मनोज सूर्यवंशी, संवाददाता
दिल्ली एनसीआर।। फरीदाबाद का जे.सी. बोस वाईएमसीए विश्वविद्यालय परिसर जल्द ही सौर ऊर्जा पर चलेगा। विश्वविद्यालय ने ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत से स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने परिसर में सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए एक सोलर एनर्जी कंपनी के साथ समझौता किया है।समझौते के अंतर्गत हरियाणा सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (हरेडा) के सहयोग से विश्वविद्यालय में 266 किलोवाट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड रूफटॉप एसपीवी पावर का प्लांट लगाया जायेगा।
4 सौर ऊर्जा का विकल्प चुनने पर विश्वविद्यालय की सालाना कम से कम 20 लाख रुपये की बचत होगी। कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए पूरी तरह से निःशुल्क होगा क्योंकि इस सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना, संचालन और रखरखाव की लागत कंपनी द्वारा वहन की जाएगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य ग्रीन कैंपस पहल को बढ़ावा देना है।
पद्मजा बापतला ने बताया कि इस समझौते के तहत कंपनी टर्नकी आधार पर 266 किलोवाट के रूटॉप सोलर प्लांट को शुरू करेगी और अगले 25 वर्षों तक अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (रेसको) के माॅडल पर इसका संचालन और रखरखाव करेगी। इसके लिए विश्वविद्यालय की कोई लागत नहीं आयेगी। अक्षय ऊर्जा सेवा कंपनी (रेसको) के माॅडल के तहत संयंत्र से उत्पन्न होने वाली बिजली की आपूर्ति विश्वविद्यालय को अगले 25 वर्षों तक 3.30 रुपये प्रति यूनिट की लागत से होगी।