नेहा राठौर
कोरोना काल में सभी दुकानदारों व रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं को आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ा था। जिसके चलते पिछले साल पीएम सुनिधि योजना की शुरुआत की गई थी, रेहड़ी-पटरी विक्रेताओं यानी स्ट्रीट वेंडर्स को करीब 10,000 का लोन दिया जा रहा है। ताकि वे कोरोनाकाल में अपना रोजगार एक बार फिर से शुरू कर सकें। लेकिन सवाल यह है कि क्या उन्हें रोजगार मिल पा रहा है?
जानकारी के मुताबिक, नेहरू प्लेस और लाजपत नगर के दो बड़े बाजारों में करीब 300 वेंडर्स होंगे, जिनके सामने एक बार फिर रोजगार की परेशानी मुंह खोले खड़ी हो गई है। साफतौर पर कहा जाए तो उनके लिए आगे कुआँ और पीछे खाई की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, उन्होंने पीएम स्वनिधि के तहत जो 10,000 का लोन मिलने था वो तो ले लिया, लेकिन इसके बावजूद वे रोजगार नहीं कर सकते।
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इसके पीछे कारण है एमसीडी। सभी वेंडर्स का आरोप है कि पुलिस और एमसीडी कभी भी आ जाती है और उनका सामान जब्त करके ले जाती है। अब ऐसे में रोजगार कहां से आए। इस पर नेहरू प्लेस के वेंडर अनिल कुमार का कहना है कि पुलिस वाले यहां डंडे लेकर दौड़ते रहते हैं। उन्होंने बताया कि उनसे अवैध वसूली मांगी गई और जब मैंने नहीं दी तो सारा सामान जब्त कर लिया गया जो एमसीडी ऑफिस में जमा है।
वहीं वेंडर बच्चा सिंह ने बताया कि मैं यहां 2008 से वेंडिंग कर रहा हूं। मेरा केस कोर्ट में चल रहा है और मेरे पास स्टेटस क्यूओ का ऑर्डर भी है फिर भी मुझे प्रताड़ित किया जाता है। पीएम की योजना से हमें लेटर ऑफ रिकमेंडेशन भी मिला है लेकिन बिना रोजगार शुरू किये हम लोन कैसे चुकाएंगे।
इस पर लाजपत नगर ज़ोन टाउन कमेटी मेंबर श्रीराम का कहना है कि 2014 के वेंडर एक्ट का पालन नहीं किया जा रहा है। वेंडर्स को धीरे-धीरे सोची समझी चाल चलकर हटाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्ट्रीट अधिनियम एक्ट 2014 के मुताबिक जब तक हर एक वेंडर का सर्वे न हो जाए और टाउन वेंडिंग कमेटी उसे व्यवस्थित ना कर दे। तब तक कोई भी किसी भी वेंडर को उसकी जगह से हटा नहीं सकता है।
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