इस दुनिया में किसी भी चीज़ का जब तक इस्तेमाल करना ना आये, तब तक उसके बारे में चाहे कितना भी ज्ञान क्यूँ ना अर्जित कर लिया जाये, सब बेकार है। हम खूब पढ़ाई-लिखाई करते हैं, मेहनत करते हैं, पर जब तक हम अपनी नॉलेज को अप्लाई ना कर पाए या उसे प्रैक्टिकल तौर पर ना सीखें, हमारा ज्ञान किसी काम का नही। दिल्ली के समयपुर बादली इंडस्ट्रियल एरिया स्थित कंपनी मोटिफ capacitors प्राइवेट लिमिटेड ने इस चीज़ को बखूबी समझा और आगे आकर स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल ज्ञान देने की पहल की। यहाँ इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने प्रैक्टिकल तौर पर बखूबी समझा कि किस तरह से capacitors बनाए जाते हैं। कंपनी के डायरेक्टर ने भी बताया कि स्टूडेंट्स के लिए प्रैक्टिकल ज्ञान कितना ज़रूरी है।
गुरुग्राम की नार्थ कैप यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स यहाँ पर आये और यहाँ उन्हें पहले थ्योरी पढ़ाई गयी और फिर फैक्ट्री विजिट के दौरान ये भी बताया गया कि capacitors किस तरह से बनाए जाते हैं।
खुद कंपनी के डायरेक्टर मोहित राय गोयल ने स्टूडेंट्स को एक-एक चीज़ की जानकारी दी। 20 अलग-अलग streams के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स यहाँ पर आये और इस प्रैक्टिकल नॉलेज को उन्होंने खूब सराहा। साथ ही उनके प्रोफेसर ने भी इस फैक्ट्री विजिट को काफी उपयोगी बताते हुए मोटिफ capacitors प्राइवेट लिमिटेड की खूब प्रशंसा की।
इस फैक्ट्री में जिस तरह महिलाएं और पुरुष मिलकर काम कर रहे थे। वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है। capacitors क्या होते हैं, कैसे बनाए जाते हैं। इसके बारे में स्टूडेंट थ्योरी में तो बहुत कुछ पढ़ते हैं। लेकिन प्रैक्टिकल तौर पर इस चीज़ को फैक्ट्री में होते हुए देखना बेहद दिलचस्प है। और ये कहना गलत नहीं होगा कि मोटिफ capacitors प्राइवेट लिमिटेड का ये क़दम हर किसी के लिए प्रेरणादायक है।