सड़कों पर नारे बाजी करते ये अभिभावक दिल्ली में सरकारी व्यवस्था के चेहरे पर पड़ने वाले किसी करारे तमाचे से कम नहीं हैं। क्योंकि न तो ये किसी कर्जमाफी के लिए सड़क पर हैं और न ही किसी वेतन या भत्ते की मांग को लेकर। ये तो बस पूछ रहे हैं कि दिल्ली में कानून नाम की कोई चीज है भी या नहीं। इनका कहना है कि डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन ने आदेश दे रखा है, इसी महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने भी अगली सुनवाई तक के लिए स्टे दिया है, उसके बाद भी महावीरा पब्लिक स्कूल ने पिछले साल की ही तरह फीस बढ़ा दिया।
अभिभावकों का दर्द है कि साल में जितनी कमाई नहीं बढ़ती उससे ज्यादा तो स्कूल की फीस बढ़ जाती है। अब ऐसे में वो घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए कमाएं या स्कूल को देने के लिए। उनका कहना है कि इस धूप में सड़क पर उतरना किसी को अच्छा नहीं लगता, लेकिन जब फीस की फांस जब सांस ही रोकने लग जाए तो आखिर वो भी कहाँ जाएं।