दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी वैसे तो गाहे बगाहे कहीं भी गाना शुरू कर देते हैं। जिस कार्यक्रम में भी जाते हैं वहीँ गाना शुरू । कहीं गाने से माहौल बनाने की कोशिश तो कहीं गाने से मखौल उड़ाने की। मनोज तिवारी जहाँ भी जाते हैं। नेता कम और गवैये ज्यादा लगते हैं। कभी जनता की माँग पर तो कभी नेताओं की मांग पर। उत्तर पूर्वी दिल्ली के यमुना विहार इलाके में नगर निगम के सरकारी स्कूलो में सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमे इलाके के सांसद और दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी मुख्यअतिथि के रूप में थे। मंच से स्कूल की अध्यापिका ने बड़े ही मान सम्मान के साथ इलाके के सांसद को अपनी बात रखने के लिए बुलाया और जिस चिरपरिचित अंदाज के लिए मनोज तिवारी जाने जाते है उसी अंदाज के लिए स्कूल की टीचर ने केवल मंच पर आ कर दो लाइन गाने के लिए कहा दिया, ये बात मनोज तिवारी को इंतनी नागवार गुजरी की तिवारी जी ने भरे मंच से जमकर टीचर को फटकार लगाई और उनके खिलाफ कार्यवाही करने की बात तक कह डाली , जिसके बाद टीचर स्कूल के कार्यक्रम को छोड़कर चली गई। मनोज तिवारी के इस व्यवहार से सभी हैरान हैं। सवाल उठने लाज़मी हैं की जो नेता खुद ही गाने बजाने को आतुर रहता हो उसे एक महिला शिक्षक के आग्रह पर इतना रोष क्यों ?
मनोज तिवारी का कहना था की यहाँ करोड़ों रुपयों के सीसीटीवी लग रहे थे और ऐसे मौके पर शिक्षिका ने उन्हें गाने की बात कह दी , लेकिन जब बात जनता को रिझाने की थी तो करोड़ों रुपये के लगजरी वैन से अवतरित हो कर भी मनोज तिवारी गाते हुए दिख रहे थे। नजारा आप खुद देख लीजिये। सीधा सवाल ये है की आखिर क्यों मनोज तिवारी को टीचर की बात पर इतना गुस्सा आया। हर मंच से तिवारी कुछ ना कुछ अपने ही अंदाज में गाते है , फिर टीचर की छोटी सी रिक्वेस्ट पर कार्यवाही की बात क्यों कह डाली ? पत्रकारों ने जब सवाल पूछे तो मनोज तिवारी ने क्या कहा आप खुद ही सुन लीजिये। मतलब साफ़ है , अगर तिवारी अपने मन से कुछ भी बोले , कुछ भी गाये, कोई दिक्कत नहीं। तिवारी खुद भी कहते हैं की उन्हें नेतागिरी की आदत नहीं। लेकिन एक महिला शिक्षक ने एक आग्रह क्या कर दिया , सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अपमान करने पर उतर आये। माफ़ी तो मनोज तिवारी को मांगनी चाहिये थी अपने व्यवहार के लिये , क्योंकि उन्होंने एक महिला का सार्वजानिक मंच से अपमान किया।
मनोज तिवारी ने किया महिला शिक्षक का अपमान
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