नई दिल्ली, 3 अगस्त :- केंद्र सरकार ने नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में गुरुवार चल रहे डॉक्टरों की हड़ताल को कुचलने की शुरुआत कर दी है। शनिवार को सफदरजंग और एम्स प्रशासन ने इस बाबत हड़ताली डॉक्टरों को नोटिस भेज कर जवाब तालाब किया है। साथ ही चेतावनी दी है कि तत्काल सेवा शुरू नहीं करने पर उनके खिलाफ सस्पेंशन, टर्मिनेशन और हॉस्टल खाली कराने जैसी कार्रवाई की जा सकती है।
एम्स ने अपने नोटिस में कहा है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने अस्पतालों में धरना प्रदर्शन को लेकर एक कोड ऑफ कंडक्ट बनाया था। इसके बारे में एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन को भी बताया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी ऐसा पाया गया है कि रेजिडेंट डॉक्टर न सिर्फ कॉरिडोर के अंदर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि अस्पताल की सेवाएं भी बंद कर रहे हैं। जो दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बनाए गए कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है।
एम्स प्रशासन ने डॉक्टरों को तत्काल सेवा पर लौटने के आदेश के साथ ही यह भी पूछा है कि उनके इस आचरण के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। ऐसा ही नोटिस सफदरजंग अस्पताल प्रशासन ने भी अपने रेजिडेंट डॉक्टरों को भेजा है। इससे पहले शनिवार को एम्स में पुलिस की भारी तैनाती की गई और हड़ताली डॉक्टरों को एम्स परिसर से बाहर जाने से रोकने की कोशिश हुई। लेकिन डॉक्टरों के रुख में कोई बदलाव नहीं आया। सफदरजंग में डॉक्टर सड़क पर आ गए और जाम लगा दिया, तो वहीँ राजधानी के तमाम सरकारी स्प्तालों के ओपीडी में ताला ही लटकता रहा।
बता दें कि सरकार द्वारा लाए जा रहे एनएमसी बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी क्रम में दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल कर रहे हैं। उन्होंने ओपीडी और वार्ड की सेवा के साथ ही इमरजेंसी सेवा देने भी इंकार कर दिया है। जिसकी वजह से राजधानी में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं। हलांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से मुलाकात के बाद शुक्रवार रात को डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवा शुरू कर दिया था।