्ली सरकार इसे नगर निगम की विफलता मान रही है तो वहीँ विपक्ष दिल्ली सरकार से फंड न मिलाने का बहना बना रहा है।इस सबके बीच दिल्ली की सडकों पर घूमती गाय लोगो के लिए परेशानी ही नहीं सुरक्षा के लिहाज़ से भी बड़ी चिंता और चुनौती बनी हुयी है।दिल्ली की सडकों पर आवारा गायों की कब्ज़ाकूड़ा कूड़ा हुयी राजधानी में कचरा खाती गऊमाता।सड़क हो या गालियां , हर जगह बेतहाशा घूमती आवारा गायें।दिल्ली में ये तसवीरें अब लोगों को डराने लगी है।इनकी वजह से कहीं ट्रेफिक जाम की समस्या है तो कहीं दुघटना होने का डर।कहीं ये गायें लोगों को टक्कर मार रही है तो कहीं ये गाड़ियों की टक्कर खा रही है तो सडकों पर गन्दगी भी फैला रही है।इन सबकी वजह से लोग बेहद खफा है।
दिल्ली में यह समस्या नासूर हुयी तो इस पर भी सियासत शुर हो गयी ।दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार इसके लिए नगर निगम को दोषी मानते रही है।इन आवारा गायों की पकड़ने का काम भी नगर निगम है लेकिन नगर निगम ने यह पीछे डेढ़ साल से बंद कर रखा है , वहीँ गोशाला संचालकों ने भी गायों को लेना बंद कर दिया है।वजह ने तो गोशालाओं ेमें जगह ही है और न नगर निगम और दिल्ली सरकार इन्हे फंड दे रही है।
जानकारों के मुताबिक दिल्ली में तमाम गोशालों में इस समय 30 से 35 हज़ार गायें है जबकि दिल्ली की सडकों पर प्रतिदिन एक से सवा लाख सडकों पर घूम रही है।दिल्ली में हर गोशाला में क्षमता से अधिक गायें है।जाहिर है दिल्ली में यह समस्या अब बेहद गंभीर हो गयी है।ऐसे में कूड़े की तरह अब इस समस्या पर भी सियासत शुरू हो गयी है , इन सबसे बीच दिल्ली में डेयरी मालिक और नगर निगम अधिकारी आपसे में मिलीभगत कर मौज कर रहे है ।