Friday, October 18, 2024
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Kerala : अमेरिका में जज बन गया केरल गुदड़ी का लाल 

पहले बीड़ी कंपनी में मजदूरी की उसके बाद झाड़ू पोंछा कर एलएलबी की और फिर अमेरिका में गाड़ दिया झंडा

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

कहा जाता है कि जब लगन और जज्बा हो तो कोई ताकत आपका रास्ता नहीं रोक सकती है। ऐसा ही सब कुछ कर दिखाया केरल के एक ऐसे लड़के ने जिसने कभी परेशानियों के सामने हार नहीं मानी। इस लड़के ने पहले बीड़ी कंपनी में नौकरी की और फिर एक होटल में झाड़ू पोंछा कर एलएलबी की और फिर अमेरिका में जज बनने का तगमा ले लिया। यह लड़का कोई और नहीं बल्कि भारतीय मूल के सुरेंद्रन पटेल हैं जो अमेरिका में जज बने हैं। सुरेंद्रन पटेल टेक्सास के फोर्ट बेंड काउंटी में 240वें ज्यूडिशियल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज बने हैं। 

दरअसल पटेल का जन्म केरल के एक सुदूर गांव बलाल में हुआ था। बचपन में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने अपने सपनों समझौता नहीं किया। लीगल न्यूज से जुड़ी वेबसाइट लाइव लॉ की एक सीनियर रिपोर्टर ने सुरेंद्रन पटेल से उनके अब तक के सफर को लेकर बातबातचीत की है।

अपने बचपन के बारे में सुरेंद्रन पटेल का कहना है कि हर यात्रा के अपने उतार चढ़ाव होते हैं। उन्होंने अपने बारे में बताया कि उनकी चुनौतियां बचपन से ही शुरू हो  गई थी। उन्होंने बताया कि उनका जन्म और पालन और पोषण केरल के कासरगोड में बलाल नामक सुदूर गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी पढाई के बारे में बताया कि उन्होंने कक्षा प्रथम से 10वीं तक की पढ़ाई एक ख़राब स्थिति हाई स्कूल से की है। 

उन्होंने बताया कि अब जब वह उस स्कूल में गए तो देखा कि उसकी स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है। शिक्षा प्रणाली के बदलाव पर उन्होंने बताया कि उनके समय में उस स्कूल हर वर्ग में के बच्चे पढ़ते थे पर आज की तारीख में आर्थिक रूप से कमजोर गरीब परिवारों के बच्चे उस स्कूल में पढ़ते हैं। 

परिवार के बारे में उन्होंने बताया कि वे पांच भाई बहन थे। जब वह 13 साल के थे तो उन्होंने अपनी बड़ी बहन खो दी। उनका कहना है कि वह सदमा था जो उन्हें आज भी परेशान करता है।  अपने माता पिता के बारे में उन्होंने बताया कि उनके माता पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। उन्होंने बताया कि उनकी बड़ी बहनें के बीड़ी बनाने की कंपनी  मेरी बहनें बीड़ी बनाने का काम करती थीं। उन्होंने बताया कि जब मैं कक्षा 9 वीं कलास में पढ़ते थे तो उन्होंने अपनी बहन की  मदद करनी शुरू कर दी। उन्होंने यह भी बताया कि सुबह के समय वह एक किराने की दुकान में काम करते थे और रात में बीड़ी बनाते थे। उन्होंने अपने माता पिता के किसी तरह की अपेक्षा न रखने की बात की। सुरेंद्रन पटेल स्वीकार करते हैं कि वह हाई स्कूल तक पढाई में औसत थे। वह कहते हैं कि जब वह काम करने और परिवार की मदद करने की कोशिश कर रहे थे तो अपनी पढाई पर बहुत कम ध्यान दे पाते थे। अपने शिक्षकों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि उनके शिक्षक छात्र छात्राओं को लगातार प्रोत्साहित करते थे। 1985 में 10वीं पास करने का श्रेय उन्होंने शिक्षकों को दिया। सुरेंद्रन पटेल को जब फुल टाइम का करना पड़ा तो उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। काम के साथ ही उन्होंने आगे की पढाई जारी रखने का निर्णय लिया। उन्होंने सरकारी केआर नारायणन मेमोरियल कॉलेज से प्री डिग्री की पढाई पूरी की। 

उन्होंने आगे की पढाई के लिए एक रिश्तेदार का सहारा लिया। इस दौरान उन्हें काम और पढाई दोनों एक साथ की। क्लास में अनुपस्थिति कम होने की वजह से उन्हें परीक्षा में बैठने से मना का दिया। उन्होंने अटेंडेंस का कोई कारण बताए बिना उनसे एक मौका मांगा क्योंकि वह कोई सहानुभूति नहीं चाहता था। उन्होंने बताया कि डिपार्टमेंट हेड ने उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति दी और उन्होंने क्लास टॉप किए।  

होटल में काम करते हुए की पढ़ाई

पटेल ने कानून की पढ़ाई के लिए एलएलबी में एडमिशन तो ले लिया था, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह रेगुलर क्लास ले सके। एलएलबी के पहले साल में कुछ दोस्तों ने उनकी आर्थिक मदद की लेकिन उन्हें यह ठीक नहीं लग रहा था। पटेल ने अपने आर्थिक बोझ को कम करने के लिए एक प्रसिद्ध होटल में हाउसकीपिंग बॉय का काम शुरू कर दिया। वह कहते हैं, “मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक क्लास में प्रजेंट रहना था। क्लास सुबह 10 से शाम 4 बजे तक होती थी। लेकिन मुझे 2 बजे से 11 बजे तक काम करने जाना होता था। इस वजह से दोपहर 1 बजे के बाद किसी भी कक्षा में रहना मेरे लिए संभव नहीं था। लेकिन फिर मैं अपने आप सीखने में सक्षम हो गया और मैंने अपेक्षाकृत अच्छे अंकों के साथ ग्रेजुएशन की उपाधि प्राप्त की।”

भारत में कैसा था करियर?

पटेल बताते हैं, “ग्रेजुएशन करने के बाद मैंने एक वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। होसुर बार में एक वकील के रूप में प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया। मेरे सीनियर ने मुझमें विश्वास जगाया। मैं वहां दस साल तक रहा और वह अनुभव मेरे भविष्य के सभी प्रयासों में बहुत महत्वपूर्ण था।… इसके बाद मैं दिल्ली रहकर प्रैक्टिस करने लगा।”

अमेरिका शिफ्ट होने की क्या थी वजह?

पटेल बताते हैं, “अमेरिका (USA) में काम करना मेरी पत्नी का सपना था और ऐसा हुआ कि उसे यहां नौकरी मिल गई। मैं इस फैसले का बहुत समर्थक था और चाहता था कि वह अपने पेशे में फले-फूले। हमने अमेरिका आने और ग्रीन कार्ड हासिल करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट में मेरा आखिरी केस 13 अक्टूबर, 2007 को था। अगले ही दिन हमने अमेरिका की फ्लाइट ले ली।”

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