देश में भारतीय दंड संहिता के अनुसार दिल्ली पुलिस ने 15 अप्रैल 2017 से 15 अप्रैल 2018 तक कुल 67,298 आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। इनमें 1,770 जघन्य अपराध कि श्रेणी में शामिल हैं जिनमें हत्या, लूट और रेप जैसे संगीन जुर्म शामिल हैं।
किशोर अवस्था के बच्चे कर रहे हैं अपराध
आपराधिक गतिविधियों को देखें तो गौर करने वाली बात यह है कि अपराध करने में 16 साल से 18 साल की उम्र के बच्चे शामिल हो रहे हैं। जो अपराध करने के बाद कुछ समय में ही जेल से बाहर आ जाते हैं। वहीं ऊपर बैठे सरगना कुछ पैसों का लालच देकर उनका इस्तेमाल करते हैं। इलाके में उनका रसूख और लोगो में ङर बन जाता है जिससे नाबालिक अपराध की ओर आकर्षित होते हैं। माँ बाप का बच्चो पर ध्यान न देना, आस पास का माहौल और अशिक्षा का एक बङा करण है। बाहरी दिल्ली से सटे इलाकों मे आपराधिक गतिविधियां अधिक देखने को मिलती हैं। अपराधियों को इन इलाकों से बचकर निकलना आसान है और बॉडर होने के कारण गैर कानूनी हथियारों का लेन देन भी आसानी से हो जाता है। खुले आम नशीले प्रदार्थ बेचना, सट्टे चलना तो दिल्ली में आम बात पहले से है।
आपराधिक गतिविधियां बढने के ये हैं कारण
बढ़ते अपराधों के पीछे व्यवसाय के घटते अवसरों को भी एक बड़ा कारण माना जा सकता है। वहीं बढती जनसंखया भी इसका एक उदाहरण है। दूसरी ओर कानून व्यवस्था दुरुस्त होनी बहुत जरूरी है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए अन्यथा यह समस्या देश कि प्रगति में बाधा बनी रहेगी।
पुलिस और प्रशासन नाकाम क्यों ?
पुलिस और प्रशासन कि नाक के नीचे चल रहे गैर कानूनी काम से आम जनता परेशान है। यह भी कई बार देखा गया है कि खूंखार अपराधी जेल से ही अपने आतंक का कारोबार चला रहे हैं। पुलिस के पास सभी प्रकार के अत्यधुनिक हथियार और उपकरण होने के बावजूद लुटेरे व बदमाश आसानी से भाग निकलते हैं। इन सबसे पुलिस और प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया सामने आया है।