Friday, November 22, 2024
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MCD Chunav : आ सकती है अड़चन, परिसीमन के खिलाफ HC में कांग्रेस ने दायर की याचिका

आरोप लगाया है कि जिस फॉर्मूले के तहत यह परिसीमन किया गया है वो मनमाने और तर्कहीन तरीके से किया गया है। यह अस्पष्ट और काफी भ्रमित करने वाला है। इसमें कई कानूनी पहलुओं को नजरअंदाज किया गया है।
 

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 
दिल्ली में होने वाले एमसीडी चुनाव में अड़चनें आ सकती हैं। दरअसल दिल्ली नगर निगम के वार्डों के परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है उस पर कांग्रेस ने ऐतराज जताया है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने इस संबंध में हाईकोर्ट का रुख किया है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने गुरुवार को केंद्र सरकार द्वारा जारी किये गये नोटिफिकेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि 17 अक्टूबर, 2022 को दिल्ली के वार्डों को लेकर जो नोटिफिकेशन जारी किया गया उसमें कई कमियां हैं। याचिका में कहा गया है कि परिसीमन में अहम मुद्दों और तथ्यों को बिना ध्यान में रखे वार्डों की संख्या 250 तय कर दी गई। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों की जनसंख्या का ख्याल नहीं रखा गया और ना ही वार्ड निर्धारण में साल 2011 की जनगणना का ठीक से ख्याल रखा गया।

इस याचिका में आरोप लगाया है कि जिस फॉर्मूले के तहत यह परिसीमन किया गया है वो मनमाने और तर्कहीन तरीके से किया गया है। यह अस्पष्ट और काफी भ्रमित करने वाला है। इसमें कई कानूनी पहलुओं को नजरअंदाज किया गया है। याचिका में कहा गया है कि परिसीमन जरूरी तथ्यों को बिना ध्यान में रखे जल्दबाजी में किया गया है। यह याचिका विकास यादव, साजिद चौधरी और गौरव दुआ नाम के वकीलों के जरिए दायर किया गया है। इसमें मांग की गई है कि परिसीमन का काम दोबारा कराया जाए और उचित तरीके से ही यह परिसीमन हो जिसमें वार्डों की संख्या और औसत जनसंख्या का ध्यान रखा जाए।

कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया है कि जो फाइनल नोटिफिकेशन जारी किया गया है उसमें कई जगहों को खाली जगह के तौर पर दिखाया गया है। जबकि यह सभी जगहें कुछ वार्डों के अंतर्गत ही जाती हैं। जबकि परिसीमन में इन जगहों को जिस वार्ड के अंदर दिखाया गया है वो कई किलोमीटर दूर है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तीनों नगर निगम को एक साथ लाने का फैसला किया था। इसके अलावा परिसीमन की प्रक्रिया अपनाई गई थी ताकि वार्डों की संख्या को कम किया जा सके। तीन नगर निगमों को एक करने का बिल लोकसभा में 30 मार्च 2022 को अप्रूव हुआ था। जबकि राज्यसभा में इसे 5 अप्रैल 2022 को मंजूरी मिली थी। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल 18 अप्रैल 2022 को कानून बना था। बता दें कि पहले दिल्ली में 272 वार्ड थे लेकिन परिसीमन के बाद यहां वार्डों की संख्या 250 रह गई है।

कांग्रेस का कहना है कि परिसीमन में 22 वार्ड कम किए गए हैं, उसके लिए सभी 70 विधानसभाओं का स्वरुप बदलना किसी न किसी साजिश के तहत किया गया है। परिसीमन में दलित और अल्पसंख्यक बहुल वार्डों में उनकी जनसंख्या को छिन्न-भिन्न करके इन समुदायों को कमजोर करके इनके वोट के महत्व को खत्म करने की कोशिश की गई है। साथ ही अल्पसंख्यकों की जनसंख्या को विधानसभा के अंदर इस प्रकार से समायोजित किया है ताकि यह समुदाय चुनाव में निर्णायक भूमिका न निभा सके। 

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