एक महिला अपनी डिलिवरी के बाद हो रही तकलीफ का इलाज कराने आती है डॉक्टर्स चैकअप करने के बाद डिलिवरी के टांकों को दूबारा करने भरने की बात करते हैं टांके दोबारा भरने के बाद भी भी महिला का तकलिफ कम नहीं होती। हॉस्पिटल को शिकायत करने पर हॉस्पिटल स्टाफ लगातार महिला को पेन किलर के इंजेक्शन देता रहता है। और यही इंजेक्शन महिला की मौत का कारण भी बन गये। लेकिन हॉस्पिटल की लापरवाही यहीं खत्म नहीं हुई। हॉस्पिटल ने महिला की मौत के बाद उसे सरकारी हॉस्पिटल के लिय रेफर कर दिया। लेकिन मृतक के परीजन उसे महाजन हॉस्पिटल ले गये जहां डॉक्ट्स ने महिला को मृत घोषित कर दिया। अब सवाल ये की जब महिला की मौत पहले ही हो चुकी थी तो उसे दूसरे हॉस्पिटल के लिये रेफर क्यों किया गया।
शकूरपुर स्थित सावित्री हॉस्पिटल पर ये कोई पहली लापवाही का आरोप नहीं हैं इससे पहले भी कैसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिसमें साफ तौर पर हॉस्पिटल दौषी भी नज़र आया है आप खुद सुन लिजिये क्या कहना है लोगों का ।
हॉस्पिटल के पास ना तो एंबुलेंस है और ना ही डॉक्ट्स का पूरा स्टाफा फिर भी हॉस्पिटल चल रहा है लेकिन राम भरोसे! जो हास्पिटल पर कई सावाल खड़े करता है हॉस्पिटल दिल्ली सरकार से मान्यता प्राप्त है तो इलाज के मानक इतने कच्चे क्यूं? लापरवाही का पहला मामला ना होने पर भी हॉस्पिटल के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं होती? ऐसे हॉस्पिटल की वजह से आखिर लोगों को अपनी जान क्यो देने पड़ती है? जिसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है फिलहाल हास्पिटल में ताले लटके हैं फोन करने पर कोई जवाब नहीं मिलाता ऐसे में अब इंतज़ार हॉस्पिटल का पक्ष जानने का भी है।