कुछ समय पहले तक पहाड़ों की बीमारी कहे जाने वाली स्क्रब टाइफस अब मैदानी इलाकों में भी तेजी से आगे बड़ रही है। सम्भाग की सेंट्रल लेब में बुधवार को 9 पॉजिटिव केस सामने आए हैं। इसमें 2 कोटा, 3 बूंदी, 2 झालावाड़, अजमेर और श्योपुर(एमपी), के केस शामिल हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि इनमे से 6 मरीजो कि मौत भी हो गई है।
डेंगू जैसे बुखारों का चलन जहां शहरी क्षेत्रों में ज्यादा फैला रहता हैं वहीं इसके उलट स्क्रब टािपस के मामले अधिकतर गांवों में पाए जाते हैं। ये बुखार कई जाति के “रिकेट्सिया” द्वारा उत्पन्न रोगों का समूह है और मूल रूप से यह कीटों यानी छोटे कीड़ो द्वारा फैलता है। अभी इस बीमारी के इलाज की खोजबीन नहीं की गई है। आपको यह जानकारी भी दे दें की ये घास में पलने वाले पिस्सु से होती है। शुरू में सरदर्द, भूख न लगना, तबियत का भारीपन अनुभव होने के बाद अचानक सर्दी लगकर तेज बुखार चढ़ता है और बहुत ज्यादा कमजोरी हो जाती है। बुखार सात से लेकर 12 दिन तक रहता है। बुखार बिगड़ने की स्थिती में कमजोरी बढ़ती है। बेहोशी और हृदय सम्बन्धी समस्याएं सामने आती है। बुखार के चौथे से लेकर छठे दिन तक के भीतर शरीर पर दाने निकल आते हैं। गहरे लाल रंग के ये दाने दो से लेकर पांच मिलिमीटर तक के होते हैं और सारे शरीर पर निकलते हैं।
एक कीड़ा ले रहा है सबकी जान, एक और नयी बीमारी आई सामने
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