Friday, November 22, 2024
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Patriotism : शौर्य और पराक्रम का इतिहास लिखते हुए सिक्स सिग्मा ने एशिया से भरी यूरोप की उड़ान 

Patriotism : सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया- अब भारत में स्थापित होगा पहला हेलीकॉप्टर एंबुलेंस बेड़ा व हेलीकॉप्टर पायलट स्कूल, हेलीकॉप्टर एंबुलेंस के साथ भरी जाएगी उड़ान, हाई ऐल्टिटूड पर मिलेंगी हेलीकॉप्टर चिकित्सा सेवाएं, यूरोप में नोर्वे के साथ किया गया है ज्वाइंट वेंचर

दिल्ली दर्पण टीवी 
नए ख्वाब, नई आशाएं और नये सपनों के साथ सेनाओं के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर काम करने वाले सिक्स सिग्मा के युवा कार्यकर्ताओं ने सत्य, सेवा, साहस, समर्पण और पराक्रम से देश के विकास में अहम रोल अदा किया है। सिक्स सिग्मा ने दिल्ली में बोर्ड मीटिंग के साथ यूरोप में नॉर्वे के साथ किया एक ज्वाइंट वेंचर पर हस्ताक्षर किये हैं। दरअसल यूरोप के नार्वे से आये दल ने 7 दिन की भारत यात्रा पर इस ऐतिहासिक पल को अब एक कम्पनी का रूप दे दिया है और  सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर इस कंपनी का संचालन करेगा।

Board Meeting Six Sigma Group

हेलीकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विस पर सिक्स सिग्मा ने  नार्वे की हेली ट्रांस कंपनी के साथ समझौता पत्र पर किए हस्ताक्षर कर दिए हैं ! अब हेलीकॉप्टर एंबुलेंस के साथ, एडवेंचर्स स्पोट्र्स, रेस्क्यू, रोड ऐक्सिडेंट बचाव, आपदा प्रबन्धन, हेलीकॉप्टर फ़्लाइट स्कूल के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जाएगा।  दरअसल सिक्स सिग्मा ने हेल्थ के सेक्टर में एक कदम आगे बढ़ाते हुए भारत में एयर एम्बुलेंस  की खोज में पहला कदम बढ़ाया है ।

इस अवसर पर अपने पर गौरवान्वित होते हुए सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने  बताया कि हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस के अभाव में उन्होंने पहाड़ों पर बहुत लोगों को दम तोड़ते हुए देखा है और फिर उनका एक संकल्प भी था कि पहाड़ों पर हेली एंबुलेंस की सुविधा हो। यह संकल्प आज पूरा हो रहा है।  उन्होंने बताया कि सिक्स सिग्मा एयर एंबुलेंस हेलीकाप्टर (डबल इंजन) नॉर्वे से ले रहा है। यह 3 डबल इंजन वाला हेलीकॉप्टर है। इस सेवा के महत्व समझना बड़ा कठिन है। 

Left : Dr Pradeep Bhardwaj, CEO – SIX SIGMA HIGH ALTITUDE MEDICAL SERVICES
On right : Mr Ole Christian, CEO – HELITRANS Norway (Largest Helicopter company in Europe)


उन्होंने बताया कि पर्वतीय इलाकों में मेडिकल सर्विस देने के लिये प्रसिद्ध सिक्स सिग्मा हाई एल्टिट्यूड मेडिकल सर्विस ने यात्रियों को त्वरित उपचार प्रदान करने के लिए एक हेलीकॉप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवा (ईएमएस) और धार्मिक पर्यटन को विकसित करने की योजना बनाई है।  इस योजना का फायदा विशेषकर पहाड़ पर आपातकालीन व हाईवे दुर्घटनाओं में घायल लोगों को बहुत फायदा पहुंचाएगी। ऐसे घायलों को गोल्डन आवर में अस्पताल तक पहुंचाया जा सकेगा। 

Association between SIX SIGMA HEALTHCARE & HELITRANS Norway

सिक्स सिग्मा हाई एल्टिट्यूड मेडिकल सर्विस के प्रबंध निदेशक डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने संयुक्त उपक्रम के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि दोनों कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों यानि कि सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर की ओर से उन्होंने खुद ने और नॉर्वे की हेलीट्रांन्स के सीईओ श्री ओले क्रिश्चन मैथ्यू ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि इसके अनुसार हम चेन ओफ़ हेली ऐम्ब्युलन्स सेवाओं की भारत में स्थापना करेंगे व भारत में पहला हेलिकॉप्टर ट्रेनिंग स्कूल भी खोलेंगे। 

डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि जिस कंपनी हेलीट्रान्स से उन्होंने समझौता किए वह नार्वे के साथ-साथ यूरोप की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर कंपनी है जो पूरे यूरोप में पर्यटन के साथ-साथ आपातकालीन सेवा के दौरान अपनी सेवायें प्रदान कराती है। हेलीट्रान्स के बारे में उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि यह कंपनी अपनी सेवा देने के दौरान एयरबस-320  हेलीकॉप्टर का उपयोग करती है जो वर्तमान समय में सबसे उन्नत किस्म के हेलीकॉप्टर हैं। इन हेलीकॉप्टरों में दो इंजन लगे होते हैं, जिनका विषम परिस्थिति और लम्बे समय तक इमरजेंसी सेवा में भी उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा दोनों कंपनियां भारत में एडवेंचर्स स्पोट्र्स को भी बढ़ावा देंगी  जो जोशीले युवाओं के लिए एक खास खबर है। उन्होंने आगे बताया कि अगले साल यानि की 2023 में वे लोग भारत में ”हेलीकाप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि “सिक्स सिग्मा हेलीकॉप्टर पायलट ट्रेनिंग संस्थान” देश में अपना एक अनोखा संस्थान होगा। 

श्री रॉबिन हिबु, आई.पी.एस. व स्पेशल कमिश्नर दिल्ली पुलिस व बोर्ड मेम्बर सिक्स सिग्मा ने कहा कि राष्‍ट्रीय गर्व की भावना के साथ, बर्फ से ढके पहाड़ों में देशवासियों की उच्चतम चिकित्सा सेवा दे रहे सिक्स सिग्मा ने अदम्य साहस, पराक्रम और देश सेवा का आज एक और उदाहरण पेश किया है !  उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में हेलीकॉप्टर फ़्लाइट स्कूल खोलने का आग्रह भी सिक्स सिग्मा बोर्ड के सामने पेश किया किया है। 

सर गंगाराम अस्पताल के चैयरमेन और सिक्स सिग्मा के बोर्ड मेंबर डॉ. डी.एस. राणा ने बताया कि देश के 11 राज्य हिमालय के क्षेत्र में बसे हुए हैं तथा इन्हीं क्षेत्रों में सबसे कठिन धार्मिक यात्राएं भी होती हैं। इन यात्राओं में प्रति वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन, उन धार्मिक स्थानों पर आपातकालीन चिकित्सा सेवा की समुचित सुविधा नहीं होने के कारण बहुत से तीर्थ यात्री दम तोड़ देते हैं, जिसका सीधा असर वहां पर आने वाले यात्रियों की संख्या पर पड़ता है।

सिक्स सिग्मा के बोर्ड मेंबर  जनरल अतुल कौशिक ने कहा कि प्रतिदिन आठ से दस हजार यात्री चार धाम के दर्शन के लिये जा रहे हैं। उनका दावा है कि चालू चारधाम यात्रा में अनुमान है कि इस बार केवल केदारनाथ धाम पर कम से कम 20 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिये पहुचेंगे। इसी प्रकार से श्री बदरीनाथ धाम में इस वर्ष पंद्रह से बीस लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। क्योंकि, यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं की औसत संख्या पर गौर किया जाये तो देखा गया है कि प्रत्येक 10 में चार श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिये हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग किया है और ये आंकड़ा प्रति वर्ष बढ़ने की संभावना है। धार्मिक स्थलों पर बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि देश में धार्मिक पर्यटन व हेलीकॉप्टर फ़्लाइट स्कूल के क्षेत्र में अपार संभावनायें हैं।

गौरतलब है कि देश की कई हेलीकॉप्टर कंपनियां, जो कि केवल धार्मिक यात्रा के दौरान अपनी सर्विस प्रदान कराती हैं लेकिन वे कंपनियां पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग नहीं लेती हैं,  जिसके कारण प्रशासन को आपातकालीन सेवाओें और रेस्क्यू  ऑपरेशन के लिये इंडियन आर्मी, भारतीय वायु सेना पर निर्भर रहना पड़ता है। बात अगर गोल्डन आवर की करें तो ट्रॉमा इंजरी के बाद के एक घंटे को गोल्डन आवर कहा जाता है, जिसमें सही मेडिकल ट्रीटमेंट मिलने से घायल को बचाया जा सकता है ।

दरअसल सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर और हेलीट्रांस के मध्य हुए समझौते से हिमालय के आंतरिक भाग की यात्रा पर जाने वाले और नए-नए पहाड़ी टैकों की खोज पर जाने वाले ट्रैकरों को भी लाभ मिलेगा। बताया जा रहा है कि हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस को आगे बढ़ाने को लेकर सिक्स सिग्मा ने डी.जी.सी.ए. वायु सेना चीफ़ व भारत सरकार के उच्च अधिकारियों से भी मुलाक़ात कर ली है। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए एक समय सीमा भी तय कर दी गई है ।

क्या है हेलीकॉप्टर एंबुलेंस?

घटनास्थल से या किसी एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल, जहां मरीज की जान बचाने के लिए अति-आवश्यक इलाज के लिए कम समय में ले जाना के लिए बुनियादी चिकित्सीय सुविधाओं से परिपूर्ण हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर को एयर एंबुलेंस कहा जाता है। आसान बातों में यदि बात करें तो हेलीकॉप्टर एंबुलेंस वो हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर होता है, जिसमें वो सभी सामान और सुविधाएं होती हैं जो कि किसी इमरजेंसी स्थिति में समय रहते किसी मरीज की जान बचाने के लिए उसे एक स्थान या अस्पताल से दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए जरूरी होता है। खासतौर पर, मरीज की गंभीर स्थिति में कम समय में ज्यादा लंबी दूरी तय करने और सड़क मार्ग पर होने वाली भीड़ भाड़ से बचने के लिए हेलीकॉप्टर एंबुलेंस का उपयोग किया जाता है।

 क्या हैं हेलीकॉप्टर एंबुलेंस का इस्तेमाल करने के फायदे ?

1. ट्रैफ़िक और भीड़भाड़ से छुटकारा : कई बार एक्सीडेंट या आगजनी जैसी दुर्घटनाओं में मल्टीपल कैजुअलिटी हो जाती हैं, जिसमें कई लोगों को एक साथ अस्पताल पहुंचाना बहुत जरूरी होता है। ऐसी स्थिति में हेलिकॉप्टर एंबुलेंस काफी मददगार साबित हो सकती है।

2. ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन में  हेलीकॉप्टर एंबुलेंस काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि, अगर किसी व्यक्ति का कोई ऑर्गन काम करना बंद कर दिया है, तो उसे बहुत ही कम समय में डोनेट किया गया ऑर्गन लगाना होता है। ऑर्गन ट्रांसप्लांट बेहद जटिल प्रक्रिया होती है और डोनेटेड ऑर्गन  को ज्यादा देर तक शरीर के बाहर नहीं छोड़ा जा सकता, वरना वो भी बेकार या डैमेज होने लगता है। ऐसी स्थिति में एयर एंबुलेंस सही समय पर और सही स्थिति में डोनेटेड ऑर्गन को मरीज तक पहुंचाकर उसकी जान बचाती है।
3. पहाड़ व रिमोट एरिया के लिए उचित हॉस्पिटल आमतौर पर रिमोट एरिया से दूर स्थित होते हैं और उन तक सड़क मार्ग से जाना काफी मुश्किल और समय लेने वाला काम है। इसके अलावा, पहाड़ों जैसी जगह पर भूस्खलन या बर्फबारी आदि समस्याओं की वजह से सड़क मार्ग बाधित हो जाता है, जिसमें सड़क परिवहन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

4. चिकित्सा उपकरण के लिए -हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सिर्फ मरीजों के लिए ही इस्तेमाल नहीं की जाती है। बल्कि, इसे किसी मरीज के लिए इलाज जरूरी चिकित्सा उपकरण को किसी एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

क्या-क्या होता है हेलीकॉप्टर एंबुलेंस के अंदर ?

एंबुलेंस की तरह ही इसमें सभी मेडिकल फैसिलिटी होती है। पेशेंट की सिचुएशन को लगातार मॉनिटर करने के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम, ई.सी.जी, वेंटिलेटर, डिफ़िब्रिलेटर, सांस की समस्या होने पर काम आने वाला ब्रीदिंग आपरेटस, मरीज की हार्ट बीट को कंट्रोल करने के लिए पेसमेकर आदि के साथ मरीज के सिचुएशन के हिसाब से उपकरण जोड़े व घटाए जाते हैं।

सिक्स सिग्मा द्वारा केदार में अब तक इमरजेंसी सर्विस का ब्योरा –

1. 2013 में उत्तराखंड केदारनाथ आपदा में भारतीय सेना ने बुलाया था। 511 इमरजेंसी पीडितों का उपचार किया था। 

2. 2018 में 35,326 इमरजेंसी मरीजों का उपचार किया। 
3. 2019 में 40,456 इमरजेंसी मरीजों का उपचार किया।
4. 2021 में 9,337 मरीजों का उपचार किया।
5. 2022 में 14,578 मरीजों का उपचार किया।

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