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कहते हैं जहाँ नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं, लेकिन हमारे समाज में अब इन बातों का कोई मोल नहीं रह गया है। अगर वाकई में कीमत होती, तो इस तरह से दरिन्दे 4-5 साल की बच्चियों को अपनी हवस का शिकार ना बना रहे होते। ये है दिल्ली के बुध विहार फेज़ 1 का इलाका। ये वही सूनसान जगह और सालों से बंद खंडहरनूमा मकान है। यहां एक वहशी चार साल की मासूम बच्ची को बहला फुसलाकर ले आया और उसे अपनी विकृत मानसिकता का शिकार बना डाला। इतना ही नहीं दरिंदा दर्द से कराह रही इस मासूम को यहीं छोड़ कर भाग खड़ा हुआ। किसी तरह बच्ची घर पहुंची और मां को बताया। बच्ची के परिजनों का कहना है कि उनकी बच्ची के साथ ऐसा उस वक्त हुआ जब वह दोपहर में अपने घर के बाहर खेल रही थी और दरिंदा उनकी लड़की और लड़के दोनों को कंजक जिमाने के नाम पर ले गया। लेकिन बाद में लड़के को यह कर भगा दिया कि कंजक में लड़के का जाना अलाउ नहीं है। पुलिस ने आरोपी की पहचान कर उसे पकड़ लिया है और आरोपी बालिग़ है या नाबलिग इस बात की जांच जारी है। उधर बच्ची के परिजन आरोपी दरिंदे को सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं।
देश का दिल कहे जाने वाली राष्ट्रीय राजधानी को इस घटना ने एक बार फिर शर्मसार कर दिया है। निर्भया कांड के बाद पूरे देश का माहौल काफी तनावपूर्ण था, लेकिन इसके बाद भी कई निर्भया जैसे कांड हुए हैं। पुलिस प्रशासन मामला दर्ज कर और कभी-कभी आरोपियों को गिरफ्तार कर अपनी जिम्मेदारी भी पूरी कर लेता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिन बच्चियों के साथ ऐसे खौफनाक कांड किये जाते हैं क्या उनके लिए सिर्फ दोषियों की गिरफ्तारी या सजा मिलने ही काफी है या उन्हें इसका दंश जीवन पर्यन्त झेलना पड़ता है। हर बार एक अनसुलझा सवाल जो रह जाता है, वह ये है कि आखिर ऐसे घृणित कार्यों के लिए दोषी कौन है। घर, परिवार, समाज या कोई और…..